मानव नेत्र Human Eye
आँख एवं उसकी आन्तरिक संरचना
आँख Eye अधिकांश जीव जंतुओं के शरीर का आवश्यक अंग हैं। इस लेख में मानव शरीर से संबंधित उल्लेख है। आँख या नेत्रों के द्वारा हमें वस्तु का 'दृष्टिज्ञान' होता है। दृष्टि वह संवेदन है, जिस पर मनुष्य सर्वाधिक निर्भर करता है। दृष्टि एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें प्रकाश किरणों के प्रति संवेदिता, स्वरूप, दूरी, रंग आदि सभी का प्रत्यक्ष ज्ञान समाहित है। आँखें अत्यंत जटिल ज्ञानेन्द्रियाँ हैं, जो दायीं-बायीं दोनों ओर एक-एक नेत्र कोटरीय गुहा में स्थित रहती है। ये लगभग गोलाकार होती हैं तथा इनका व्यास लगभग एक इंच (2.5 सेंटीमीटर) होता है। इन्हें नेत्रगोलक कहा जाता है। नेत्र कोटरीय गुहा शंक्वाकार होती है। इसके सबसे गहरे भाग में एक गोल छिद्र (फोरामेन) होता है, जिसमें से होकर द्वितीय कपालीय तन्त्रिका (ऑप्टिक तन्त्रिका) का मार्ग बनता है। नेत्र के ऊपर व नीचे दो पलकें होती हैं। ये नेत्र की धूल के कणों से सुरक्षा करती हैं। नेत्र में ग्रन्थियाँ होती हैं। जिनके द्वारा पलक और आँख सदैव नम बनी रहती हैं। इस गुहा की छट फ्रन्टल अस्थि से, फर्श मैक्ज़िला से, लेटरल भित्तियाँ कपोलास्थि तथा स्फीनॉइड अस्थि से बनती हैं और मीडियल भित्ति लैक्राइमल, मैक्ज़िला, इथमॉइल एवं स्फीनॉइड अस्थियाँ मिलकर बनाती हैं। इसी गुहा में नेत्रगोलक वसीय ऊतकों में अन्त:स्थापित एवं सुरक्षित रहता है।मानव नेत्र दोष एवं समाधान Human Eye Defects and Solutions
- मानव नेत्र के बिना मानव जीवन में अंधकार रह जाता है बिना नेत्र के जीवन में रंगों की कल्पना नहीं की जा सकती है।
- आँख मानव शरीर में पाए जाने वाले इंद्रिय अंगों में से एक है। यह एक फोटोग्राफिक कैमरे के बराबर है
- वैज्ञानिक और फोटोग्राफर डॉ रोजर क्लार्क के अनुसार, मानव आँख का संकल्प 576 मेगापिक्सेल है।
- मानव आँख, पारदर्शी जीवित पदार्थ से बने एक प्राकृतिक उत्तल लेंस के माध्यम से प्रकाश के अपवर्तन पर काम करती है और हमें, हमारे आसपास की चीजों को देखने के लिए सक्षम बनाती है।
- देखने की क्षमता को विजन (vision), आई साइट (eye sight) या दृष्टि कहा जाता है।
- मानव आंख कॉर्निया (cornea), आईरिस (iris), पुतली (pupil), सिलिअरी मांसपेशियों (ciliary muscles), नेत्र लेंस (eye lens), रेटिना (retina) और ऑप्टिकल तंत्रिका (optical nerve)से बनी होती हैं।
मानव नेत्र का संरचना Human eye structure
- मनुष्य की नेत्र की संरचना कैमरे की भांति कार्य करती है ।
- आँख के गोलक का औसत व्यास 25 मिमी तथा भार 7 ग्राम के लगभग होता है ।
- मनुष्य के चेहरे पर नाक के ऊपर दोनों ओर ललाट के नीचे दो छिद्र होते हैं, जिनको आँख का कोटर (Orbits) कहा जाता है। आँख के गोलक इन्हीं गड्डों में रहते हैं । इन्हें अपने स्थान पर दृढ़ता से स्थिर रखने के लिए प्रत्येक आँख में छोटी-छोटी छ: पेशियाँ होती हैं । ये पेशियाँ लचीली (Flexible) होती हैं । इनकी सहायता से हम आँखों को इधर-उधर घुमा सकते हैं।
- मनुष्य की नेत्र की संरचना कैमरे की भांति कार्य करती है ।
- आँख के गोलक का औसत व्यास 25 मिमी तथा भार 7 ग्राम के लगभग होता है ।
- मनुष्य के चेहरे पर नाक के ऊपर दोनों ओर ललाट के नीचे दो छिद्र होते हैं, जिनको आँख का कोटर (Orbits) कहा जाता है। आँख के गोलक इन्हीं गड्डों में रहते हैं । इन्हें अपने स्थान पर दृढ़ता से स्थिर रखने के लिए प्रत्येक आँख में छोटी-छोटी छ: पेशियाँ होती हैं । ये पेशियाँ लचीली (Flexible) होती हैं । इनकी सहायता से हम आँखों को इधर-उधर घुमा सकते हैं।
