भारत में यूरोपीय देशो का आगमन
भारत में विदेशियों का आगमन
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भारत में यूरोपीय देशो का आगमन
17 मई 1498 को पुर्तगाल का वास्को-डी-गामा भारत के तट पर आया जिसके बाद भारत आने का रास्ता तय हुआ। वास्को डी गामा की सहायता गुजराती व्यापारी अब्दुल मजीद ने की । उसने कालीकट के राजा जिसकी उपाधि 'जमोरिन'थी से व्यापार का अधिकार प्राप्त कर लिया पर वहाँ सालों से स्थापित अरबी व्यापारियों ने उसका विरोध किया। 1499 में वास्को-डी-गामा स्वदेश लौट गया और उसके वापस पहुँचने के बाद ही लोगों को भारत के सामुद्रिक मार्ग की जानकारी मिली।भारत मे यूरोपीय कंपनियो के आगमन का प्रारम्भिक उद्देश्य व्यापार के द्वारा लाभ प्राप्त करना था। इन कंपनियो के बीच आर्थिक वर्चस्व को लेकर संघर्ष प्रारम्भ हुए, जिसने बाद मे राजनीतिक वर्चस्व का रूप ले लिया। इन संघर्षो मे अंतत: ईस्ट इण्डिया कम्पनी की विजय हुई , जिसके आगे लगभग 200 वर्षो तक भारत में शासन किया।
भारत में विदेशी कंपनियो का आगमन क्रम
- 1-पुर्तगाली
- 2- डच
- 3- अंग्रेज़
- 4- फ्रेंच
पुर्तगाली
- भारत मे आने वाली यूरोपीय कंपनियो मे पुर्तगाली प्रथम थे। 17 मई 1498 ई0 मे सर्वप्रथम वास्कोडिगामा भारत आया। वह भारत के कालीकट नमक स्थान पर उतरा। तत्कालीन राजा जमोरिन ने उसका स्वागत किया। इस कार्य मे अब्दुल मनीक नामक गुजराती पथ-प्रदर्शक की सहायता ली। वापस जाते समय वास्कोडिगामा अपने साथ मसाले आदि ले गया जो कि उसके यात्रा खर्च की 60 गुना थी।
- सन 1500 ई0 मे पेड्रो अल्बरेज केब्राल द्वितीय पुर्तगाली अभियान के तहत कालीकट पहुँचा।
- सन 1502 ई0 मे पुन: वास्कोडिगामा भारत आया ।
- सन 1503 ई0 मे इनकी पहली फैक्ट्री कोचीन मे बनी।
- इनका मुख्य उद्देश्य - 1 भारत मे अरब तथा वेनिस व्यापारियो का अस्तित्व मिटाना व 2 ईसाई धर्म का प्रचार।
- फ्रांसिस्को डी अल्मीड़ा ने ब्लू वाटर पॉलिसी तय की ( FEITORIAS AND CARTAZE)।
- 1510 ई0 मे बीजापुर के सुल्तान को हराकर गोवा पर अधिकार कर लिया।
- सन 1612 ई0 मे स्वेली के युद्ध मे अंग्रेज़ो से पराजित होकर अपने को गोवा दमन दीव तक सीमित कर लिया।
डच
- पुर्तगालियों की समृद्धि देख कर डच भी भारत और श्रीलंका की ओर आकर्षित हुए।
- 1596 ई0 मे भारत आने वाला प्रथम डच नागरिक कार्नेलियस हाउटमैन था।
- सर्वप्रथम 1598 में डचों का पहला जहाज अफ्रीका और जावा के रास्ते भारत पहुँचा।
- 1602 में प्रथम डच ईस्ट कम्पनी की स्थापना की गई जो भारत से व्यापार करने के लिए बनाई गई थी। इस समय तक अंग्रेज और फ्रांसिसी लोग भी भारत में पहुँच चुके थे पर नाविक दृष्टि से डच इनसे वरीय थे।
- डचो ने मसाले के स्थान पर भारतीय कपड़ों के निर्यात की अधिक महत्व दिया।
- सन् 1602 में डचों ने अम्बोयना पर पुर्तगालियों को हरा कर अधिकार कर लिया। इसके बाद 1612 में श्रीलंका में भी डचों ने पुर्तगालियों को खदेड़ दिया।
