छत्तीसगढ़ के प्रमुख व्यक्ति | छत्तीसगढ़ राजनीतिक क्षेत्र के प्रमुख व्यक्ति Political leaders of Chhattisgarh

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छत्तीसगढ़ के प्रमुख व्यक्ति | छत्तीसगढ़ राजनीतिक क्षेत्र के प्रमुख व्यक्ति Political leaders of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ के प्रमुख व्यक्ति | छत्तीसगढ़ राजनीतिक क्षेत्र के प्रमुख व्यक्ति Political leaders of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ राजनीतिक क्षेत्र के प्रमुख व्यक्ति
Political leaders of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ के प्रमुख व्यक्ति Prominent people of chhattisgarh

पंडित सुंदरलाल शर्मा Pandit Sundarlal Sharma

  • पं. सुंदरलाल शर्मा का जन्म सन 1881 में राजिम के पास चमसूर नामक गांव में हुआ था।
  • 28 दिसंबर 1940 को आपका स्वर्गवास हुआ।
  • नाट्य कला,मूर्तिकला व चित्रकला में पारंगत विद्वान श्री शर्मा प्रहलाद चरित्र, करुणा पचीसी व सतनामी भजन माला जैसे ग्रंथों के रचयिता है। 
  • इनकी छत्तीसगढ़ी दीन लीला छत्तीसगढ़ का प्रथम लोकप्रिय प्रबंध काव्य ग्रंथ है। 
  • उन्होंने लगभग 18 ग्रंथ लिखे जिनमें 4 नाटक,2 उपन्यास तथा शेष काव्य रचनाए है। 
  • इन्होंने राजिम में 1907 में संस्कृत पाठशाला रायपुर में सतनामी आश्रम की स्थापना की तथा 1910 में राजिम में प्रथम स्वदेशी दुकान व 1920 के कंडेल सत्याग्रह के सूत्रधार थे। 
  • छत्तीसगढ़ के राजनीति व देश के स्वतंत्रता आंदोलन में उनका ऐतिहासिक योगदान है।

पंडित रविशंकर शुक्ल Pandit Ravi Shankar Shukla

  • श्री शुक्लल का जन्म 2 अगस्त 1877 को सागर में हुआ था
  • 31 दिसंबर 1956 को शुक्ला जी का देहावसान हो गया।
  • आपने राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई
  • स्वदेशी खादी राष्ट्रीय शिक्षा को बढ़ावा दिया और असहयोग सविनय अवज्ञा तथा भारत छोड़ो आंदोलन में भूमिका निभाई
  • 1923 ई. नागपुर में आयोजित झंडा सत्याग्रह में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व 4 जुलाई 1937 ई. को श्री खरे के प्रथम कांग्रेसी मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री के रूप में सम्मिलित हुए
  • विद्या मंदिर योजना को क्रियान्वित किया
  • 15 अगस्त 1947 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और 1956 तक वे इस पद पर बने रहे
  • 1 नवंबर 1956 को नए मध्य प्रदेश के प्रथम संस्थापक मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ

डॉ. खूबचंद बघेल Khubchand Baghel 

  • आपका जन्म रायपुर जिले के पथरी ग्राम में 19 जुलाई 1900 को हुआ था । पिता का नाम जुड़ावन प्रसाद तथा माता का नाम केकती बाई था । 
  • आपकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में तथा हाईस्कूल की पढ़ाई रायपुर में हुई । 1925 में नागपुर से चिकित्सा परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् असिस्टेंट मेडिकल आफिसर के रुप में कार्यरत रहे ।
  • डॉ. खूबचंद बघेल का सम्पूर्ण जीवन समाज और कृषकों के कल्याण तथा विभिन्न रचनात्मक कार्यो के लिए समर्पित था ।
  • नागपुर में अध्ययन के समय से आप राष्ट्रीय विचारधारा से प्रभावित होकर राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भागीदारी करने लगे । 
  • महात्मा गांधी से प्रभावित होकर गांव-गांव में घूमकर असहयोग आंदोलन का प्रचार किया । 
  • 1930 में नमक सत्याग्रह के दौरान शासकीय नौकरी छोड़कर आन्दोलन में शामिल हो गए । 
  • 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में तीसरी बार जेल गए । 
  • 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में आपको फिर ढाई वर्ष की कठोर कैद हुई । 
  • 1951 में कांग्रेस मतभेद की वजह से आचार्य कृपलानी की किसान मजदूर पार्टी में शामिल हो गए ।
  • आप 1951 में विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए और 1962 तक सदस्य रहे । 1967 में आप राज्यसभा के लिए चुने गए । व्यवसाय से चिकित्सक होने के बावजूद आप कृषि और कृषकों की उन्नति के लिए निरंतर प्रयासरत रहे । 
  • आप छत्तीसगढ़ के अनेक आदिवासी-किसान आंदोलनों के प्रेरणा स्रोत एवं नेतृत्वकर्ता थे । 
  • आपने कृषि को उद्योग के समकक्ष विकसित करने की दिशा में अभूतपूर्व प्रयास किया । 
  • पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के लिए, जन जागृत करने की दिशा में आप लगातार संलग्न रहे ।
  • साहित्य सृजन, लोकमंचीय प्रस्तुति तथा बोल-चाल में आप छत्तीसगढ़ी के पक्षधर थे । इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आपने 1967 में रायपुर में छत्तीसगढ़ भ्रातृसंघ नामक संस्था का गठन किया । 
  • 22 फरवरी 1969 को आपका देहावसान हो गया । 
  • छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि एवं अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए डॉ. खूबचंद बघेल सम्मान स्थापित किया है ।

बैरिस्टर छेदीलाल Barrister chhedilal

  • ठाकुर छेदीलाल का जन्म 1887 को बिलासपुर जिले के अकलतरा नामक गांव में हुआ था
  • इन्होंने बैरिस्टर की शिक्षा इंग्लैंड से प्राप्त की तथा बिलासपुर में वकालत प्रारंभ की
  • श्री ठाकुर बिलासपुर के प्रथम बैरिस्टर थे
  • सन 1930-31 में छेदीलाल यहां कौशल विदर्भ और नागपुर की संयुक्त कांग्रेस समिति के अध्यक्ष नियुक्त हुए
  • 1941-42 के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई तथा जेल भी गए
  • छेदीलाल ने हालैंड का स्वाधीनता का इतिहास नामक पुस्तक लिखकर खूब यश कमाया 
  • श्री ठाकुर सेवा समिति का गठन सेवा समिति पत्रिका का संपादन तथा गुरुकुल कांगड़ी में इतिहास के प्राध्यापक भी रहेे थे। 
  • इनका 1953 में देहावसान हो गया।

ई.राघवेन्द्र राव E. Raghavendra Rao

  • ई. राघवेंद्र राव का जन्म 4 अगस्त 1989 को कामठी में हुआ था। 
  • इनका प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर में तथा बैरिस्टर की शिक्षा लंदन में हुआ
  • 1915 में बिलासपुर नगरपालिका तथा डिस्ट्रिक्ट कॉन्सिल के अध्यक्ष बने तथा जन सेवा में रत हो गए। 
  • राव जी के चुनाव में विजयी हुए और शिक्षा मंत्री के पद पर नियुक्त्त हुए
  • 1936 में अस्थाई रूप से मध्य प्रदेश के गवर्नर बनाएं गए राव साहब को तत्कालीन वयसराय की कार्यकारिणी समिति का सदस्य मनोनीत कियाा गया तथा उन्हें रक्षा मंत्री का पद भी संभालना पड़ा
  • राव साहब ने आजादी की लड़ाई में सीधा भाग ना लेकर शासकीय पदोंं का उपयोग जनहित के लिए किये
  • 15 जून 1942 को राघवेंद्र राव जी का दिल्ली में देहावसान हो गया।

ठाकुर प्यारेलाल सिंह Thakur Pyarelal Singh

  • राजनांदगांव जिले के श्री प्यारेलाल सन 1909 में राजनांदगांव में सरस्वती पुस्तकालय की स्थापना की। 
  • 1920 में बी. एन. सी. मील की हड़ताल का सफल नेतृत्व। 
  • असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा में सक्रिय भूमिका निभाई। 
  • इन्होंने छत्तीसगढ़ एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना तथा रायपुर में छत्तीसगढ़ महासभाा की स्थापना मैं विशेष योगदान दिया। 
  • छत्तीसगढ़ में सहकारिता आंदोलन के जनक श्री प्यारेलाल 1948 में छत्तीसगढ़़ के बुनकर सहकारी समिति की स्थापना की ताकि बुनकरों की आर्थिक स्थिति सुधरे।