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मानव नेत्र का निर्माण Creation of human eye
- आंख के सामने का भाग जिसे कॉर्निया कहा जाता है, पारदर्शी पदार्थ से बना होता है और इसकी बाहरी सतह आकार में उत्तल होती है। ऐसा कॉर्निया के कारण होता है जिससे कि वस्तुओं से आने वाला प्रकाश आँखों में प्रवेश करता है।
- कॉर्निया के बिल्कुल पीछे आईरिस होता है जिसे रंगीन डायाफ्राम (coloured diaphragm) भी कहा जाता है।
- आईरिस के बीच में एक छोटे से बिंदु को पुतली कहा जाता है। फिर इसके पीछे नेत्र लेंस होता है जिसे उत्तल (कॉनेवेक्स) (convex) लेंस कहते हैं। ऐसा सिलिअरी मांसपेशियों के सपोर्ट के कारण होता है जिससे आंखों का लेंस अपनी जगह पर स्थिर रहता है।
- नेत्र लेंस लचीला होता है जिससे सिलिअरी मांसपेशियों की सहायता से अपनी फोकल लंबाई और आकार को बदल सकता है।
मानव नेत्र के महत्वपूर्ण भाग Important parts of human eye
श्वेतपटल Sclera
- श्वेतपटल मानव नेत्र का सबसे बाहरी भाग श्वेतपटल होता है जो एक अपारदर्शी श्वेत पदार्थ से ढका रहता है श्वेतपटल नेत्र के भीतरी भागो की सुरक्षा करता है इसे दृढ़पटल भी कहते है।
रक्तकपटल Blood plate
- रक्तकपटल रक्तकपटल काले रंग की झिल्ली की तरह श्वेत परत के भीतरी पृष्ठ से लगी रहती है इसका कार्य प्रकाश का अवशोषण करना तथा आंतरिक परावर्तन को रोकना है।
कार्निया Cornea
- कार्निया नेत्र के सामने उभरे हुए पारदर्शक भाग को कार्निया कहते है प्रकाश कॉर्निया से होकर नेत्र में प्रवेश करता है तथा प्रकाश का अधिकांश अपवर्तन कॉर्निया के बाहरी पृष्ठ से होता है।
आईरिस Iris
- आईरिस कॉर्निया के पीछे अपारदर्शक झिल्ली को आईरिस कहते हैं आंख का रंग आईरिस के रंग पर निर्भर करता है।
पुतली Dolly
- पुतली आईरिस के मध्य छिद्र होता है जिसे पुतली या नेत्र तारा कहा जाता है इनका कार्य प्रवेश करने वाली प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करना है तथा पुतली के आकार को आईरिस नियंत्रित करता है।
नेत्र लेंस Ocular lens
- नेत्र लेंस यह एक द्वीउत्तल लेंस है जो आइरिस के ठीक पीछे स्थित होता है। यहां पारदर्शी और मुलायम होता है तथा यह प्रोटीन का बना होता लेंस के पिछले भाग की वक्रता त्रिज्या छोटी तथा अगले भाग की वक्रता त्रिज्या बड़ी होती है लेंस के पदार्थ का अपवर्तनांक 1.44 होता है।
पक्षमाभी मांसपेशियां Side muscle
- पक्षमाभी मांसपेशियां नेत्र लेंस मांसपेशियों द्वारा नियंत्रित होती है जिन्हें पक्षमाभी मांसपेशिया कहते हैं ।
- मांसपेशियों की सहायता से लेंस की फोकस दूरी को कम या अधिक किया जा सकता है।
रेटिना Retina
- रेटिना रक्तकपटल के नीचे तथा नेत्र के सबसे आंतरिक भाग में दृष्टि नाड़ियों से बना एक पर्दा होता है जिसे रेटीना कहते हैं इस पर्दे पर दो प्रकार की प्रकाश संवेदी कोशिकाएं होती हैं जो क्रमशः प्रकाश के रंग तथा तीव्रता के प्रति सुग्राही होती हैं।
जलीय द्रव्य Aquatic material
- जलीय द्रव्य कॉर्निया तथा नेत्र लेंस के मध्य एक पारदर्शी दव्य भरा रहता है जिसे जलीय द्रव्य कहते है।
कांचाभ द्रव्य Vitreous material
- कांचाभ द्रव्य नेत्र लेंस तथा रेटीना के मध्य एक पारदर्शी द्रव्य भरा रहता है जिसे कांचाभ द्रव्य कहते है।
पीत बिन्दु Yellow point
- पीत बिन्दु रेटीना के पास स्थित गोला पीला बिन्दु को पीत बिंदु कहते है इस बिन्दु पर प्रकाश की सुग्राहिता सबसे अधिक होती है जिससे इस बिंदु पर बनने वाला प्रतिबिंब सबसे अधिक स्पष्ट होता है।
