मानव रक्त समूह और कार्य - रक्त की संरचना एवं प्रकार - ब्लड ग्रुप के प्रकार - रक्त समूह की जानकारी - Human Blood Groups & Functions In Hindi

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मानव रक्त समूह और कार्य - रक्त की संरचना एवं प्रकार - ब्लड ग्रुप के प्रकार - रक्त समूह की जानकारी - Human Blood Groups & Functions In Hindi

मानव रक्त समूह और कार्य Human Blood Groups and Functions

मानव रक्त समूह और कार्य
Human Blood Groups & Functions


मानव रक्त Human Blood

  • मानव रक्त एक तरल संयोजी ऊतक होता हैं उसमें उपस्थित हीमोग्लोबिन के कारण इसका रंग लाल होता हैं। यह एक चिपचिपा क्षारीय पदार्थ है जिसका PH मान 7.4 होता हैं। 
  • औसतन, एक स्वस्थ्य पुरुष के शरीर में करीब 5 लीटर रक्त होता है जबकि महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले करीब 500 मिली कम रक्त होता है
  • रक्त शरीर के वजन का 60-80 मिली/ किग्रा के करीब होता है। 
  • यह शरीर के ताप को नियंत्रित रखता है और रोगों से शरीर की रक्षा करता है। 
  • मानव शरीर में रक्त की मात्रा शरीर के कुल भार का 7-9 % होती है।
  • महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा आधा लीटर खून कम पाया जाता है। 
  • रक्त में दो प्रकार के पदार्थ प्लाज्मा और रुधिराणु पाए जाते हैं।
  • रक्त का लगभग 60 % भाग प्लाज्मा और शेष 40 % भाग रुधिराणु के रूप में पाया जाता है।
  •  प्लाज्मा का 90 % भाग जल होता है। रुधिराणु के तीन भाग होते हैं - लाल रक्त कण (RBC), श्वेत रक्त कण (WBC), रक्त बिम्बाणु (Blood Platelets)
  • रक्त दाब को मापने वाले यंत्र को स्फिग्मोमैनोमीटर कहाँ जाता हैं।
  • नोट: डेंगू ज्वर के कारण मानव शरीर में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती हैं।

रक्त का निर्माण Blood build

  • मानव रक्त का निर्माण अस्थि मज्जा में होता हैं किंतु गर्वावस्था के समय शिशु के शरीर में रक्त का निर्माण यकृत में होता हैं।

प्लीहा Spleen

  • प्लीहा 400ml रक्त को स्टोर कर के रखता हैं। यह रक्त में उपस्थित कमजोर एवं पुरानी रक्त कणिकाओं को RBC और WBC को मार देता हैं इसी कारण से प्लीहा को RBC की कब्र कहाँ जाता हैं।

  • सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में औसतन रक्त की मात्रा 5-6 लीटर तक होती हैं। महिलाओं में पुरुषों की तुलना में 1/2 लीटर रक्त कम होता हैं। जो कि उस व्यक्ति के कुल वजन का 7-9% हो सकती हैं।
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रक्त के समूह Blood Group


  • रक्त समूह की खोज कार्ल लैंडस्टीनर के द्वारा 1900 ई. में की गई थी। इस खोज के लिए इन्हें 1930 में नोबल पुरस्कार भी दिया गया था
  • लैंडस्टीनर ( K. Landsteiner) ने मनुष्य के रक्त को चार समूहों– A, B, AB और O में बांटा था
  • O को छोड़ कर A, B, AB समूहों की कोशिकाओं में अनुरूपी एंटीजेन्स होते हैं  इसलिए O किसी भी समूह को अपना खून दे सकता है और यूनिवर्सल डोनर कहलाता है
  • AB समूह को यूनिवर्सल रेसिपिएंट कहते हैं क्योंकि यह A, B, AB और O सभी रक्त समूह से रक्त ले सकता है

