छत्तीसगढ़ के वाद्य यंत्र
Instruments Of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ के वाद्य यंत्र Instruments Of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ राज्य लोककला एवं संस्कृति से परिपूर्ण राज्य है। छत्तीसगढ़ की लोककला एवं संस्कृति की एक अलग ही झलक देखने को मिलती है। छत्तीसगढ़ के लोककला के अंतर्गत लोकगीत, लोकनृत्य, लोकनाट्य एवं छत्तीसगढ़ी त्यौहार आभूषण एवं व्यंजन आते है। छत्तीसगढ़ के वाद्ययंत्र बड़े सुहावने एवं मनभावन होते है
- मोहरी ,बंसी , अलगोजा ,बांस मुँह से बजने वाले वाद्य यंत्र है।
- मृदंग , मांदल, ढोलक, डफली ,गुदुम बाजा, हांथों थाप से बजने वाले वाद्य यंत्र है।
छत्तीसगढ़ के वाद्ययंत्र Instruments Of Chhattisgarh
ढोल (Drum) Dhol
ढोल (Drum) Dhol |
- इसका खोल लकड़ी का बना होता है जिसके ऊपर चमड़े को मढ़ा जाता हैं। इसके ऊपर लोहे की छोटी छोटी कड़ी लगी होती है। और चमड़े को कसने के लिए चमड़े की रस्सी या सूत की रस्सी का उपयोग किया जाता है। हाथों से बजाया जाता है।
नगाड़ा Nagada |
नगाड़ा Nagada
- पाकी हुई मिटटी की कड़ाही नुमा आकर का खोल होता है जिसके ऊपर में चमड़ा मढ़ा होता है नगाड़ा छत्तीसगढ़ में फ़ाग गीतों में उपयोग किया जाता है। नगाड़ा जोड़े में होता है ,जिसमें एक का आवाज पतला (टिन) एक का मोटा जिसे (गद) कहते है। इसे के छोटे -छोटे बजाया जाता है। जिसे बठेना कहते है।
गुदुम बाजा Gudum Baja
गुदुम बाजा Gudum Baja |
- छत्तीसगढ़ में गुदुम बाजा का विशेष स्थान है इसे मांगलिक कार्यों में या खुशीयों बजवाया जाता है।
- गुदुम बाजा एक लोहे के कड़ाही नुमा आकर का होता है जिसमे ऊपर से चमड़े का परत चढ़ा होता है।
- चमड़े के परत को चमड़े के रस्सी बंधा जाता है, चमड़े के ऊपर किनारे किनारे में तारकोल की परत चढ़ाई जाती है। और लोहे के पात्र के निचे छेद होता है जंहा से अण्डीतेल डाला जाता है।
- बजाने के लिए टायर की मोटी बठेना बनाया जाता है। जिससे पिट पिट कर बजाया जाता है।
- इसे बजाने वाले वादक को निशनहा कहा जाता है। आदिवासी क्षेत्रों में इसके दोनों तरफ बारहसिंगा के सींग को लगा दिया जाता है इस लिए इसे सींग बाजा भी कहा जाता है।
मांदर Mandar |
मांदर Mandar
- मांदर एक ऐसा वाद्ययंत्र जो छत्तीसगढ़ के सभी क्षेत्रों में बजाया जाता है कर्मा नृत्य ,हो ,पंथी नृत्य ,जसगीत ,देवार गीतों में आदि बहुत से नृत्य में बजाया जाता है।
- इसके वादक को मंदरहा कहते है।
- मांदर छत्तीसगढ़ की पारम्परिक वाद्य यंत्र है जिसे मिटटी तीन फिट लम्बा गोल एक फिट गोलाकार खोल होता है। जिसके एक तरफ की गोलाई 12 इंच और दूसरी तरफ की गोलाई 6 इंच का होता है ,जिसके ऊपर चमड़ा मढ़ा जाता है। और उसे चमड़े की रस्सी से खींच कर कसा जाता है।
- और इसको हांथों के आघात से बजाया जाता है। इसकी ध्वनि मधुर होती है।
दफड़ा Dafda
दफड़ा Dafda |
- दफड़ा लकड़ी के व्यास से तैयार कर चमड़ा मढ़ा जाता है।
- वादक उसे कंधे से लटका कर बजाता है।
- इसे दो लकड़ी के बठेना से बजाया जाता है। जिसमे एक लम्बा पतला होता है दूसरा छोटा और मोटा होता है।
मोहरी Mohari |
मोहरी Mohari
- मोहरी मुँह से फुक कर बजाने वाले वाद्ययंत्र है जो की सहनाई के जैसे होता है। जिसे बांस के टुकड़े से जाता है।
- इसका आकार बासुरी के सामान होता है जिसमे छः छेड़ होते है। और इसके अंत में पीतल का कटोरी नुमा पात्र लगा होता है जिसे ताड़ के पत्ते बजाया जाता है।
- मुख्यतः इस वाद्ययंत्र का प्रयोग गड़वा बाजा में किया जाता है ,इसके बिना गड़वा बाजा अधूरा होता है इसके वादक को मोहरिहा कहा जाता है।
झांझ Jhanjh
झांझ Jhanjh |
