
छत्तीसगढ़ की बाँध परियोजना और एनीकेट
Chhattisgarh dam project and annex
छत्तीसगढ़ की बाँध परियोजना और एनीकेट
छत्तीसगढ़ राज्य की प्रमुख फसल धान है, जिसके लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है। Chhattisgarh dam project राज्य मे मार्च 2013 तक 8 वृहद, 33 मध्यम एवं 2390 परियोजनाएँ पूर्ण हो चुकी है। इन परियोजनाओं के अलावा, 3 वृहद, 6 माध्यम और 430 लघु सिंचाई परियोजना निर्माणाधीन है। 2000-2001 मे छत्तीसगढ़ की कुल सिंचाई13.40 लाख हैक्टेयर जो 23.15% थी। 2013 तक 18.78 लाख हैक्टेयर हो चुका है। सिंचित क्षेत्र का 60% भाग नहरों से किया जाता है। सुनियोजित तरीके से जल संसाधनो का विकास करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा "जल संसाधन विकास नीति 2012 बनाई गई।
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सुरुवात के सिंचाई परियोजनाओं के नाम
- 1901 - भारतीय सिंचाई आयोग ने इस क्षेत्र को अकाल से बचने तथा विकास हेतु प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और रायपुर वृत्त द्वारा 5 बड़े तालाब खोदवाये गए।
- 1910 - तांदुला नहर निर्माण आरम्भ, 1920 में बना।
- 1923 - मॉडमसिल्ली / मुरूमसिल्ली जलाशय।
- 1924 - मनियारी परियोजना, 1930 में तैयार।
- 1931 - खारंग टैंक।
रिवर लिंकिंग परियोजना
इस परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ की नदियों को जोड़ कर अतिरिक्त सिचाई सुविधा उपलब्ध कराना है। इस परियोजना के अंतर्गत अहिरन-खूंटाघाट और हसदेव-केवई परियोजना है।==============================
Chhattisgarh Dam Project
1) महानदी परियोजना
गंगरेल बांध Gangrel Dam
- गंगरेल बांध / रविशंकर सागर जलाशय (धमतरी) गंगरेल बांध
- गंगरेल बांध छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की महानदी पर बना हुआ है।
- इसे रविशंकर जलाशय के नाम से भी जाना जाता है।
- यह छत्तीसगढ़ के प्रमुख बांधों में से एक है। गेटों की संख्या 14 है
- छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा बांध "रावीशंकर बांध" है।
- इसकी स्थापना महानदी पर धमतरी ग्राम मे 1979 मे की गई थी।
माडमसिल्ली जलाशय (धमतरी) Madamsili reservoir
- मदमसिल्ली बांध मुर्रुमसिल्ली बांध के नाम से भी जाना जाता है।
- यह बांध महानदी नदी की सहायक नदी सिल्लआरी पर बनाया गया है,
- इसे 1914 और 1923 के बीच बनाया गया था।
- बांध रायपुर, और राजधानी छत्तीसगढ़ से लगभग 95 किमी दूर पर स्थित है।
- धमतरी मे सिलयारी नदी पर स्थित यह जलाशय छत्तीसगढ़ का प्रथम सायफन परियोजना है।
रुद्री पिक-अप वियर (धमतरी) Rudri Pick-up Wear
- ब्रिटिश शासन काल के दौरान रुद्री में महानदी पर बैराज का निर्माण किया गया था।
- जल संसाधन विभाग के अनुसार 1915 में यह बैराज तैयार हुआ।
- यहां ब्रिटिश कालीन तकनीक और स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना देखा जा सकता है।
- बड़े-बड़े पत्थरों को साइज से काटकर इनकी जोड़ाई चूने से की गई थी, जो अब मजबूत स्थिति में है, लेकिन रुद्री बैराज चार जिलों की जीवन रेखा है। इनमें धमतरी जिले के साथ बालोद, रायपुर, बलौदाबाजार जिले शामिल हैं।
- इस बैराज से महानदी मुख्य नहर के जरिए 6 लाख 60 हजार एकड़ खेतों की फसलों को सिंचाई सुविधा मिल रही है,