एन्टीजन Antigen

  • मनुष्यों के रक्तो की भिन्नता का मुख्य कारण लाल रक्त कण RBC में पायी जाने वाली ग्लाइकोप्रोटीन हैं, जिसे एन्टीजन Antigen कहते हैं।
  • एन्टीजन दो प्रकार के होते हैं। एन्टीजन A एन्टीजन B
  • एन्टीजन (AB) और एंटीबाडी (ab) एन्टीजन और एंटीबॉडी समान रूप से एक साथ नहीं रह सकते हैं एन्टीजन या ग्लाइकोप्रोटीन की उपस्थिति के आधार पर मनुष्य में चार प्रकार के रुधिर वर्ग Blood Group होते हैं।
  • 1. जिनमें एन्टीजन A होता हैं – रुधिर वर्ग A Blood Group A
  • 2. जिनमें एन्टीजन B होता हैं – रुधिर वर्ग B Blood Group B
  • 3. जिनमें एन्टीजन A एवं B दोनों होते हैं – रुधिर वर्ग AB Blood Group AB 
  • 4. जिनमें दोनों में से कोई एन्टीजन नहीं होता हैं – रुधिर वर्ग O Blood Group O

A रुधिर वर्ग A Blood Group

  • जिन व्यक्तियों की रक्त कोशिकाओं पर A प्रकार के एंटीजेन्स के साथ प्लाज़्मा में एंटीजन Antigen B एंटीबॉडी हो उनका ब्लड ग्रुप A होता है।

रुधिर वर्ग B Blood Group

  • जिन व्यक्तियों की रक्त कोशिकाओं पर B प्रकार के एंटीजेन्स के साथ प्लाज़्मा में एंटीजन Antigen A एंटीबॉडीज़ हो उनका ब्लड ग्रुप B होता है।

AB रुधिर वर्ग AB Blood Group

  • जिस व्यक्ति की रक्त कोशिकाओं पर A और B दोनों ही एंटीजेन्स होते हैं और कोई भी एंटीबॉडी नहीं होता उनका ब्लड ग्रुप AB होता है।

रुधिर वर्ग O Blood Group

  • जिन व्यक्तियों की रक्त कोशिकाओं पर कोई भी एंटीजेन मौजूद नहीं होता लेकिन प्लाज़्मा में एंटीजन Antigen A और B दोनों ही एंटीबॉडीज़ होते हैं उनका ब्लड ग्रुप O होता है।

रक्त के कार्य Blood Functions

  • मनुष्य के शरीर में रक्त का तीन मुख्य काम होता है यानि शरीर के एक अंग से दूसरे अंग में पदार्थों का परिवहन जैसे श्वसन गैस, अपशिष्ट पदार्थ, एंजाइम आदि, रोगों से रक्षा करना और शरीर के तापमान का नियंत्रण करना
  • मानव शरीर में रक्त की मात्रा शरीर के भार का लगभग 7-9% होती हैं।
  • आक्सीजन को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचाना एवं कार्बनडाई आक्साइड को अंगों से फेफड़ा तक पहुंचाना।
  • रक्त शरीर के तापक्रम को सामान बनाएं रखना तथा शरीर को रोगों से रक्षा करना।
  • यह छोटी आंत में पचाए गए भोजन को लेता है और उसे शरीर के सभी अंगों तक पहुंचाता है
  • लैंगिक वरण में सहायता करना तथा विभिन्न अंगों में सहयोग स्थापित करना।
  • यह अंतःस्रावी ग्रंथियों से हार्मोन लेता है और उसे शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाता है
  • यह जिगर से अपशिष्ट उत्पाद यूरिया लेता है और उत्सर्जन हेतु उसे गुर्दे में ले जाता है

रक्त परिसंचरण Blood Circulation

  • रक्त परिसंचरण की खोज सन 1628 ई. में विलियम हार्वे के द्वारा की गई थी इसके अनुसार मानव शरीर में रक्त को परिसंचरण पम्प करने के लिए एक 4 कोष्ठकीय हृदय होता हैं। जिसमें दो हिस्से को आलिंद और शेष निचले दो भागों को निलय कहाँ जाता हैं।

