छत्तीसगढ़ में जैन धर्म का इतिहास | History of Jainism in Chhattisgarh

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छत्तीसगढ़ में जैन धर्म का इतिहास | History of Jainism in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में जैन धर्म का इतिहास History of Jainism in Chhattisgarh Chhattisgarh Me Jain Dharm Jain Dharm in CG

छत्तीसगढ़ में जैन धर्म का इतिहास
History of Jainism in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में जैन धर्म का इतिहास History of Jainism in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ के स्थानीय शासको द्वारा अलग अलग धर्मो के लोगो को संरक्षण प्रदान कर सौहाद्रपूर्ण संस्कृति को बढ़ावा दिया है। इस धार्मिक वातावरण मे जैन धर्म का विशेष स्थान रहा है। छत्तीसगढ़ के अनेक स्थलो से जैन तीर्थकरो की मूर्तिया प्राप्त हुई है।

छत्तीसगढ़ के निम्न स्थानों से जैन धर्म की मूर्तिया प्राप्त हुई है :-

मल्हार (बिलासपुर)

  •  जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव की प्रतिमा मल्हार के समीप बुढ़िखार नामक स्थान पेण्ड्रा बिलासपुर एवं जांजगीर चंपा जिले के गुंजी/ दमाऊदरहा से प्राप्त हुई है।

आरंग (रायपुर)

  • जैन धर्म के 24 वे तीर्थकर महावीर स्वामी की प्रतिमा आरंग रायपुर से प्राप्त हुई है।

नगपुरा (दुर्ग)

  • जैन धर्म के 23 वे तीर्थकर पाशर्वनाथ का नगपुरा दुर्ग मे प्राचीन मंदिर स्थित है।

भटगुड़ा (बस्तर)

  • जैन धर्म के 16 वे तीर्थकर शांतिनाथ की 3 फीट ऊची प्रतिमा इंद्रावती नदी के समीप स्थित भाटागुड़ा नामक स्थान से प्राप्त हुई है।


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