- साथ ही सैकड़ों गांवों और रायपुर-धमतरी शहर के लोगों को पेयजल व निस्तारी सुविधा उपलब्ध हो रही है।
- फसलों की सिंचाई के लिए बैराज से 116 किमी लंबी मुख्य नहर बनाई गई है।
दुधावा जलाशय (कांकेर) Dudhwa Reservoir
- दुधवा बांध भारत में छत्तीसगढ़ राज्य के कांकेर जिले में स्थित है।
- बांध का निर्माण 1953 ई. में शुरू हुआ और 1963 ई. में समाप्त हुआ।
- इस बांध की ऊंचाई 24 .53 मीटर और लंबाई 2906.43 मीटर है।
- दुधवा बांध, सिहावा पर्वत से 21 किमी और कांकेर से 30 किमी दूर स्थित दुधवा गांव में महानदी नदी पर बनाया गया है।
महानदी काम्प्लेक्स Mahanadi Complex
विश्व बैंक की सहायता से 1980-81 मे महानदी कॉम्प्लेक्स की स्थापना किया गया। इसके अंतर्गत निम्न परियोजनाएँ है।- सोंढूर परियोजना - 1989 - सोंढूर ग्राम ( धमतरी )।
- सिकासार परियोजना - 1995 - पैरी नदी पर सिकासार ग्राम, गरियाबंद।
2) हसदेव बांगो / मिनीमाता बहुद्देशीय परियोजना (कोरबा)
Hasdev Bango / Minimata Multipurpose Project (Korba)
- छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में हस्देओ बैंगो बांध का निर्माण हस्देओ नदी पर किया गया है
- छत्तीसगढ़ में पर्यटन के लिए यह बांध प्रसिद्ध है।
- इस बांध में 120 मेगावाट की पनबिजली संयंत्र मचाडोली है।
- हस्देओ बैंगो बांध, आकर्षक पहाड़ियों के बीच स्थित, एक आदर्श पिकनिक स्थान है।
- बांध लगभग 555 मीटर लंबा है और इसमें 11 गेट हैं, जिनमें से 10 परिचालन हैं।
- हस्देओ बैंगो बांध, मिनीमाता (हस्देओ) बैंगो बांध के रूप में जाना जाता है।
- हस्देओ बैंगो हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट, हस्देओ नदी के बाएं किनारे गांव माचडोली, कटघोरा, कोरबा में स्थित है।
- यह परियोजना बहुउद्देशीय उपयोग के लिए डिज़ाइन की गई है।
- योजना आयोग ने मार्च 1961-62 में योजना को मंजूरी दी थी।
- हस्देओ बैंगो बांध एल्यूमिनियम प्लांट, एसईसीएल, एनटीपीसी, सीएसपीजीसीएल, कोरबा टाउन और अन्य औद्योगिक इकाइयों की पानी की आवश्यकता को पूरा करती है।
- यह कोरबा जिले से 70 किमी दूर स्थित है। इसमें 6,730 वर्ग किमी का एक जलग्रहण क्षेत्र है।
3) खूटाघाट / संजय गाँधी जलाशय (बिलासपुर)
Khutaghat / Sanjay Gandhi Reservoir (Bilaspur)
- यह छत्तीस़़गढ राज्य के बिलासपुर जिले में है ।
- जो बिलासपुर से 33 कि मी और धार्मिक नगरी रतनपुर से 12 कि मी की दूरी पर स्थित हैं ।
- इसे संजय गांधी जलाशय/बांध के नाम से भी जाना जाता हैं ।
- बिलासपुर- अम्बिकापुर हाईवे से लगा हुआ है। खारांग नदी पर बनाया गया है ।
- पानी की कमी की वजह से अंग्रेजो ने 1930 में बनाया था ।
- प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
- जल, जंगल, हरियाली से घिरा हुआ है ।
- ठंडी-ठंडी हवा रोमांस पैदा करता है, सूर्योदय के समय बहुत ही खूबसूरत दृश्य देखने को मिलता है।
- जलाशय के नीचे छोटा सा सुन्दर उद्यान और ऊपर पहाड़ के चोटी पर रेस्ट हाऊस बनाया गया है।
- बांध के मध्य में एक मंदिर है जो करीब छ माह तक डूबा ही रहता हैं।
- कोशिश करें कि सुबह पहुंचे ताकि सुबह की सूर्योदय के खूबसरत नजारा को देख सके।
- बारिश के मौसम में बांध से पानी लबालाब पानी छलकता रहता है।