रक्त का परिपथ Blood Circuit

  • विभिन्न अंग ➔ बायाँ आलिंद ➔ दैहिक महाधमनी ➔ बायाँ निलय ➔ विभिन्न धमनियाँ ➔ छोटी धमनियाँ ➔ धमनी कोशिकाएं ➔ अंग ➔ अग्र एवं पश्य महाशिरा ➔ दाहिना आलिंद दाहिने निलय ➔ पल्मोनरी धमनी ➔ फेफड़ा ➔ पल्मोनरी शिरा ➔ बायाँ आलिंद

रक्त परिसंचरण 
के अंतर्गत तीन भाग होते हैं

  • 1. हृदय Heart
  • 2. शिराएँ Veins
  • 3. धमनियाँ Arteries

1. हृदय Heart

  • हृदय Heart हृदयावरण (Pericardium) नामक थैली में सुरक्षित रहता हैं हृदय का कुल वजन 375 ग्राम होता हैं यह शरीर का सबसे व्यक्त अंग हैं
  • हृदय Heart 1 मिनट में 72 बार धड़कता हैं यह बच्चों में 102 बार धड़कता हैं जो कि 1 मिनिट में लगभग 500 लीटर रक्त (व्यक्त) को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाता हैं।

2. शिराएँ Veins

  • शिराएँ Veins शरीर की ऊपरी भागों में पाई जाती हैं जो कि रक्त को शरीर के विभिन्न अंको से हृदय तक पहुँचती हैं इनमें अशुद्ध रक्त प्रभावित होता हैं। जिस रक्त में कार्बनडाइआक्साइड की मात्रा एवं ऑक्सीजन की मात्रा कम होती हैं वह अशुद्ध रक्त कहलाता हैं। 
  • एकमात्र पल्मोनरी शिरा जो कि फेफड़ों से रक्त को बाएं आलिंद तक पहुँचाती हैं। इसमें शुद्ध रक्त प्रवाहित होता हैं।

3. धमनियाँ Arteries

  • धमनियाँ Arteries शरीर की गहराई वाले भागों में उपस्थित होती हैं इनमें शुद्व रक्त प्रवाहित होता हैं वह रक्त जिनमें आक्सीजन की मात्रा अधिक एवं कार्बनडाइआक्साइड की मात्रा कम होती हैं।
  • धमनियाँ रक्त को हृदय से शरीर के विभिन्न अंकों तक पहुँचाती हैं इनमें कपाट पाए जाते हैं। 
  • इनमें प्रभावित रक्त तेज गति से प्रभावित होता हैं। शरीर में एक मात्र पल्मोनरी धमनी जिसमें अशुद्ध रक्त प्रभावित होता हैं। यह धमनी रक्त को दाया निलय से फेफड़ों तक पहुँचाती हैं।

रक्त का थक्का बनना Blood Clotting

  • रक्त के थक्का बनाने के लिए अनिवार्य प्रोटीन फाईब्रिनोजेन हैं।
  • रुधिर प्लाज्मा के प्रोथ्रोबमिन तथा फाईब्रिनोजेन का निर्माण यकृत में विटामिन k की सहायता से होता हैं।
  • विटामिन k रक्त के थक्का बनाने में सहायता होता हैं। समान्यतः रक्त का थक्का 2 से 5 मिनट में बन जाता हैं।
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रक्त में उपस्थित तत्व Blood Element

