पृथ्वी | Earth | पृथ्वी का इतिहास, संरचना | Atmosphere of Earth

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पृथ्वी | Earth | पृथ्वी का इतिहास, संरचना | Atmosphere of Earth

पृथ्वी |  Earth | पृथ्वी का इतिहास, संरचना | Atmosphere of Earth

पृथ्वी Earth

पृथ्वी के नाम की उत्पत्ति Origin of Earth's name:

पृथ्वी अथवा पृथिवी एक संस्कृत शब्द हैं जिसका अर्थ ” एक विशाल धरा” निकलता हैं। एक अलग पौराणिक कथा के अनुसार, महाराज पृथु के नाम पर इसका नाम पृथ्वी रखा गया। इसके अन्य नामो में- धरा, भूमि, धरित्री, रसा, रत्नगर्भा इत्यादि सम्मलित हैं। अन्य भाषाओ इसे जैसे- अंग्रेजी में अर्थ(Earth) और लैटिन भाषा में टेरा (Terra) कहा जाता हैं। हालकि सभी नामो में इसका अर्थ लगभग सामान ही रहा हैं।

पृथ्वी का इतिहास: History of Earth

पृथ्वी का इतिहास 4.6 बिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी ग्रह के निर्माण से लेकर आज तक के इसके विकास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं और बुनियादी चरणों का वर्णन करता है। पृथ्वी आकार में 5वां सबसे बड़ा ग्रह है और सूर्य से दूरी के क्रम में तीसरा ग्रह है। यह सौरमण्डल का एकमात्र ग्रह है, जिस पर जीवन है। प्राकृतिक विज्ञान की लगभग सभी शाखाओं ने पृथ्वी के इतिहास की प्रमुख घटनाओं को स्पष्ट करने में अपना योगदान दिया है। पृथ्वी की आयु ब्रह्माण्ड की आयु की लगभग एक-तिहाई है। उस काल-खण्ड के दौरान व्यापक भूगर्भीय तथा जैविक परिवर्तन हुए हैं।

पृथ्वी की संरचना Structure of Earth

  • पृथ्वी की आकृति लध्वक्ष गोलाभ (Oblate spheroid) के समान है। यह लगभग गोलाकार है जो ध्रुवों पर थोड़ा चपटी है। 
  • पृथ्वी पर सबसे उच्चतम बिंदु माउंट एवरेस्ट है जिसकी ऊँचाई 8848 मी. है। 
  • दूसरी ओर सबसे निम्नतम बिंदु प्रशांत महासागर में स्थित मारियाना खाई है जिसकी समुद्री स्तर से गहराई 10,911 मी. है। 
  • पृथ्वी की आंतरिक संरचना कई स्तरों में विभाजित है। पृथ्वी की आंतरिक संरचना के तीन प्रधान अंग हैं- ऊपरी सतह भूपर्पटी (Crust), मध्य स्तर मैंटल (mantle) और आंतरिक स्तर धात्विक क्रोड (Core)। 
  • पृथ्वी के कुल आयतन का 0.5' भाग भूपर्पटी का है जबकि 83' भाग में मैंटल विस्तृत है। शेष 16' भाग क्रोड है।

पृथ्वी की आंतरिक संरचना: internal structure of Earth

पृथ्वी की आंतरिक सरंचना कई स्तरों के तीन प्रधान अंग है- ऊपरी सतह भूपर्पटी, मध्य स्तर मैंटल और आंतरिक स्तर धात्विक क्रोड। पृथ्वी के कुल आयतन का 0.5% भाग भूपर्पटी का है जबकि 83% भाग में मैंटल विस्तृत है। शेष 16% भाग क्रोड है।
  1. भूपर्पटी (Crust) - 0.5%
  2. मैंटल (mantle)   - 83%
  3. क्रोड (Core)        - 16%