- उन्होंने मसुलिपटृम (1605),पुलीकट (1610), सूरत (1616), बिमिलिपटृम (1641), करिकल (1653),चिनसुरा (1653), क़ासिम बाज़ार, बड़ानगर, पटना, बालेश्वर (उड़ीसा) (1658), नागापट्टनम् (1658) और कोचीन (1663) में अपनी कोठियाँ स्थापित कर लीं। पर, एक तो डचों का मुख्य उद्येश्य भारत से व्यापार न करके पूर्वी एशिया के देशों में अपने व्यापार के लिए कड़ी के रूप में स्थापित करना था और दूसरे अंग्रेजों ओर फ्रांसिसियों ने उन्हें यहाँ और यूरोप दोनों जगह युद्धों में हरा दिया। इस कारण डचों का प्रभुत्व बहुत दिनों तक भारत में नहीं रह पाया था।
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अंग्रेज़
- 1599 ई0 मे जॉन मिल्डेन हॉल थल मार्ग से भारत आया।
- 1600ई0 मे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी अस्तित्व मे आयी। (आज्ञा महारानी एलिज़ाबेथ)
- 1608 ई0 मे कैप्टन हाकिन्स मुगल सम्राट जहांगीर के दरबार मे आगरा आए।
- 1609 ई0 मे सम्राट सूरत मे फैक्ट्री खोलने का फरमान देता है।
- 1613 ई0 मे पहली ब्रिटिश फैक्ट्री सूरत खोली गई।
- 1615 ई0 मे एक और ब्रिटिश राजदूत टॉमस रो मुगल दरबार मे आते है।
- फिर एक फरमान आता है की अंग्रेज़ भारत मे कही भी व्यापार कर सकते है वो भी बिना कर दिये।
- 1616 ई0 मे एक और फैक्ट्री लगाई जाती है मसूलीपट्टनम मे।
- 1632 ई0 मे इन्हे गोलकुंडा क्षेत्र मे व्यापार करने का अधिकार मिल जाता है। (सुनहरा फरमान)
- शाहजहाँ ने खुश होकर 1651 ई0 मे अंग्रेज़ो को बंगाल के सीमित क्षेत्रो मे 3000 रू0 वार्षिक कर के बदले व्यापार की अनुमति दे दी ( पुत्री का इलाज - गैब्रियल ब्रोटन के द्वारा)
- 1658 ई0 तक समस्त फैक्ट्रियाँ सेंट जॉर्ज (फोर्ट) के अधीन आ गई।
- बंबई (1688) में अंग्रेज कोठियाँ स्थापित की गईं। पर अंग्रेजों की बढ़ती उपस्थिति और उनके द्वारा अपने सिक्के चलाने से मुगल नाराज हुए। उन्हें हुगली, कासिम बाज़ार, पटना, मछली पट्टनम्, विशाखा पत्तनम और बम्बई से निकाल दिया गया।
- 1690 में अंग्रेजों ने मुगल बादशाह औरंगजेब से क्षमा याचना की और अर्थदण्ड का भुगतानकर नई कोठियाँ खोलने और किलेबंदी करने की अनुमति प्राप्त करने में सफल रहे।
फ्रांसीसी
- सन् 1611 में भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से एक फ्रांसीसी क्म्पनी की स्थापना की गई थी।
- फ्रांसिसियों ने 1668 में सूरत, 1669 में मछली पट्टणम् थथा 1674 में पाण्डिचेरी में अपनी कोठियाँ खोल लीं।
- आरंभ में फ्रांसिसयों को भी डचों से उलझना पड़ा पर बाद में उन्हें सफलता मिली और कई जगहों पर वे प्रतिष्ठित हो गए। पर बाद में उन्हें अंग्रेजों ने निकाल।
- 1608 में विलयम हॉकिंस भारत आया 400 का मनसब ( मुगलो के अधीन नौकरी ) प्राप्त करने वाला प्रथम ब्रिटिश विलियम हॉकिंस ही था।
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