रक्त में उपस्थित पदार्थों के आधार पर 2 वर्गों में विभाजित किया गया हैं।

  • 1. प्लाज्मा Plasma
  • 2. कणिकाएँ / रुधिराणु Corpuscles / Blood Cells


1. प्लाज्मा Plasma

  • तरल या रक्त के तरल हिस्से को प्लाज्मा कहते हैं। 
  • प्लाज्मा सम्पूर्ण रक्त का लगभग 55% भाग होता हैं। 
  • प्लाज्मा शरीर में इन घुलनशील पदार्थों को एक हिस्से से दूसरे हिस्से में पहुंचाता है। 
  • प्लाज्मा रक्त का अजीवित तरल भाग होता हैं। जोकि निर्जीव अवस्था में पाया जाता हैं। 
  • प्लाज्मा रंगहीन तरल होता है रक्त का लगभग 60% भाग प्लाज्मा होता हैं। इसका 90% भाग जल, 7% प्रोटीन, 0.9% लवण और 0.1% ग्लूकोज होता हैं। शेष पदार्थ बहुत कम मात्रा में होता हैं।
  • प्लाज्मा के प्रोटीन में एंटीबॉडीज होते हैं जो बीमारियों और संक्रमण के खिलाफ शरीर की रक्षा प्रणाली में सहायता करते हैं। 

प्लाज्मा के कार्य Functions of Plasma

  • पचे हुए भोजन एवं हार्मोन का शरीर में संवहन प्लाज्मा के द्वारा ही होता हैं।
  • जब प्लाज्मा में से फईब्रिनोजेन नामक प्रोटीन को अलग कर देने पर शेष भाग को सेरम कहाँ जाता हैं।
  • प्लाज्मा पोषक तत्व के परिवहन के साथ-साथ आक्सीजन और कार्बनडाइआक्साइड के परिवहन में भी मदद करता हैं।
  • प्लाज्मा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने में सहायक होता हैं।

2. कणिकाएँ / रुधिराणु Corpuscles / Blood Cells

  • कणिकाएँ / रुधिराणु सम्पूर्ण रक्त प्लाज्मा के अतिरिक्त शेष 45% भाग होता हैं जो कि सजीव अवस्था में होता हैं

कणिकाएँ / रुधिराणु में 3 प्रकार के रक्त बिम्बाणु उपस्थित होते हैं।

  1. A. लाल रक्त कणिकाएँ (RBC (Red Blood Corpuscles)
  2. B. स्वेत रक्त कणिकाएँ (WBC (White Blood Corpuscles or Leucocytes)
  3. C. पटिकाएं / रक्त बिम्बाणु (Blood Platelets)

A. लाल रक्त कणिकाएँ Red Blood Corpuscles (RBC)


  • लाल रक्त कणिकाएँ को एरिथ्रोसाइट्स (Erythrocytes) भी कहते हैं
  • लाल रक्त कणिकाएँ डिस्क के आकार वाली ये कोशिकाएं मध्य में अवतल होती हैं और इन्हें माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है
  • RBC का निर्माण अस्थिमज्जा में होता है, परन्तु भ्रूण अवस्था में इसका निर्माण यकृत और प्लीहा में होता है।
  • यक्त में बनने वाले प्रोटीन ग्लोबिन आक्सीजन प्रक्रिया के द्वारा रक्त में उपस्थित हीमो रंजक के साथ क्रिया कर हीमोग्लोबिन का निर्माण करता हैं इसी के कारण रक्त लाल रंग का होता हैं इन कणिकाओं की जीवन अवधी 20 से 120 दिन तक होती हैं। 
  • RBCs को प्लीहा के द्वारा एवं विशेष स्थिति में यकृत के द्वारा समाप्त किया जाता हैं।
  • यह 7.2 म्यू व्यास की गोल परिधि की और दोनों ओर से पैसे या रुपए के समान चिपटी होती हैं। इनमें केंद्रक नहीं होता। 
  • वयस्क पुरुषों के रुधिर के प्रति धन मिलीमीटर में लगभग 50 लाख और स्त्रियों के रुधिर के प्रति घन मिलिमीटर में 45 लाख लाल रुधिर कोशिकाएँ होती हैं। 
  • इनकी कमी से रक्तक्षीणता तथा रक्त श्वेताणुमयता रोग होते हैं। 
  • लाल रुधिर कोशिकाओं (Erythrocytes) का जीवन 120 दिन का होता है, तत्पश्चात्‌ प्लीहा में इनका अंत हो जात है।