पृथ्वी |  Earth | पृथ्वी का इतिहास, संरचना | Atmosphere of Earth


1.भूपर्पटी (Crust)- 0.5%

  • भूपर्पटी पृथ्वी के सतह का बाहरी पतला परत है जिसकी मोटाई 35 से 40 किमी है। महासागरीय एवं महाद्वीपों के आधार पर भूपर्पटी की मोटाई अलग अलग है।
  • महासागर के नीचे भूपर्पटी 5 से 30 किमी मोटा है एवं महाद्वीप वाले भागों में 35 से 40 किमी तक मोटा है। जिन भागों में पहाड़ है वहां भूपर्पटी की मोटाई और अधिक हो सकती है।
  • हिमालय पर्वत श्रृंखला वाले भाग में भूपर्पटी की मोटाई 70 से 100 किमी तक पाई गयी है।
  • भूपर्पटी पृथ्वी के भार का 5 से 10 प्रतिशत हिस्सा है। मोहोरोविकिक (मोहो) डिस्कन्टिन्यूइटी भूपर्पटी एवं मेंटल के एस्थेनोस्फेयर भाग के बीच की सीमा है।
  • भूपर्पटी का बाहरी भाग सेडेमेंटरी पदार्थों से बना हुआ है जिनमे ग्रेनाइट के पत्थर प्रमुख हैं। उसके नीचे क्रिस्टलाइन, मेटामॉरफिक एवं सेडीमेंटरी पत्थर हैं जो अम्लीय प्रकार के होते हैं।
  • भूपर्पटी के निचले स्तर बेसाल्टिक एवं अल्ट्रा बेसिक पत्थरों से मिलकर बने हुए हैं।
  • महाद्वीप भाग में भूपर्पटी के परत हलके सिलिकेट (सिलिकॉन एवं एल्युमीनियम के मिश्रण से बने पदार्थ) एवं महासागरीय भाग में भारी सिलिकेट या सीमा (सिलिकॉन एवं मैग्नीशियम के मिश्रण से बने पदार्थ) पाए जाते हैं।

2.मैंटल (mantle)- 83%

  • पृथ्वी के सतह से 35 किमी नीचे मोहो डिस्कन्टिन्यूइटी से शुरू होता है एवं 2900 किमी तक (मोहो डिस्कन्टिन्यूइटी बाहरी कोर) गहरा है।
  • मेंटल का सबसे ऊपरी परत एस्थेनोस्फेयर कहलाता है जो मोटाई में 10 से 200 किमी तक है। मेंटल का निचला स्तर इसके नींचे से शुरू होता है।
  • इस स्तर में मेंटल का घनत्व 2.9 से 3.3 के बीच रहता है। यह ठोस पत्थर एवं मैग्मा से मिलकर बना हुआ है। मेंटल पृथ्वी के आयतन का 83 प्रतिशत भाग है।
  • मेंटल का बाहरी भाग सीमैटिक (सिलिकॉन+ मेग्नीशियम के पत्थर से बना हुआ) एवं आंतरिक परत पूरी तरह से सीमैटिक अल्ट्रा बेसिक पत्थरों से मिलकर बना हुआ है। काफी
  • एस्थेनोस्फेयर एस्थो शब्द का मतलब कमजोर होता है। एस्थेनोस्फेयर क्रस्ट के निचले स्तर से शुरू होता है एवं मेंटल के शुरुआती स्तर तक मौजूद रहता है।
  • इसका फैलाव 400 किमी तक हो सकता है। यह मैग्मा का प्रमुख स्रोत है जहाँ से मैग्मा शुरू होता है एवं सक्रिय ज्वालामुखी के द्वारा पृथ्वी के सतह तक पहुँचता है। एस्थेनोस्फेयर का घनत्व क्रस्ट से काफी ज्यादा है।

3.क्रोड (Core)- 16%

  • क्रोड का परत पृथ्वी के सतह से 2900 से 6400 किमी नीचे शुरू होता है। यह पृथ्वी के आयतन का 16 प्रतिशत भाग है।
  • क्रोड वाले परत में कुछ बहुत भारी धातु मौजूद हैं जिनका आयतन एवं घनत्व बहुत मात्रा में होता है। यहाँ लोहा एवं निकेल धातुओं की मौजूदगी सबसे ज्यादा है।
  • क्रोड का बाहरी हिस्सा द्रव्य रूप में है एवं आंतरिक हिस्सा ठोस है। बहुत सारे भारी धातु का मिश्रण एवं सिलिकेट क्रोड को दूसरी परत से क्रोड में आ जाते है।

पृथ्वी दिवस का इतिहास: History of Earth Day

पृथ्वी दिवस पूरे विश्व में 22 अप्रॅल को मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस को पहली बार सन् 1970 में मनाया गया था। इसका उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाना था।

