छत्तीसगढ़ में सोमवंश | Chhattisgarh Me Somvansh

छत्तीसगढ़ में सोमवंश | Chhattisgarh Me Somvansh

छत्तीसगढ़ में सोमवंश
Somvansh in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में सोमवंश का शासन काल

इस पोस्ट में हम छत्तीसगढ़ में सोमवंश के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे यदि कहीं पर आपको त्रुटिपूर्ण लगे तो कृपया पोस्ट के नीचे कमेंट बॉक्स पर लिखकर हमें सूचित करें

छत्तीसगढ़ के सोमवंश -

  • सोमवंश के बारे में जानने से पहले हमें जानना जरुरी होता है की सोमवंश के राजवंश भी दक्षिण कोसल के राजवंश थे। 
  • सोमवंश के राज्य का विस्तार उड़ीसा के सम्बलपुर और कालाहांडी जिले तक था। उस समय ये जिले छत्तीसगढ़ के भाग में आते थे। 1905 बंगाल विभाजन के समय भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन हुआ जिससे ये उड़ीसा में चले गए।

सोमवंश के बारे में जानने के स्रोत

  • सोमवंशी राजाओं का बहुत से अभिलेख मेकल ,कोसल,व उत्कल क्षेत्र से प्राप्त हुए है साथ ही साहित्यिक सिक्के व स्थापत्य सम्बन्धी प्रमाण प्राप्त हुए है। 
  • सोमवंशी शासन का उसके ताम्रपत्र से शासन व्यवस्था पता चलता है। देश कोसल देश ,मध्य देश ,आंध्र देश ,दक्षिण कोसल देश ,का उल्लेख मिलताहै।

सोमवंश की राजधानी 

  • सोमवंशी को अपना राजधानी श्रीपुर से बदल कर विनितपुर चल दिये। 


सोमवंशी शासको की उपाधि

  • सोमवंशी शासको की उपाधि त्रिलिंगाधिपति थी। 
  • सोमवंशी शासक अपने आप को कभी भी पाण्डु वंश का नहीं कहा पर इसके नाम पाण्डुवंश के नाम की नरेशों नाम की पुनरावृत्ति है। जैसे पिता शिवगुप्त हुआ तो पुत्र भावगुप्त होता था। और यदि पिता भावगुप्त हुआ तो पुत्र शिवगुप्त होता था।


सोमवंश का काल निर्धारण


सोम वंशी शासन काल में सभी इतिहासकारों का मत अलग -अलग मिलता है।
  • फ़लीट व किलहार्न ने सोमवंशी द्वारा उपयोग में लायी लिपि के आधार पर -9 वी से 11 वी शताब्दी के अंत तक माना
  • डॉ। अजय मित्र शास्त्री ने भी 9 वी शताब्दी से 11 वी शताब्दी के अंत तक माना है।
  • डॉ श्याम कुमार पांडे लिखते है की पहला शासक शिवगुप्त 850 ई.से शासन प्रारम्भ करता है और अंतिम शासक महाशिवगुप्त पंचम कर्ण 1113ई. तक शासन करता है। इस तरह सोमवंशी शासन 263 वर्ष होता है
  • डॉ पी.एल.मिश्रा के अनुसार - 750 से 1000 ई.तक 250 वर्ष माना है
  • श्रीराम नेमा के अनुसार 910 -1118 ई. तक सोमवंशी शासन काल 208 वर्ष तक था। 

सोमवंश के प्रमुख शासक

सोमवंशी शासक अपनी वंश की उत्पत्ति सोम (चन्द्रमा )से मानते है।

प्रमुख सोमवंशी शासको की जानकारिया निचे दिए जा है 

1 शिवगुप्त (850 से 880 तक)

सोम वंश का प्रथम शासक शिवगुप्त को माना जाता है। इसकी जानकारी इसके पुत्र महाभावगुप्त (जनमेजय) के अभिलेख से मिलता है।
  • उपाधि -परम भट्टारक ,महाराजाधिराज ,परमेश्वर

2 .महाभावगुप्त प्रथम (जनमेजय )880 से 920 ई.

  • शिवगुप्त के पश्चात् उसका पुत्र महाभावगुप्त प्रथम जनमेजय सोमवंशी शासक हुआ। इसका और अन्य नाम धरमकंदर्प और स्वभावातुंग के नाम से भी जाना जाता है। 
  • महाभावगुप्त प्रथम के 13 ताम्रपत्र प्राप्त हुआ है प्रथम ताम्रपत्र से तत्कालीन दक्षिण कोसल की राजनितिक सामाजिक सांस्कृतिक दशा की झलक मिलती है।
  • उपाधि - त्रिकलिंगाधिपति इससे पता चलता है की त्रिकलिंग कुछ क्षेत्रों पर भी इसका अधिकार रहा।
  • शासन क्षेत्र - सम्बलपुर, बलांगीर ,महानदी के दक्षिण भाग सारंगगढ़ व सिरपुर

3. महाशिवगुप्त ययाति - 920 से 955 ई.