लाल रक्त कणिकाओं के कार्य Functions of Red Blood Cells

  • RBC का मुख्य कार्य शरीर की सभी कोशिकाओं को आँक्सीजन पहुँचाना हैं।
  • शरीर की हर कोशिका में आक्सीजन पहुँचाना एवं कार्बनडाइआक्साइड को वापस लाना हैं।
  • हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने पर एनीमिया रोग हो जाता हैं।
  • मानव शरीर में एक समान सर्वाधिक मात्रा में उपस्थित कोशिकाओं RBC होती हैं इनकी कुल संख्या पुरुषों 5 मिलियन और महिलाओं में 4.5 मिलियन होता हैं।
  • सोते वक्त RBC 5% कम हो जाता हैं एवं जो लोग 4,200 मीटर की ऊँचाई पर होते हैं उनके RBC की संख्या हिमोसाइटोमीटर (वायु मण्डीय दाब में कमी होने पर) इनके निर्माण में 30% वृद्धि हो जाती हैं।
  • स्तनधारीयों के लाल रक्त कण उभयावतल होते हैं। इसमें केन्द्रक नहीं होता हैं। अपवाद RBC में केन्द्रक उपस्थित होता हैं जबकि दो स्तनधारी (ऊँट, लीमा) के रक्त में अनुपस्थित होता हैं।
  • नोट:- भ्रूण अवस्था में इसका निर्माण यकृत और प्लीहा में होता हैं।
  • रक्त को RBC की संख्या की गणना करने वाले यंत्र को हिमोसाइटोमीटर कहा जाता हैं।
  • RBC में उपस्थित आयरन को हिमोटिन कहा जाता हैं।

B. स्वेत रक्त कणिकाएँ White Blood Corpuscles or Leucocytes (WBC)

  • स्वेत रक्त कणिका को ल्यूकोसाइट्स (Leukocytes) भी कहा जाता है
  • स्वेत रक्त कणिका संक्रमण से लड़ते हैं और हमें बीमारियों से बचाते हैं क्योंकि ये रोग के कारक कीटाणुओं को खा जाते हैं। इसी कारण इन्हें शरीर की रक्षा प्रणाली का "सैनिक soldiers" भी कहते हैं
  • स्वेत रक्त कणिकाओं का निर्माण अस्थि मज्जा में होता हैं इनका जीवन काल 2 से 4 दिन का होता हैं इनकी मृत्यु रक्त में ही हो जाती हैं। 
  • इनमें केन्द्रक अनुपस्थित होता हैं इनका मुख्य कार्य हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करना एवं शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखता हैं।
  • स्वेत रक्त कणिका गोल या अनियमित आकार वाले, अर्धपारदर्शी कोशिकाएं नाभिक वाली होती हैं और इन्हें माइक्रोस्को में देखा जा सकता है
  • कुछ श्वेत रक्त कोशिकाएं संक्रमण का मुकाबला करने के लिए 'एंटीबॉडीज' कहे जाने वाले रसायन बना सकती हैं और इस तरह हमारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती हैं
  • रक्त में डब्ल्यूबीसी की संख्या लाल रक्त कोशिकाओँ की संख्या के मुकाबले बहुत कम होती है