पृथ्वी की रासायनिक संरचना Chemical Composition of Earth

पृथ्वी का निर्माण
  1. आयरन (32.1 %), 
  2. ऑक्सीजन (30.1 %), 
  3. सिलिकॉन (15.1 %), 
  4. मैग्नीशियम (13.9 %), 
  5. सल्फर (2.9 %), 
  6. निकिल (1.8 %), 
  7. कैलसियम (1.5 %) 
  8. अलम्युनियम (1.4 %) 
  9. अन्य  1.2 %
से हुआ है। इसके  अन्य तत्वों का भी योगदान है। क्रोड का निर्माण लगभग 88.8 फीसदी आयरन से हुआ है। भूरसायनशास्त्री एफ. डल्ब्यू, क्लार्क के अनुसार पृथ्वी की भूपर्पटी में लगभग 47 फीसदी ऑक्सीजन है।
धरती का घनत्व पूरे सौरमंडल मे सबसे ज्यादा है। बाकी चट्टानी ग्रह की संरचना कुछ अंतरो के साथ पृथ्वी के जैसी ही है। चन्द्रमा का केन्द्रक छोटा है, बुध का केन्द्र उसके कुल आकार की तुलना मे विशाल है, मंगल और चंद्रमा का मैंटल कुछ मोटा है, चन्द्रमा और बुध मे रासायनिक रूप से भिन्न भूपटल नही है, सिर्फ पृथ्वी का अंत: और बाह्य मैंटल परत अलग है। ध्यान दे कि ग्रहो (पृथ्वी भी) की आंतरिक संरचना के बारे मे हमारा ज्ञान सैद्धांतिक ही है।

पृथ्वी की गतियाँ Movements of the earth

पृथ्वी अपने अक्ष पर निरंतर घूमती रहती है। इसकी दो गतियां है-
  1. घूर्णन: पृथ्वी के अक्ष पर चक्रण को घूर्णन कहते हैं। पृथ्वी पश्चिम से पूर्व दिशा में घूमती है और एक घूर्णन पूरा करने में 23 घण्टे, 56 मिनट और 4.091 सेकेण्ड का समय लेती है। इसी से दिन व रात होते हैं।
  2. परिक्रमण: पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अंडाकार पथ पर 365 दिन, 5 घण्टे, 48 मिनट व 45.51 सेकेण्ड में एक चक्कर पूरा करती है, जिसे उसकी परिक्रमण गति कहते हैं। पृथ्वी की इस गति की वजह से ऋतु परिवर्तन होता है।