- झांझ प्रायः लोहे और पीतल के गोल गोल दो प्लेट के सामान होते है जिसके मध्य में छेद होता है।
- जिसमे रस्सी बांध कर बजाय जाता है।
- इसे एक एक हाथ से पकड़ कर बजाया जाता है।
मंजीरा Manjira |
मंजीरा Manjira
- मंजीरा एक महत्वपूर्ण पारम्परिक वाद्ययंत्र है जो झांझ का छोटा रूप होता है।
- इसकी आवाज झांझ की आवाज से पतला होता है। इसका उपयोग ,भजन ,फ़ाग गीत ,जसगीत में होता है।
ताशा (टिमकी) Tasha (Timki)
ताशा (टिमकी) Tasha (Timki) |
- मिटटी के छोटा बर्तन जिसका आकर कटोरेनुमा होता है। उसके ऊपर में चमड़ा की परत मढ़ा जाता है। और उसे रस्सी से निचे की कसा जाता है।
- इसे बजने के लिए लकड़ी की दो छोटे छोटे डंडों से बजाया जाता है।
- इसका उपयोग गुदुम बाजा ,में नगाड़े के साथ फ़ाग गीत में ज्यादातर किया जाता है।
करताल Kartal
करताल Kartal |
- छत्तीसगढ़ की पारम्परिक वाद्य यंत्र है। जिसका उपयोग मुख्यतः पंडवानी और भरथरी गायन में गायक या गायिका द्वारा किया जाता है।
- ये लकड़ी की बनी होती है। जिसकी लम्बाई 11 अंगुल होता है इसके दो भाग होते है। और उसके अंदर छोटे छोटे धातु के टुकड़े होते है जिसे उंगलीयों में फसा कर बजाया जाता है।
बासुरी (flute) Basuri
बासुरी (flute) Basuri |
- छत्तीसगढ़ की बहुत ही प्रचलित वाद्य यंत्र है जिसे यादव (रावत) जाती के लोग इसका मुख्य मरूप से वादन करते है।
- इसका निर्माण बॉस के लकड़ी से किया जाता है ,बांसुरी का प्रयोग छत्तीसगढ़ के प्रायः सभी लोक गीतों में प्रयोग होता है।
- इसमें आठ छिद्र होते है। जिन्हे हाथ की उंगली से स्वर के आधार पर चलाया जाता है। मुँह दे द्वारा हवा फुक कर बजाय जाता है।
बांस वाद्ययंत्र Bamboo instruments |
बांस वाद्ययंत्र Bamboo instruments
- इस वाद्ययंत्र का यादव (रावत) जाती द्वारा गाए जाने वाले बांस गीत में प्रयोग होता है।
- इसे बांस के टुकड़े से तैयार किया जाता है। और मुँह से फंक बजाया जाता है।
- ये बांसुरी का ही दूसरा रूप कहा जा सकता है।
अलगोजा Alagoja |
अलगोजा Alagoja
- बांस का बाना बांसुरी जैसा वाद्य यंत्र है। जिसे बांस गीत गाते समय बांस के साथ बजाया जाता है।
- इसे मुख्य रूप से इसे अहीर समुदाय द्वारा बजाया जाता है।
डफली Duffley |
डफली Duffley
- डफली या खंजरी ढाई इंच चौंडी लकड़ी के बानी परिधि के एक ओर चमड़ा मढ़ा जाता है। और दूसरी ओर खुला रहता है।
- इसे एक हाथ में पकड़ कर दूसरे हाथ से थाप देकर बजाया जाता है।
तम्बूरा Tambara |
तम्बूरा Tambara
- तम्बूरा छत्तीसगढ़ लोक पंडवानी के दोनों प्रकार के शैलियों में प्रयोग किया जाता है। ये एक तंतु यंत्र है जिसमे घोड़े की पूंछ की बाल या धातु के तार का प्रयोग किया जाता है।
- लम्बे बांस के टुकड़े में तुमा की कटोरी नुमा भाग लेकर उसके ऊपर गोह की चमड़ा लगाया जाता है। जिसमें धातु की तार लगाकर हांथो से बजाया जाता है।
मृदंग Mridang
मृदंग Mridang |
- मृदंग प्राचीन वाद्य यंत्र जो पहले मिटटी से बनाया जाता है परन्तु अब इसे लकड़ी के खोल से बनाया जाता है।
- इसका आकर ढोलक की तरह होता है। जिसके दोंनो तरफ बकरे के खाल को मढ़ा जाता है। और उसे हाथों के थाप जाता है।
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2 टिप्पणियाँ
sorry but aapne jo photo mandar ke description ke sath lagaya hai wo mandar ki na hokar dakshin bhartiya vadya mridangam ki hai.
जवाब देंहटाएंmardal, mandar aur mridangam sabhi alag alag vadya hain
Reference
https://chandrakantha.com/articles/indian_music/madar.html
Dono me thoda s antar rhta hai
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