श्वेत रक्त कणिकाओं के कार्य Functions of White Blood Cells

  • मोटे तौर पर, WBC शरीर में रक्षा प्रणाली के तौर पर काम करता है
  • रक्त में RBC और WBC का अनुपात 600 : 1 होता हैं।
  • आकार और रचना में यह अमीबा के समान होता हैं।
  • श्वेत रक्त कणिकाओं में केन्द्रक होता हैं।
  • इसका निर्माण लिम्फ, नोड और कभी कभी यकृत एवं प्लीहा में भी होता हैं।
  • इसका मुख्य कार्य शरीर को रोगों के संक्रमण से बचाना हैं।
  • WBC का सबसे अधिक भाग (60% से 70%) न्यूट्रोफिल्स कणिकाओं का बना होता हैं न्यूट्रोफिल्स कणिकाओं का बना होता हैं न्यूट्रोफिल्स कणिकाएँ रोगाणुओं तथा जीवाणुओं का भक्षण करती हैं।
  • हिपेरिन उत्पन्न कर रुधिरवाहिकाओं में ये रुधिर को जमने से रोकती हैं।
  • यह प्लाज्मा प्रोटीन और कुछ कोशिका प्रोटीन की भी रचना करती हैं।
  • हिस्टामिनरोधी कार्य कर शरीर को एलर्जी से बचाने में सहायक होती हैं।

C. पटिकाएं / रक्त बिम्बाणु (Blood Platelets)

  • रक्त बिम्बाणु को थ्रम्बोसाइट्स भी कहते हैं
  • रक्त बिम्बाणु केवल मनुष्य एवं अन्य स्तनधारीयों के रक्त में पाया जाता हैं। 
  • रक्त बिम्बाणु छोटे, गोलाकार या अंडाकार, रंगहीन कोशिकाएं होती हैं जो अस्थि मज्जा में बनती हैं
  • रक्त बिम्बाणु का जीवनकाल 3 से 5 दिन का होता हैं इसकी मृत्यु प्लीहा में होती हैं।
  • रक्त बिम्बाणु का निर्माण विटामिन K की मदद से यकृत में होता हैं विटामिन k परिवर्तित होकर हाइड्रोनोजिन नामक प्रोटीन का निर्माण करता है यही प्रोटीन रक्त के थक्का जमाने में सहायक हैं।
  • यकृत के द्वारा ही एक विभिन्न प्रोटीन हिपेरिन का निर्माण किया जाता हैं जो कि रक्त का थक्का जमाने का विरोध करती हैं।
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रक्तचाप Blood Pressure

  • रक्तचाप धमनी की दीवारों पर खून द्वारा डाला जाने वाला बल होता है
  • प्रेशर रेंज का उच्चतम बिन्दु सिस्टोलिक प्रेशर (उपरी रीडिंग) और न्यूनतम बिन्दु को डायस्टोलिक प्रेशर (नीचला रीडिंग) कहते हैं
  • इसे स्फिग्मोमनामिटर (Sphygmomanometer) नाम के उपकरण से मापा जाता है
  • डायस्टोलिक प्रेशर हमेशा सिस्टोलिक प्रेशर से कम होता है
  • एक स्वस्थ युवा पुरुष का औसत सिस्टोलिक प्रेशर करीब 120 mm Hg और डायस्टोलिक प्रेशर 80 mm Hg होता है, इसलिए सामान्य रक्तचाप 120/80 है
  • उच्च रक्त चाप को हाइपरटेंशन और कम रक्तचाप को हाइपोटेंशन कहते हैं

