मानव मस्तिष्क Human Brain
मानव मस्तिष्क सम्पूर्ण ज्ञान Human Brain full Knowledge
मस्तिष्क Brain
- मस्तिष्क का निर्माण तन्त्रिका कोशिकाओं तथा न्यूरोग्लियल कोशिकाओं के द्वारा होता है।
- मस्तिष्क का वजन लगभग 3 पाउंड या 1300-1400 ग्राम होता है।
- मस्तिष्क एक बहुत ही कोमल अंग है जो करोटि के कपाल के भीतर स्थित होता है।
- कपाल गुहा का आयतन 1200 से 1500 घन सेंटीमीटर होता है।
- मस्तिष्क के चारों ओर दो झिल्लियाँ पाई जाती हैं। बाहरी झिल्ली को दृढ़तानिका और भीतरी झिल्ली को मृदुतानिका कहते हैं। दोनों झिल्लियों के मध्य प्रमस्तिष्क मेरुद्रव्य भरा रहता है। यह मस्तिष्क की चोट, झटकों आदि से रक्षा करता है।
- मस्तिष्क सोचने , ह्रदय गति नियंत्रण तथा शरीर के संतुलन तीनों के लिए उत्तरदायी होता है।
- इसका औसतन आयतन लगभग 1650 मिली तथा औसतन भार 1.50 किलोग्राम होता है।
- मस्तिष्क अस्थिओं के खोल में बंद होता है जिसे ‘क्रेनियम’ कहते है।
मस्तिष्क के तीन भाग होते है There are three parts of the brain
- 1 अग्र मस्तिष्क Fore brain
- 2 मध्य मस्तिष्क Mid brain
- 3 पश्च मस्तिष्क Hind brain
1. अग्र मस्तिष्क Fore brain
अग्र मस्तिष्क जो प्रमस्तिष्क (cerebrum) और डायनसेफैलॉन (Diencephalon) से बना होता है।
अग्र मस्तिशक को प्रोसेनसिफेलोन कहते हैं। इसके दो भाग होते हैं। - (1.1) प्रमस्तिष्क Cerebrum
- (1.2) अग्रमस्तिष्क Diencephalon
(1.1) प्रमस्तिष्क Cerebrum
- सेरीब्रम को प्रमस्तिष्क भी कहते है।
- प्रमस्तिष्क मस्तिष्क का 2/3 भाग बनाता है।
- सेरीब्रम मस्तिष्क का सबसे विकसित भाग होता है।
- ज्ञानेन्द्रियों से प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण इसी भाग में होता है।
- प्रमस्तिष्क अनुलम्ब बिदर द्वारा दाएँ तथा बाएँ प्रमस्तिष्क गोलार्द्धों में बँटा रहता है।
- सेरीब्रम बुद्धि, चिंतन, स्मृति, इच्छा शक्ति, एच्छिक गतियों आदि का केंद्र है।
- सेरीब्रम के अधिक विकसित होने पर मनुष्य अधिक बुद्धिमान होता है।
- प्रत्येक प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध की समूची सतह अनेकों भंजों में वलित होती है।
- भीतर के श्वेत द्रव्य में तन्त्रिका कोशिकाओं के एक्सॉन स्थित होते हैं।
- प्रमस्तिष्क के बाहरी भाग कार्टेक्स में तन्त्रिका कोशिकाओं के कोशिकाकाय तथा इनके डेन्ड्राइट्स स्थित होते हैं।
प्रमस्तिष्क Cerebrum के कार्य
- प्रमस्तिष्क ऐच्छिक पेशी-संकुचनों को आरंभ करता है और उनका नियंत्रण करता है।
- प्रमस्तिष्क में कई केन्द्र होते हैं। शरीर की विभिन्न क्रियाएँ इन्हीं केन्द्रों पर आश्रित रहती हैं। जैसे- हृदय गति, भोजन ग्रहण करना, साँस लेना, प्रमस्तिष्क द्वारा संचालित क्रियाएँ हैं।