मोतीलाल वोरा Motilal Vora

  • श्री वोरा का जन्म 20 दिसंबर 1928 को हुआ था, 1968 से वे राजनीति में है।
  • 1972 से लगातार दुर्ग की सीट से चुनाव जीतते रहे है। 
  • 13 मार्च 1985 को इन्होंने श्री अर्जुन सिंह से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार ग्रहण किया और फरवरी 1998 में अर्जुन सिंह को पुनः मुख्यमंत्री का पदभार दे दिया। 
  • इसके बाद केंद्र में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रहे, ये उत्तर प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके हैं।

राजमोहिनी देवी Rajmohini Devi 

  • राजमोहीनी देवी एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ती थी | राजमोहीनी बापू धर्म सभा आदिवासी सेवा मंडल कि संस्थापक थी | 
  • राजमोमहिनी देवी का जनम भारत मे छत्तीसगढ राजय के सर्गुजा जिले के एक छोटे से ग्रोगोरी नामक गांव मे हुआ था | 
  • यह बताया जाता हैकि सन 1951 के अकाल के दौरान वह महात्मा गांधी और उनके आदर्शो के बारे मे मानो एक दृष्टि थी |
  • राजमोहिनी देवी ने बापू धर्म सभा आदिवासी से मंडल कि स्थापना कि है | इस गैर सरकारी संस्थाव्दारे उन्होंने गांधीवादी और भारतीय राजया छत्तीसगड के गोंडवाना के आदिवासी लोग के कल्याण के लिए काम किया है | 
  • उन्होंने महिलाओ कि मुक्ति के लिए एक आंदोलन शुरु करने का कार्य किया था जिसे राजमोहिनी आंदोलन के नाम से जाना जाता है |
  • इस आंदोलन से उन्होंने अंधविश्वास का उन्मूलन और आदिवासी लोागो के बीच पीने की आदते जैसे विषयों पर भी काम किया है | इस आंदोलन ने धीरे धीरे 80000 से अधिक लोगो के साल एक पंथ आंदोलन कि स्थिती ग्रहण कि थी |
  • उपलब्धि : पूरस्कार और सम्मान : 1) राजमोहीनी देवी को सन 1989 मे भारत सरकारव्दारा पघश्री पूरस्कार से सम्मानित किया गया था
  • 2) राजमोहीनी के सम्मान मे एक अनूसंधान केंद्र राजमोहिनी देवी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन इंदिरा गांधी कृषि विश्वाविघ्यालय से स्थित है |
  • 3) आंबिकापूर मे उनके नाम पर एक सरकारी गर्ल्स कॉलेज राजमोहीनी देवी पी जी गर्ल्स कॉलेज रखा गया है |
  • पुस्तके/ग्रंथ : राजमोहीनी देवी का जीवन सुदाल जिंदल ने एक पुस्ताके मे लिखा है | उसे छत्तीसगढ राजया हिंदी पुस्ताके मे लिखा है | उसे छत्तीसगढ राजया हिंदी ग्रंथ अकादमी व्दारा प्रकाशित किया गया है |