पृथ्वी की सतह Surface of Earth

  • पृथ्वी की कुल सतह क्षेत्र लगभग 510 मिलियन Km2 (197 मिलियन वर्ग मील) है। 
  • जिसमे से 70.8%, या 361.13 मिलियन Km2  (139.43 मिलियन वर्ग मील) क्षेत्र समुद्र तल से नीचे है और जल से भरा हुआ है। 
  • महासागर की सतह के नीचे महाद्वीपीय शेल्फ का अधिक हिस्सा है, महासागर की सतह, महाद्वीपीय शेल्फ, पर्वत, ज्वालामुखी, समुद्री खंदक, समुद्री-तल दर्रे, महासागरीय पठार, अथाह मैदानी इलाके, और मध्य महासागर रिड्ज प्रणाली से बहरी पड़ी हैं। 
  • शेष 29.2% (148.94 मिलियन किमी2, या 57.51 मिलियन वर्ग मील) जोकि पानी से ढंका हुआ नहीं है, जगह-जगह पर बहुत भिन्न है और पहाड़ों, रेगिस्तान, मैदानी, पठारों और अन्य भू-प्राकृतिक रूप में बटा हुआ हैं।
  • भूगर्भीय समय पर धरती की सतह को लगातार नयी आकृति प्रदान करने वाली प्रक्रियाओं में विवर्तनिकी और क्षरण, ज्वालामुखी विस्फोट, बाढ़, अपक्षय, हिमाच्छेद, प्रवाल भित्तियों का विकास, और उल्कात्मक प्रभाव इत्यादि सम्मलित हैं।
  • महाद्वीपीय परत, कम घनत्व वाली सामग्री जैसे कि अग्निमय चट्टानों ग्रेनाइट और एंडसाइट के बने होते हैं। वही बेसाल्ट प्रायः काम पाए जाने वाला, एक सघन ज्वालामुखीय चट्टान हैं जोकि समुद्र के तल का मुख्य घटक है। अवसादी शैल, तलछट के संचय बनती है जोकि एक साथ दफन और समेकित हो जाती है।
  • महाद्वीपीय सतहों का लगभग 75% भाग अवसादी शैल से ढका हुआ हैं, हालांकि यह सम्पूर्ण भू-पपटल का लगभग 5% हिस्सा ही हैं। 
  • पृथ्वी पर पाए जाने वाले चट्टानों का तीसरा रूप कायांतरित शैल है, जोकि पूर्व-मौजूदा शैल के उच्च दबावों, उच्च तापमान या दोनों के कारण से परिवर्तित होकर बनता है। 
  • पृथ्वी की सतह पर प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले सिलिकेट खनिजों में स्फटिक, स्फतीय (फेल्डस्पर्स), एम्फ़िबोले, अभ्रक, प्योरॉक्सिन और ओलिविइन शामिल हैं। आम कार्बोनेट खनिजों में कैल्साइट (चूना पत्थर में पाए जाने वाला) और डोलोमाइट शामिल हैं।
  • भूमि की सतह की ऊंचाई, मृत सागर में सबसे कम -418 मीटर, और माउंट एवरेस्ट के शीर्ष पर सबसे अधिक 8,848 मीटर है। 
  • समुद्र तल से भूमि की सतह की औसत ऊंचाई 840 मीटर है। 
  • पेडोस्फीयर पृथ्वी की महाद्वीपीय सतह की सबसे बाहरी परत है और यह मिट्टी से बना हुआ है तथा मिट्टी के गठन की प्रक्रियाओं के अधीन है। 
  • कुल कृषि योग्य भूमि, भूमि की सतह का 10.9% हिस्सा है, जिसके 1.3% हिस्से पर स्थाईरूप से फसलें ली जाती हैं।
  • धरती की 40% भूमि की सतह का उपयोग चारागाह और कृषि के लिए किया जाता है।

पृथ्वी का वायुमण्डल Atmosphere of Earth

  • पृथ्वी के वातावरण मे 77% नायट्रोजन, 21% आक्सीजन, और कुछ मात्रा मे आर्गन, कार्बन डाय आक्साईड और जल बाष्प है। 
  • पृथ्वी पर निर्माण के समय कार्बन डाय आक्साईड की मात्रा ज्यादा रही होगी जो चटटानो मे कार्बोनेट के रूप मे जम गयी, कुछ मात्रा मे सागर द्वारा अवशोषित कर ली गयी, शेष कुछ मात्रा जीवित प्राणियो द्वारा प्रयोग मे आ गयी होगी। 
  • प्लेट टेक्टानिक और जैविक गतिविधी कार्बन डाय आक्साईड का थोड़ी मात्रा का उत्त्सर्जन और अवशोषण करते रहते है। 
  • कार्बनडाय आक्साईड पृथ्वी के सतह का तापमान का ग्रीन हाउस प्रभाव द्वारा नियंत्रण करती है। 
  • ग्रीन हाउस प्रभाव द्वारा पृथ्वी सतह का तापमान 35 डीग्री सेल्सीयस होता है अन्यथा वह -21 डीग्री सेल्सीयस से 14 डीग्री सेल्सीयस रहता; इसके ना रहने पर समुद्र जम जाते और जीवन असंभव हो जाता। 
  • जल बाष्प भी एक आवश्यक ग्रीन हाउस गैस है।Ea

पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र Magnetic Field of Earth 

पृथ्वी का अपना चुंबकिय क्षेत्र है जो कि बाह्य केन्द्रक के विद्युत प्रवाह से निर्मित होता है। सौर वायू, पृथ्वी के चुंबकिय क्षेत्र और उपरी वातावरण मीलकर औरोरा बनाते है। इन सभी कारको मे आयी अनियमितताओ से पृथ्वी के चुंबकिय ध्रुव गतिमान रहते है, कभी कभी विपरित भी हो जाते है। पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र और सौर वायू मीलकर वान एण्डरसन विकिरण पट्टा बनाते है, जो की प्लाज्मा से बनी हुयी डोनट आकार के छल्लो की जोड़ी है जो पृथ्वी के चारो की वलयाकार मे है। बाह्य पट्टा 19000 किमी से 14000 किमी तक है जबकि अतः पट्टा 13000 किमी से 7600 किमी तक है।