- यह संवेदी अंगों, जैसे-नेत्र, कान, नाक आदि से आने वाली सूचना को ग्रहण करता है और उन पर कार्रवाई करता है।
- प्रमस्तिष्क ही घृणा, प्रेम हर्ष, विषाद, दुःख, भय आदि संवेगों की उत्पत्ति का केन्द्र है।
- प्रमस्तिष्क मानसिक (दिमागी) काम जैसे सोचना, तर्क करना (विवेचना), योजना बनाना, याद रखना आदि करता है।
(1.2) अग्रमस्तिष्क Diencephalon
- डाइएनसिफलॉन से पिट्यूटरी ग्रंथि एवं पीनियल कार्य जुड़ा होता है।
- यह अग्रमस्तिष्क का पश्च भाग होता है। इसका पृष्ठ भाग पतला एवं अधर भाग मोटा होता है।
- हाइपोथैलेमस की अधर सतह से पीयूष ग्रन्थि लगी रहती है।
- डाइएनसिफलॉन के भी दो भाग (A) थैलमस Thalamus तथा (B) हाइपोथैलमस Hypothalamus होते है।
(A) थैलमस Thalamus
- थैलमस डाइएनसिफलॉन का ये उपरी भाग है।
- थैलमस धुसर द्रव्य से बना अंडानुमा एक संहति (या पिंड) होती है, जो प्रमस्तिष्क के नीचे बीच में स्थित होता है।
- इसी भाग से पीनियल ग्रंथि जुड़ी होती है, जो मेलाटोनिन नामक हारमोंस का स्राव करती है तथा यह हारमोन नींद के लिए उत्तरदायी होती है।
- थैलमस दर्द, ठंडा तथा गरम को पहचानने का कार्य करता है।
(B) हाइपोथैलमस Hypothalamus
- हाइपोथैलैमस मस्तिष्क का वह भाग है जो थैलैमस के नीचे स्थित होता है।
- हाइपोथैलैमस डाइएनसिफलॉन का ये निचला भाग है।
- हाइपोथैलैमस शरीर के अनेक क्रियाओं पर नियंत्रण करता है।
- हाइपोथैलैमस अंतःस्रावी ग्रंथियों से स्रावित होने वाले हारमोंस का नियंत्रण करता है।
- हाइपोथैलैमस अपने नीचे स्थित पीयूष ग्रंथि के स्रावण का नियंत्रण करता है।
- पोस्टीरियर पिट्यूटरी ग्रंथि से स्रावित होने वाले हारमोंस इससे स्रावित होते है. यह भूख, प्यास, ताप नियंत्रण, प्यार, घृणा आदि के केंद्र होते है।
- रक्त्दाब , जल के उपापचय, पसीना, गुस्सा, ख़ुशी आदि इसी के नियंत्रण में होता है।
अग्रमस्तिष्क के कार्य
- अग्रमस्तिष्क में डाइएनसिफेलोन उपापचय तथा जनन क्रिया, दृक पिण्ड दृष्टि ज्ञान का नियन्त्रण और नियमन करते हैं।
2. मध्य मस्तिष्क Mid Brain
मध्य मस्तिष्क को मीसेनसिफेलोन भी कहते हैं। यह मस्तिष्क का छोटा (लगभग 2.5 सेंटीमीटर) लम्बा संकुचित भाग होता है। इस भाग में दृक तन्त्रिकाएँ परस्पर क्रॉस करके आप्टिक कियाज्मा बनाती हैं।मध्य मस्तिष्क के कार्य
- यह दृष्टि एवं श्रवण संवेदनाओं को प्रमस्तिष्क तक पहुँचाने का कार्य करता है।
मध्य मस्तिष्क भी दो भागों में बंटा होता है
- (2.1) सेरिब्रल पिंडकल Cerebral Ingot
- (2.2) कॉर्पोरा कवार्डीजेमिना Corpora Cavardigemina
(2.1) सेरिब्रल पिंडकल Cerebral Ingot
- सेरिब्रल पिंडकल मध्य मस्तिष्क का अग्रभाग होता है. यह तंतुओं का बना होता है
- इसे क्रूरा सेरिब्री भी कहते है. यह सेरिब्रल कोर्टेक्स को मस्तिष्क के अन्य भाग एवं मेरुरज्जु से जोड़ता है