- पिकनिक स्पॉट के लिए बहुत अच्छा जगह है ।
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3) तांदुला परियोजना (बालोद) Tandula Project (Balod)
- तांदुला जलाशय तांदुला नदी और सूखा नाला के संगम पर स्थित प्रदेश का प्रथम नदी परियोजना तांदुला परियोजना का निर्माण ब्रिटिश अभियंता एडम स्मिथ के मार्गदर्शन में वर्ष 1910 से 1920 के बीच पूरा हुआ।
- यह छत्तीसगढ़ का तीसरा सबसे बड़ा जलाशय है।
तांदुला काम्प्लेक्स परियोजना Tandula Complex Project
गोंदली जलाशय(Gondli Dam)
- तथा खरखरा जलाशय से भी जोड़ा गया।
- इससे BSP भिलाई को पानी दिया जाता है।
- इस जलाशय को 9 किलोमीटर लंबी नहर के द्वारा तांदुला से जोड़ा गया।
- इसलिए पास के ही जुंझार/जुहार नाले पर गोंदली जलाशय का निर्माण बालोद जिले में किया गया।
- वर्ष 1957 में यह महसूस किया गया कि तांदुला जलाशय का पानी आवश्यकताओं को पूर्ण नही कर रही है।
खरखरा जलाशय(Kharkhara Dam)
- बालोद जिले में खरखरा नदी पर स्थित पुर्णतः मिट्टी से निर्मित जलाशय है। इसकी लाम्बई लगभग 1128 मीटर है।
- यह एक सायफन परियोजना है, इसका निर्माण 1967 में किया गया था।
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4) मोंगरा बैराज (राजनांदगांव) Mongra Barrage
- छत्तीसगढ़ प्रदेश की मोंगरा बैराज परियोजना राजनांदगांव में शिवनाथ नदी पर संचालित है।
- इस परियोजना को राजनांदगांव के अम्बागढ़ चौकी तहसील मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दुरी में स्थित है।
- दिखने में यह जलप्रपात इतना बड़ा नहीं लगता है परन्तु जल भराव क्षेत्र अधिक है।
- इसका जल स्तर क्षेत्र 712.24 वर्ग किलोमीटर है।
- अधिकतम जल सतह 337.15 मीटर है।
- इस बांध की लम्बाई 1590 मीटर है जिसमे 182.05 मीटर पक्का है तथा ऊंचाई 15.90 मीटर है।
- इसमें महाराष्ट्र सीमा तथा आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों से अत्याधिक मात्रा में जल वर्षा आती है। जिसके कारण यह कम वर्षा में भी भर जाता है।
- इसका सक्रिय जल भराव क्षमता 32.05 मिलियन घन मीटर है। मोगरा बांध के पानी का उपयोग मुख्यतः पेयजल के रूप में किया जाता है।
- इसके जल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता राजनांदगांव, दुर्ग तथा भिलाई नगर निगम है
- स्थानीय कृषकों (लगभग 49 ग्राम) द्वारा इसके जल का उपयोग सिंचाई के लिए भी किया जाता है।
- इसका गेट आधुनिक तरीके से बनाया गया है तथा इसके गेट की बनावट गंगरेल बांध की भांति ही है।
- इस बांध के दरवाजों की संख्या 10 है एक दरवाजा 10.50 X 8.55 मीटर है तथा इसके 2 दरवाजे खोल देने से शिवनाथ नदी में बाढ़ आ जाती है
5 खुड़िया / राजीव गांधी जलाशय
Khudia / Rajiv Gandhi Reservoir
- इस जलाशय का निर्माण तीन प्राकृतिक पहाड़ियों को जोड़कर किया गया है। इन तीनों पहाड़ियो के मध्य से होकर मनियरी नदी बहती है।
- अंग्रेजी शासन काल में कृषि की संभावनाओं को देखते हुये इन तीन पहाड़ियों को जोड़कर बांध बनाने की प्रक्रिया 1927 मे शुरू हुयी, जो तीन साल बाद 1930 मे पूरी हुयी बाद मे इसका नाम राजीव गांधी जलाशय कर दिया गया।
- खुड़िया ग्राम मे यह बांध निर्मित होने के कारण यह बांध खुड़िया जलाशय के नाम से भी जाना जाता है। मुंगेली लोरमी एवं ब्लॉक के किसान कृषि के लिए मुख्यतः राजीव गांधी जलाशय पर ही आश्रित है।