अंधबिंदू Blind point
- अंधबिंदू जिस बिंदु से दृष्टि नाड़िया मस्तिष्क को जाती है। उस बिंदु को अंधबिंदु कहते है इस बिंदु पर प्रकाश का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है जिससे इस बिंदु पर बनने वाला प्रतिबिंब नहीं दिखाई देता है।
नेत्र का कार्य Eye work
- किसी भी वस्तु से आने वाली प्रकाश की किरणें पुतली के माध्यम से आंखों में प्रवेश करती हैं आंख के लेंस पर पड़ती हैं।
- नेत्र लेंस तब प्रकाश की किरणों का अभिसरण करते हैं और वस्तु की छवि को बनाते हैं जो कि वास्तविक और इन्वर्टेड (inverted) होती है।
- रेटिना में प्रकाश के प्रति संवेदनशील कोशिकाओं जो कि विद्युत संकेतों को उत्पन्न कर सकती हैं, की एक बड़ी संख्या होती है।
- रेटिना पर छवि बनने के बाद यह मस्तिष्क को विद्युत संकेत भेजती है जिसके बाद हमें छवि की अनुभूति होती है। हालांकि रेटिना पर गठित छवि इन्वर्टेड होती है फिर भी मस्तिष्क इसके निर्माण की व्याख्या करता है।
वस्तुओं को देखना
दूर की वस्तुएं Distant objects
- दूर की वस्तुएं प्रकाश की किरणें जब दूर की वस्तु से आती हैं तब वे शुरुआत में डायवर्जिंग (diverging) होती हैं लेकिन जब वे हमारी आँख तक पहुँचती हैं तब समानांतर बन जाती हैं। इसलिए जब हम दूर की वस्तु को देखते हैं, तब हमें आंख की रेटिना पर एक छवि को बनाने के लिए कम अभिसारी शक्ति के उत्तल नेत्र लेंस (convex eye-lens of low converging power) की आवश्यकता होती है। कम अभिसारी शक्ति के उत्तल नेत्र लेंस में बड़ी फोकल लंबाई होती है और यह काफी पतले होते हैं|
पास की वस्तुएं Goods nearby
- पास की वस्तुएं प्रकाश की किरणें जब पास की वस्तु से आती हैं तब वे शुरुआत में डायवर्जिंग (diverging) होती हैं इसलिए जब हम पास की वस्तु को देखते हैं, तब हमें आंख की रेटिना पर एक छवि को बनाने के लिए उच्च अभिसारी शक्ति के उत्तल नेत्र लेंस (convex eye-lens of high converging power) की आवश्यकता होती है। उच्च शक्ति वाले अभिसारी उत्तल लेंस की फोकल लंबाई छोटी होती है और यह मोटे होते हैं।
आंख की समंजन क्षमता Adjusting eyes capacity
एक सामान्य आँख की समंजन क्षमता एक निश्चित सीमा तक ही होती है जो स्पष्ट रूप से 25 सेमी तक की पास की तथा दूर में अनंत तक देखने के लिए सक्षम है।- अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता है, समंजन या समंजन क्षमता (accommodation.) कहलाती है। या फिर अभिनेत्र लेंस की फोकल लेंथ का किसी खास दूरी पर रखी वस्तु को देखने के लिए बढ़ाना या घटना या घटाना समंजन कहलाती है।
- जब सिलिअरी मांसपेशियां (पक्ष्माभी पेशियां) शिथिल हो जाती हैं तो अभिनेत्र लेंस पतला हो जाता है जिससे लेंस की फोकल दूरी बढ़ जाती है। अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी बढ्ने के कारण हम दूर रखी वस्तुओं को स्पष्ट देख पाते हैं। आंख का लेंस रेटिना पर दूर की वस्तु की एक छवि बनाने के लिए प्रकाश की किरणों के समानांतर एकाग्र होता है। जब आँख दूर की वस्तु को देखती है तो इसे असमंजन कहते हैं।
- और जब हमारी आँखें आसपास की वस्तुओं को देखती हैं तो सिलिअरी मांसपेशियां फैली होती हैं और उसकी फोकल लंबाई कम हो जाती है। इसके कारण, नेत्र लेंस की कंवर्जिंग पावर बढ़ जाती है और वस्तु से आने वाले प्रकाश की डायवर्जिंग किरणें रेटिना पर एक छवि बनाती है। जब आँख पास की वस्तु को देखती है तो इसे समंजन कहते हैं।
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मानव नेत्र दोष एवं समाधान Human Eye Defects and Solutions