घनश्याम सिंह गुप्त Ghanshyam Singh Gupta

  • घनश्‍याम सिंह गुप्‍त (जन्‍म 22 दिसंबर 1885, दुर्ग छत्‍तीसगढ़ - मृत्यु 13 जून 1976 दुर्ग छत्‍तीसगढ़)
  • वरिष्ठ कांग्रेसी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, 1915 में मध्य प्रांत एवं बरार के प्रांतीय परिषद के सदस्य चुने गए।
  • 1923 से 1926 सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार विधानसभा के निर्विरोध सदस्य निर्वाचित हुए, 1927-1930 के कार्यकाल में भी आप निर्वाचित हुए और प्रदेश विधान सभा के कांग्रेस दल के नेता चुने गए। इस बीच आप सन् 1926 में दुर्ग नगर निगम के भी अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। 
  • सन् 1930 में दिल्ली के सेंट्रल असेंबली सदस्‍य के लिए हुए चुनाव में आप सदस्‍य निर्वाचित हुए जहां सन् वे 1937 तक सदस्‍य रहे। 31 अप्रेल 1937 से 1952 तक सीपी और बेरार (CP & Berar) के विधान-सभा अध्‍यक्ष रहे। सन् 1939-50 - संविधान सभा में संविधान के हिन्‍दी ड्राफ्ट कमेंटी के अध्‍यक्ष रहे। 24 जनवरी, 1950 को घनश्याम सिंह गुप्त नें संविधान के हिन्दी अनुवाद की प्रति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के समक्ष प्रस्तुत की। 
  • सन् 1933 में गांधी जी जब दुर्ग आए तब इनके घर में ठहरे थे।
  • शिक्षा - जबलपुर के राबर्टसन कॉलेज से बीएससी गोल्ड मेडल के साथ 1906 में, सन् 1908 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एलएल बी।

मिनीमाता MiniMata

  • मिनीमाता वास्तविक नाम ( मीनाक्षी ) का जन्म सन् 1913 में असम के नुवागांव जिले के ग्राम जमुनामुख में हुआ था।
  • आपकी माता का नाम मतीबाई था। आपका परिवार मूलतः बिलासपुर जिला निवासी था। 
  • 1901 से 1910 के बीच छत्तीसगढ़ के भीषण अकाल ने अधिकांश गरीब परिवारों को जीविका की तलाश में प्रदेश के बाहर जाने के लिए मजबर कर दिया। आपके नाना-नानी भी असम के चाय बगानों में काम के लिए रेलगाड़ी द्वारा बिलासपुर से जोरहट गए। इस दौरान उनकी तीन पुत्रियों में से दो की मौत हो गई । एक बेटी, आपकी मां ही जीवित रहीं।
  • आपने स्कूली शिक्षा असम में प्राप्त की। आपको असमिया, अंग्रेजी, बांगला, हिन्दी तथा छत्तीसगढी का ज्ञान था । 
  • आपके जीवन में नया मोड़ उस समय आया जब सतनामी समाज के गुरु अगमदास धर्म प्रचार के सिलसिले में असम गए और बाद में आपको जीवन संगिनी के रुप में चुना ।

  • 1952 से 1972 तक आपने लोकसभा में सारंगढ़, जांजगीर तथा महासमुंद क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया ।
  • मजदूर हितों और नारी शिक्षा के प्रति भी जागरुक और सहयोगी रहीं । बाल-विवाह और दहेज प्रथा को दूर करने के लिए समाज से संसद तक आपने आवाज उठाई । 
  • छत्तीसगढ़ में कृषि तथा सिंचाई के लिए हसदेव बांध परियोजना आपकी दूर-दृष्टि का परिचायक है । 
  • भिलाई इस्पात संयंत्र में स्थानीय निवासियों को रोजगार और औद्योगिक प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया ।
  • 11 अगस्त 1972 को भोपाल से दिल्ली जाते हुए पालम हवाई अड्डे के पास विमान दुर्घटना में आपका निधन हो गया । 
  • छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में महिला उत्थान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए मिनी माता सम्मान स्थापित किया है ।

संत यति यतनलाल Saint Yeti Yatanlal

  • संत यति यतनलाल राजस्थान के बीकानेर शहर में 1894 में जन्म लेने के महज 6 महीने में अपने माता-पिता को खो दिया, जिसके बाद गुरु ब्राह्मल ने लालन-पालन किया. 
  • अपने गुरु के साथ ढाई साल की उम्र में रायपुर आए. गणित और भाषा में बहुत ही कम समय में सिद्धहस्त हो गए. संस्कृत साहित्य और इतिहास इनके प्रिय विषय थे. 
  • 19 वर्ष की उम्र में राजनीति में प्रवेश किया.
  • यति यतन लाल ने 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. विवेक वर्धन आश्रम से संबद्ध संत यतनलाल ने शंकरराव गनौदवाले के साथ मिलकर महासमुन्द में जंगल सत्याग्रह शुरू किया.
  • महात्मा गांधी के निर्देश पर ग्रामोद्योग और अनुसूचित जाति के उत्थान के साथ-साथ हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए काम करने वाले संत यतिनलाल को स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की वजह से कई बार जेल जाना पड़ा.
  • प्रखर वक्ता, लेखन और समाज सुधारक यति यतनलाल के योगदान को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने उनके नाम से सम्मान की घोषणा की, जो हर साल अहिंसा और गौसेवा में सक्रिय लोगों अथवा संस्थाओं को प्रदान किया जाता है.