पृथ्‍वी प्रणाली वि‍ज्ञान संगठन Earth Systems Science Organization

भारत में पृथ्‍वी के वि‍भि‍न्‍न घटकों के बीच मजबूत संबंधों, उदाहरणार्थ वातावरण, महासागर, साइरो‑स्‍फीयर और जि‍यो‑स्‍फीयर, के महत्‍व को स्‍वीकार करते हुए पृथ्‍वी वि‍ज्ञान मंत्रालय को 2006 में गठि‍त कि‍या गया था। इसके तुरंत बाद वर्ष 2007 में एक वास्‍तवि‍क संगठन अस्‍ति‍त्‍व में आया। यह था – पृथ्‍वी प्रणाली वि‍ज्ञान संगठन (Earth System Sciences Organisation / ESSO) जो मंत्रालय का प्रशासनि‍क अंग था।

इसके अंतर्गत भू वि‍ज्ञानों की तीन प्रमुख शाखाएं हैं –
  1. महासागर वि‍ज्ञान एवं प्रौद्योगि‍की
  2. वातावरण वि‍ज्ञान एवं प्रौद्योगि‍की 
  3. भू वि‍ज्ञान एवं प्रौद्योगि‍की।
इस प्रयास का एकमात्र उद्देश्‍य था पृथ्‍वी की प्रक्रि‍याओं संबंधी वि‍भि‍न्‍न पक्षों पर आमूल वि‍चार करना जिससे पृथ्‍वी प्रणाली की वि‍भि‍न्‍नताओं को समझा जा सके और मौसम, जलवायु तथा जोखि‍मों की भवि‍ष्‍यवाणी में सुधार कि‍या जा सके।Eart

पृथ्वी से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य Important facts related to Earth:

  • पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है।
  • रोजाना 4500 बादल पृथ्वी पर गरजते हैं।
  • सूरज धरती का सबसे पास का तारा है।
  • धरती पे मौजूद हर जीव में कार्बन जरूर है।
  • पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 1º/2 झुकी हुई है।
  • रोजाना 4500 बादल पृथ्वी पर गरजते हैं।
  • पृथ्वी 1670 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से घूमती है।
  • आकार एवं बनावट की दृष्टि से पृथ्वी शुक्र के समान है।
  • पृथ्वी के 29% भाग भू-भाग है और 71% पानी ही पानी है।
  • सूर्य का प्रकाश धरती पर पहुँचने में 8 मिनट 18 सेकंड लगते हैं।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी की कुल उम्र 4 .6 अरब वर्ष मानी गई हैं।
  • पृथ्वी पर मापा गया सबसे कम तापमान  – 89. 2  डिग्री सेल्सियस है।
  • सौरमंडल में पृथ्वी आकार में सबसे बड़े ग्रहों में पांचवे स्थान पर आती है।
  • दुनिया के छह बड़े देश ऐसे हैं जिन्होंने धरती का 40% हिस्सा घेरा हुआ है।
  • हर एक सेकंड पृथ्वी पर कहीं न कहीं 100 बार आसमानी बिजली गिरती है।
  • सौरमंडल में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन का अस्तित्व है।
  • पृथ्वी अपना एक चक्कर 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकंड्स में पूरा करती है।
  • पृथ्वी आकाश गंगा का टैकटोनिक प्लेटों की व्यवस्था  वाला एकमात्र ग्रह है।
  • सूरज को फुटबाल मानने पर हमारी धरती कांच की छोटी गोली की तरह होगी।
  • अगर चन्द्रमा पृथ्वी का उपग्रह नहीं होता तो धरती पर दिन लगभग 30 घंटों का होता।
  • वैज्ञानिकों ने Radiometic Dating Method के द्वारा पृथ्वी की उम्र का पता लगाया है।
  • पृथ्वी पर 1 सेकेंड में 100 बार और हर दिन 80.6 लाख बार आकाशीय बिजली गिरती है।
  • पृथ्वी पर 97 % पानी खारा है या पीने लायक नहीं है और मात्र  3% ही पीने लायक साफ़ पानी है।
  • पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण शक्ति के कारण पर्वतों का 15,000 मीटर से ऊँचा हो पाना संभव नही है।
  • जल की उपस्थिति तथा अंतरिक्ष से नीला दिखाई देने के कारण इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है।
  • इसका विषुवतीय / भूमध्यरेखीय व्यास 12,756 किलोमीटर और ध्रुवीय व्यास 12,714 किलोमीटर है।
  • पृथ्वी के भू-भाग का सिर्फ 11 प्रतीशत हिस्सा ही भोजन उत्पादित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • पृथ्वी के केंद्र में इतना सोना मौजूद है जिससे 1.5 फीट की चादर से धरती की पूरी सतह को ढंका जा सकता है।
  • 1989 में रूस में मनुष्य द्वारा सबसे ज्यादा गहरा गड्ढा खोदा गया था। जिसकी गहराई 12.262 किलोमीटर थी।
  • अंतरिक्ष में मौजूद कचरे का एक टुकड़ा हर दिन पृथ्वी पर गिरता है। यह अनुमान नासा के वैज्ञानिकों ने लगाया है।
  • धरती पर हर साल 5 लाख भूकंप आते हैं। इनमें से एक लाख भूकंप सिर्फ महसूस किए जाते हैं जबकि 100 विनाशकारी होते हैं।
  • पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल इतना जायदा है की जिसके कारण कोई भी पर्वत 15,000 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई नहीं छु सकता।
  • सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा ‘प्रॉक्सीमा सिंटोरी’ है, जो अल्फा सिंटोरी समूह का एक तारा है। यह पृथ्वी से 4.22 प्रकाश वर्ष दूर है।
  • पृथ्वी की एक फोटो 3.7 बिलियन मील की दूरी से ली गयी थी। जिसका नाम ‘पेल ब्ल्यू डॉट’ है। यह अब तक की सबसे अधिक दूरी से ली गई धरती की तस्वीर है।
  • माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई समुद्र स्तर से 8850 मीटर है।पर अगर बात करें पृथ्वी के केंद्र से अंतरिक्ष की दूरी की तो हम पाते हैं कि सबसे ऊंचा पर्वत इक्वाडोर का माउंट चिम्बोराजो है। इसकी ऊंचाई 6310 मीटर है।
  • सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में धरती को 365 दिन और 6 घंटे का समय लगता है। 6 घंटे जोड़-जोड़ कर जो एक दिन बढ़ता है। वह हर चौथे साल फ़रवरी में जोड़ दिया जाता है। वही फ़रवरी का महीना 29 दिन का होता है।
  • हर वर्ष लगभग 30,000 आकाशीय पिंड धरती के वायुमंडल मे दाखिल होते हैं। पर इनमें से ज्यादातर धरती के वायुमंडल के अंदर पहुँचने पर घर्षण के कारण जलने लगते है जिन्हें कई लोग ‘टूटता रा’ कह कर पुकारते हैं।
  • पृथिवी अथवा पृथ्वी का नाम पौराणिक कथा पर आधारित है जिसका संबंध महाराज पृथु से है। अन्य नाम हैं – धरा, भूमि, धरित्री, रसा, रत्नगर्भा इत्यादि। पृथ्वी का अंग्रेजी में नाम Earth (अर्थ) और लेटिन भाषा में टेरा है।
  • पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन, इसकी कक्षा पर झुके होने के कारण तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानि वार्षिक गति के कारण होती है। वार्षिक गति के कारण ही पृथ्वी पर दिन–रात छोटा–बड़ा होता है।
  • पृथ्वी प्रणाली विज्ञान (Earth system science) के अंतर्गत पृथ्वी के विभिन्न घटकों, अर्थात वातावरण, समुद्रों, क्रायोस्फीयर, भूमंडल और जीवमंडल के बीच जटिल संबंधों की समझ शामिल है। पृथ्वी प्रणाली के बारे में जानकारी से, जलवायु, मौसम और प्राकृतिक खतरों की भविष्यवाणी में सुधार करने में मदद प्राप्त होती है।

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