- खुड़िया बांध छत्तीसगढ़ में मुंगेली जिले के लोरमी विकासखण्ड में स्थित है।
- मुंगेली से तकरीबन 45 किलोमीटर दूर है।
- इसका आधिकारिक नाम राजीव गांधी जलाशय है।
- यह एक रमणीय स्थल है जो चारो ओर से वनाच्छाादित है तथा इसके उत्तर पश्चिम दिशा में पर्वत श्रृखला है
- यह बांध मनियारी नदी पर अंग्रेजो के शासनकाल में तैयार की गई है।
- तथा यहां पर रेस्ट हाउस भी उपलब्ध है।
- यहां जाने के लिए हम छत्तीसगढ के राजधानी रायपुर से सीधे बस के माध्यम से जा सकते है।
- निकटतम रेलवे स्टेशन कोटा व बिलासपुर हैं।
- बाँध के दक्षिण भाग से एक नहर निकलता है, जो पुरे लोरमी क्षेत्र को सिन्चित करता है आज के दिनों में वो अपने में बहोत बडा उपलब्धि है |
- यह प्राकृतिक सौन्दर्य का अपार खजाना है |
- बांध के पूर्वी भाग में थोड़ी उचाई में रेस्ट हॉउस है, जिसमे दार्शनिक बड़े आनंद के साथ मनोरंजन करते है
- उसके नीचे में खुडिया की पूरी बस्ती बसी है।
6) कुम्हारी बांध Kumhari Dam
- महानदी की सहायक नाला बंजारी नाला पर स्थित है।
- इस बांध के पानी का इस्तेमाल रायपुर जिले में सिंचाई के लिए किया जाता हैं।
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7) किंकरी बांध Kinkari Dam
- यह बांध किंकरी नाला में स्थित है।
- इसका निर्माण 1982 में हुआ था।
- सरंगढ़ क्षेत्र में इस बांध से सिंचाई की जाती है।
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8) केलो / दिलीप सिंह जूदेव परियोजना (रायगढ़)
8) केलो / दिलीप सिंह जूदेव परियोजना (रायगढ़)
Kelo / Dilip Singh Judeo Project
- रायगढ़ जिले में 22 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि की प्यास बुझाने के लिए लाखा में बनाए गए केलो डेम को अब स्व. दिलीप सिंह जूदेव के नाम से जाना जाएगा।
- दो जिले के करीब 175 गांवों में सिंचाई व्यवस्था दुरूस्त करने केलाे परियोजना की शुरुआत जनवरी 2008 से की गई थी।
- जिस पर डेम और मुख्य नहरों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। डेम का पानी खेतों तक पहुंचाने के लिए सहायक नहरों का काम शेष है। जिसे पूरा इस वित्तीय वर्ष के भीतर पूरा किया जाना है। उल्लेखनीय है कि इसके नामकरण को लेकर काफी विवाद हुआ था।
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अन्य परियोजनाएं
अन्य परियोजनाएं
- 9) कोडार / वीर नारायण सिंह परियोजना ( महासमुंद) Kodar / Veer Narayan Singh Project
- 10) घुनघुट्टा परियोजना (सरगुजा ) Ghoonghutta Project (Surguja)
- 11) महान परियोजना (सरगुजा ) Great Project (Surguja)
- 12) भैंसाझार परियोजना (बिलासपुर) Bhainsajhar Project (Bilaspur)
- 13) बोधघाट परियोजना (बस्तर) Bodhghat Project (Bastar)
- 14) छीरपानी परियोजना (कबीरधाम) Chhirapani Project (Kabirdham)
- 15) सुतियापाट परियोजना (कबीरधाम) Sutiapat Project (Kabirdham)
- 16) खेरकट्टा जलाशय (कांकेर) Kherkatta Reservoir (Kanker)
- 17) कुंअरपुर परियोजना (सरगुजा) Kunarpur Project (Surguja)
- 18) कोसारटेडा परियोजना (बस्तर) Kosaranta Project (Bastar)
- 19) मांड परियोजना (रायगढ़) Mand Project (Raigarh)
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