चंदूलाल चंद्राकर Chandulal Chandrakar

  • श्री चंद्राकर जी का जन्म दुर्गेेेेे के नियानी गांव 1 जनवरी 1920 को हुआ था। 
  • 1980 में दुर्ग से सांसद चुने गए इससे पूर्व वे दैनिक हिंदुस्तान के संपादक 1964-70 तक भारत के प्रेस एसोसिएशन केे अध्यक्ष रहे व 1975 से 1978 तक वे कर्मचारी के फेडरेशन के अध्यक्ष व 1978 से भिलाई इस्पात कारखानेे के इस्पात मजदूूूरों के यूनियन के अध्यक्ष रहे। 
  • वे 1970 से 1977 तक लोकसभा केे अध्यक्ष रह चुके हैं। 
  • श्री चंद्रराकर केंंद्र में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रह चुके है। वह कांग्रेस के महासचिव भी रहे।

विद्याचरण शुक्ल Vidyacharan Shukla

  • इनका जन्म 2 अगस्त 1929 को रायपुर में हुआ था। 
  • इनके पिता पंडित रविशंकर शुक्ल मध्य प्रदेश केेे प्रथम मुख्यमंत्री थे। 
  • वे महासमुंद लोकसभा सीट से सदस्य रहे है। 
  • 1966 में श्री शुक्ल केंद्रीय सरकार के संचाार एवं संसदीय कार्य मंत्री बने। 
  • वे 1966-67 तक गृह मंत्री,1967-80 तक राजस्व एवं व्यय मंत्री 1970-71 तक सुरक्षा उत्पादन मंत्री,1971-74 नियोजन विज्ञान व तकनीकी मंत्री 1974-75 सूचना व प्रसारण मंत्री तथा 1975-77 तक नागरिक आपूर्ति मंत्री रह चुके हैं। 
  • यह 11 जून 2013 में हुए नक्सली हमलेे में मारे गए।

राजेंद्र प्रसाद शुक्ला Rajendra Prasad Shukla

  • श्री शुक्ला जी का जन्म 10 फरवरी 1930 को बिलासपुर में श्री सिद्धधनाथ शुक्ल के घर हुआ था। 
  • वे जिला विद्यार्थी कांग्रेस बिलासपुर केे अध्यक्ष रहे। 
  • फिर अपने भूदान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई 1952-57 मैं आप जिला कृषि संगठन के अध्यक्ष रहे।
  • 1958 में श्री शुक्ला सहकारी गृह निर्माण संस्था केेे अध्यक्ष एवं सचिव रहे। 
  • 1938-1964 तक आप केंद्रीय सहकारी बैंक बिलासपुर के अध्यक्ष हुआ सागर विश्वविद्यालय व्यवस्थापन समिति केे सदस्य रहे।
  • 1967-1972 तक आप विधानसभा के सदस्य रहे। 
  • पांचवीं विधानसभा में राज्य परिवहन निगम की जांच समिति के सदस्य व संभागीय खादी ग्राम उद्योग संस्था बिलासपुर के अध्यक्ष रहे । 
  • 1978 से बिलासपुर जिला कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राष्ट्रीय सहकारी निर्माण फेडरेशन नई दिल्ली के संचालक राज्य सहकारी गृह निर्माण मंडल भोपाल के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 
  • 1985 में कोतार (बिलासपुर)से तीसरी बार विधानसभा सदस्य व सर्वसम्मति से विधानसभा अध्यक्ष बने 1992 में मास्को सम्मेलन में भारत के प्रतिनिधि के रूप में गए।



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