रक्त का आधान Blood Transfusion

  • O पॉजिटिव : इस ब्लड ग्रुपवाले उन सभी को रक्त दे सकते हैं, जिनका ब्लड ग्रुप पॉज़िटिव है। इसके अलावा O पॉज़िटिव, O निगेटिव से रक्त ले सकते हैं।
  • O निगेटिव : O नेगेटिव ब्लड ग्रुपवाले लोगों को यूनिवर्सल डोनर कहा जाता है, इस ग्रुप के लोग हर किसी को रक्त दे सकते हैं।इसके अलावा ये केवल O नेगेटिव ग्रुप से ही ब्लड ले सकते हैं।
  • A पॉजिटिव : A पॉज़िटिव AB पॉज़िटिव ग्रुपवालों को रक्त दे सकते हैं और इनको O पॉज़िटिव, A और O निगेटिव ब्लड चढ़ाया जा सकता है।
  • A निगेटिव : A और AB पॉज़िटिव, A और AB निगेटिव ग्रुपवालों को रक्त दे सकते हैं। A और O निगेटिव से ब्लड ले सकते हैं।
  • B पॉजिटिव : B और AB पॉज़िटिव ब्लड ग्रुप को रक्त दे सकते हैं। B पॉज़िटिव, B और O निगेटिव से रक्त ले सकते हैं।
  • B निगेटिव : B और AB निगेटिव, B और AB पॉज़िटिव ग्रुप को ब्लड डोनेट कर सकते हैं और B और O निगेटिव से रक्त ले सकते हैं।
  • AB पॉजिटिव : ये ग्रुपवाले AB पॉज़िटिव को रक्त दे सकते हैं।
  • AB निगेटिव : ये ग्रुपवाले AB पॉज़िटिव और निगेटिव दोनों को ही ब्लड दे सकते हैं और A, B, AB, O निगेटिव से ब्लड ले सकते हैं।

RH कारक RH Factor

  • 1940 ई. में लैण्डस्टीनर और वीनर ने रुधिर में एक अन्य प्रकार के एन्टीजन का पता लगाया। इन्होंने रीसस बंदर में इस तत्व का पता लगाया। 
  • इसलिए इसे Rh-factor कहते हैं। जिन व्यक्तियों के रक्त में यह तत्व पाया जाता हैं उनका रक्त Rh सहित (Rh-positive) कहलाता हैं तथा जिनमें नहीं पाया जाता उनका रक्त Rh रहित (Rh-negative) कहलाता हैं।
  • रक्त आधान के समय Rh-factor की भी जांच की जाती हैं। Rh-positive को Rh-positive और Rh-negative को Rh-negative का रक्त दिया जाता हैं।
  • यदि Rh-positive रक्त वर्ग का रक्त Rh-negative रक्त वर्ग वाले व्यक्ति को दिया जाता हैं तो प्रथम बार कम मात्रा होने के कारण कोई प्रभाव नहीं पड़ता किन्तु जब दूसरी बार इसी प्रकार रक्तादान किया गया हो तो अभिषलेषण के कारण Rh-negative वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं।

हीमोग्लोबिन Hemoglobin

  • लाल रुधिर कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन रहता है, जिसके कारण रुधिर लाल दिखाई देता है। 
  • हीमोग्लोबिन ग्लोबूलिन और हीम, या हीमेटिन का बना होता है। 
  • ग्लोबूलिन एक प्रकार का प्रोटीन है। हीमेटिन के अंदर लोहा रहता है। 
  • हीमोग्लोबिन ही ऑक्सीजन का अवशोषण करता है और इसको रक्त द्वारा सारे शरीर में पहुँचता है।
  • रुधिर में हीमोग्लोबिन की मात्रा 14.5 ग्राम प्रतिशत है। अनेक रोगों में इसकी मात्रा कम हो जाती है। 
  • इसमें लोहा रहता है। इसमें चार पिरोल समूह रहते हैं, जो क्लोरोफिल से समानता रखते हैं। 
  • इसका अपचयन और उपचयन सरलता से हो जाता है। अल्प मात्रा में यह सब प्राणियों और पादपों में पाया जाता है। 
  • हीमोग्लोबिन क्रिस्टलीय रूप से सरलता से प्राप्त हो सकता है।


➦ नोट - इस पेज पर आगे और भी जानकारियां अपडेट की जायेगी, उपरोक्त जानकारियों के संकलन में पर्याप्त सावधानी रखी गयी है फिर भी किसी प्रकार की त्रुटि अथवा संदेह की स्थिति में स्वयं किताबों में खोजें तथा फ़ीडबैक/कमेंट के माध्यम से हमें भी सूचित करें।


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