दृष्टि के तीन आम दोष होते हैं।
- 1) निकट दृष्टि दोष Myopia
- 2) दीर्घदृष्टि दोष Hypermetropia
- 3) जरा दूरदृष्टिता Presbyopia
- मोतियाबिंद Cataracts
1) निकट दृष्टि दोष Myopia
- निकट दृष्टि आँख का दोष जिसमें दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देखा जा सकता है निकट दृष्टि दोष कहलाता है।
- निकट दृष्टि वाला व्यक्ति आसपास की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।
निकट दृष्टि का कारण
- अभिनेत्र लेंस की वक्रता का अधिक हो जाना।
- नेत्र गोलक का लंबा हो जाना।
- अभिनेत्र लेंस की वक्रता के अत्यधिक हो जाने या नेत्र गोलक के लंबा हो जाने के कारण निकट दृष्टि दोष से युक्त व्यक्ति का दूर बिंदु अनंत पर न होकर नेत्र के पास आ जाता है, जिसके कारण निकट दृष्टि दोष से युक्त नेत्र में किसी दूर रखी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर न बनकर रेटिना के सामने थोड़ा आगे बनता है।
निकट दृष्टि के समाधान Myopia solutions
- निकट दृष्टि या अदूरदर्शिता (Myopia or short-sightedness) को अवतल लेंस (concave lens ) युक्त चश्मा पहनकर सुधारा जा सकता है।
निकट दृष्टि ठीक करने के लिए अवतल लेंस की शक्ति गणना के लिए सूत्र
सूत्र1 / छवि दूरी (v) -1 / वस्तु की दूरी (यू) = 1 / फोकल लंबाई (एफ)
1/image distance (v)-1/object distance (u) = 1/focal length (f)
2) दीर्घदृष्टि दोष Hypermetropia
- दीर्घदृष्टि दोष को दूर दृष्टिता भी कहा जाता है। दीर्घदृष्टि दोष से पीड़ित वयक्ति दूर रखी वस्तु को तो स्पष्ट देख पाता है लेकिन निकट रखी वस्तु को स्पष्ट नहीं देख पाता है।
- इस दोष से पीड़ित व्यक्ति नजदीक रखी वस्तु को धुंधला देखता है।
दूर दृष्टिता का कारण
- अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी का कम हो जाना।
- नेत्र गोलक का छोटा हो जाना।
दीर्घदृष्टि दोष के समाधान Hypermetropia solutions
- दूर दृष्टि को उपयुक्त क्षमता के अभिसारी (उत्तल) लेंस या कोनवेक्स लेंस (Convex lens) के उपयोग से संशोधित किया जा सकता है।
- उत्तल लेंस नजदीक रखी वस्तु से आती प्रकाश की किरणों को अभिसरित कर वस्तु का प्रतिबिंब सही जबह अर्थात रेटिना पर बनाता है।
दीर्घदृष्टि ठीक करने के लिए उत्तल लेंस की शक्ति गणना के लिए सूत्र
सूत्र1 / वी - 1 / यू = 1 /एफ
1/v - 1/u = 1/f
इस सूत्र में, वस्तु की दूरी है आप, आंख का सामान्य नजदीकी केंद्र (25 सेमी) है।
3) जरा दूरदृष्टिता Presbyopia
- यह दृष्टि दोष आमतौर पर बुढ़ापे में होता है जब सिलिअरी मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और अधिकांश व्यक्तियों के नेत्र का निकट बिंदु दूर हट जाता है तथा उनके अभिनेत्र लेंस की समंजन क्षमता घट जाती है जिसके कारण व्यक्ति पास रखी वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है।
- प्रेसबायोपिया से ग्रसित बूढ़े व्यक्ति का निकट बिंदु अधिक से अधिक 25 सेमी होता है।
जरा दूरदृष्टिता दोष के समाधान Presbyopia solutions
- प्रेसबायोपिया को उत्तल लेंस (Convex lens ) का चश्मा पहन कर सही किया जा सकता है।
मोतियाबिंद Cataracts
- कभी कभी अधिक आयु के कुछ व्यक्तियों के नेत्र का क्रिस्टलीय लेंस दूधिया तथा धुंधला हो जाता है। इस स्थिति को मोतियाबिंद कहते हैं।
- मोतियाबिंद के कारण नेत्र की दृष्टि में कमी हो या पूर्ण रूप से दृष्टि क्षय हो जाता है।
- मोतियाबिंद का संशोधन शल्य चिकित्सा के द्वारा किया जा सकता है।
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