(2.2) कॉर्पोरा कवार्डीजेमिना Corpora Cavardigemina
- कॉर्पोरा कवार्डीजेमिना मध्य मस्तिष्क का पश्च भाग है. यह दृष्टि एवं श्रवन शक्ति पर नियंत्रण का केंद्र है
3. पश्च मस्तिष्क Hid Brain
पश्चमस्तिष्क जो अनुमस्तिष्क (cerebellum), पॉन्स (ponce) और मेडुला ऑब्लाँगेटा (medulla Oblongata) का बना होता है। पश्च मस्तिशक को 'रॉम्बेनसिफैलॉन' भी कहते हैं। यह मस्तिष्क का सबसे पिछला भाग होता है। इसे मस्तिष्क वृन्त भी कहते हैं।
पश्च मस्तिशक में तीन भाग होते हैं।
- (3.1) अनुमस्तिष्क Cerebellum
- (3.2) मेड्युला ओब्लान्गेटा Medulla Oblongata
- (3.3) पोन्स वेरोलाई Ponce Varoli
(3.1) अनुमस्तिष्क Cerebellum
- सेरिबेलम मानव मस्तिष्क का दूसरा सबसे बड़ा भाग होता है।
- यह प्रमस्तिष्क के पश्च भाग से सटा रहता है। यह तितली की आकृति का होता है।
- इसके दाएँ तथा बाएँ दो फूले हुए अनुमस्तिष्क गोलार्द्ध होते हैं जो वर्मिस नामक सँकरे दण्डनुमा मध्यवर्ती रचना से जुड़े रहते हैं।
- सेरिबेलम शरीर का संतुलन बनाए रखता है एवं एच्छिक पेशिओं के संकुचन पर नियंत्रण करता है।
- सेरिबेलम आतंरिक कान के संतुलन भाग से संवेदनाएं ग्रहण करता है।
- अनुमस्तिष्क में भी बाहरी धूसर द्रव्य तथा भीतरी श्वेत द्रव्य होता है। श्वेत द्रव्य जगह–जगह धूसर द्रव्य में प्रवेश करके वृक्ष की शाखाओं के सदृश रचना बनाता है, जिसे प्राणवृक्ष या आरबर विटी कहते हैं।
अनुमस्तिष्क Cerebellum के कार्य
- अनुमस्तिष्क शरीर में होने वाली सभी प्रकार की शारीरिक गतियों का संचालन करता है।
(3.2) मस्तिष्क पुच्छ Medulla Oblongata
- मेड्युला ओब्लान्गेटा मस्तिष्क का सबसे पीछे का त्रिभुजाकार भाग होता है
- यह आगे मेरुरज्जु के रूप में कपाल गुहा से बाहर निकलता है। इसका अगला भाग चौड़ा होता है जो पीछे की ओर पतला होकर मेरुरज्जु बनाता है।
- इसकी पार्श्व दीवारें मोटी तथा तन्त्रिका पथों की बनी होती हैं। मुस्तिष्क पुच्छ की पृष्ठभूमि पर पश्च रक्तक जालक स्थित होता है।
- मेड्युला ओब्लान्गेटा
मस्तिष्क पुच्छ के कार्य
- मस्तिष्क पुच्छ उलटी जैसी क्रियाओं का केंद्र है इसके अलावा शरीर के सभी अनैच्छिक क्रियाओं जैसे उपापचय, रक्तदाब, आहारनाल के क्रमाकुंचन, भोजन को निगलना, ग्रंथि स्राव, ह्रदय की धड़कनों तथा श्वसन का नियंत्रण करता है
3.3 पोन्स वेरोलाई Ponce Varoli
- अनुमस्तिष्क में गुहा का अभाव होता है। अनुमस्तिष्क के अधर भाग में श्वेत द्रव्य की एक पट्टी होती है। जिसे पोन्स वेरोलाई कहते हैं। यह दोनों मनुमस्तिष्क गोलार्द्धों को जोड़ती है।
पोन्स वेरोलाई के कार्य
- पोन्स वेरोलाई शरीर के दोनों पार्श्वों की गतियों का समन्वयन करती है।
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