  • महाशिवगुप्त ययाति  जनमेजय का पुत्र था ,इसने अपनी राजधानी विनितपुर को नाम बदल कर ययाति नगर कर दिया। 
  • महाशिवगुप्त ययाति का शासन काल 30 से 35 वर्षों तक रहा होगा क्योंकि सभी साहित्यकारों का मत अलग -अलग है। 
  • डॉ.मिश्रा कहते है इसका कार्यकाल 840 से 875 ई.तक रहा होगा परन्तु डॉ. पांडेय 920 से 955ई.तक मानते है। 
  • महाशिवगुप्त ययाति ने अपने साम्राज्य को आगे बढ़ाते हुए भौमकरो के राज्य पर अपना अधिकार स्थापित किया चेदि शासकों को भी परास्त किया।

4.महाभावगुप्त द्वितीय भीमरथ - 955 से 975 ई.

  • महाशिवगुप्त ययाति के पश्चात् उसका पुत्र महाभावगुप्त द्वितीय भीमरथ गद्दी पारा बैठा 
  • महाभावगुप्त द्वितीय का शासन काल 20 वर्षो तक रहा। 
  • कलचुरियों ने कोसल और ओड्र पर आक्रमण कर वहा के शासक को परास्त किया। 
  • कलचुरियों के आक्रमण के संभावना के बावजूद अपना साम्रराज्य को सुरक्षित रखा।
  • उपाधि - त्रिलिंगाधिपति
  • शैव धर्म के उपाशक थे
  • कटक ताम्रपत्र में लिखा है "रत्नरूपी राजाओं में वह श्रेष्ठ रत्न थे" कटक ताम्रपत्र से मिलता है की दक्षिण कोसल के सोमवंशी ही त्रिलिंगाधिपति थे।

5. महाशिवगुप्त द्वितीय धर्मरथ - 975 से 995 ई.

  • महाभावगुप्त द्वितीय भीमरथ के पुत्र महाशिवगुप्त द्वितीय धर्मरथ सिहासन पर बैठा उसका केवल एक ताम्रपत्र प्राप्त हुआ जो खंडपारा ,महुलापरा से प्राप्त हुआ है। ये शैवधर्मी था इसे द्वितीय परशुराम भी कहा गया जो की ब्रह्मेश्वर मंदिर शिलालेख से मिलता है। 
  • महाभावगुप्त द्वितीय ने भी त्रिलिंगाधिपति की उपाधि की इसने अपने साम्रराज्य का विस्तार नहीं किया।
  • महाभावगुप्त द्वितीय की राजमुद्रा में कमल पर बैठी लक्ष्मी है।

6.महाभावगुप्त तृतीय नहुष - 995 से 1010 ई

  • महाभावगुप्त तृतीय नहुष का शासन काल पूर्ण रूप से अशांति था ये महामहाशिवगुप्त द्वितीय धर्मरथ का भाई था। 
  • महाभावगुप्त तृतीय नहुष के शासन काल में इसके भाई इन्द्ररथ ही उसको राजा मानने से इंकार कर दिया था इस तरह सोमवंश कमजोर पड़ने लगा।

7. इंद्ररथ - 1010 से 1022 ई.

  • इंद्ररथ का शासन काल चुनौती भरा रहा कलचुरी ,भोज ,परमार , व चोल वंश के राजाओं द्वारा कलिंग ,उत्कल ,ओड्र के विजय के उल्लेख मिलते है। 
  • इंद्ररथ पर परमार राजा भोज और चोल राजा राजेन्द्रप्रथम ने सयुक्त रूप से आक्रमण किया होगा और युद्ध क्षेत्र में मारडाला गया होगा। 
  • इंद्ररथ को अपनेवंश के अभिमन्यु से भी लड़ना पड़ा था।

छत्तीसगढ़ में सोमवंश के अन्य शासक

ययाति

इंद्ररथ के बाद महाशिवगुप्त तृतीय चंडीहर ययाति जो अभिमन्यु का पुत्र था सत्ता में आया। इन्होने 18 वर्ष तक शासन किया इसके पश्चात इसके पुत्र महाभावगुप्त चतुर्थ उद्योत केयरी 1040 से 1065 तक इसने अपने भाई अभिमन्यु को कोसल क्षेत्र का उप राजा नियुक्त किया था। 

महाशिवगुप्त चतुर्थ जनमेजय

इंद्ररथ के पश्चात् महाशिवगुप्त चतुर्थ जनमेजय , 

महाभावगुप्त पंचम पुरंजय 

महाभावगुप्त पंचम पुरंजय ,

कर्ण केसरी सोमवंश का अंतिम शासक

सोमवंश का अंतिम शासक कर्ण केसरी था। कलचुरी जाजल्ल देव ने सोमवंशी शासन का अंत कर दिया।


छत्तीसगढ़ में सोमवंश  अन्य व्यवस्थायें 

  • विषय - वर्तमान समय में जिले के सामान विषय रहा होगा जिसमे पोटा , औंगटक , कास्लोडा निमन , संदाना तोक्कार
  • मंडल नामक प्रशासनिक इकाई का उल्लेख मिलता है - गीगांडमण्डल ,संबरवड़ी ,रोगंडा , आदि
  • प्रशासनिक अधिकारी - यथा , महासंधिविग्रहिक ,राज्ञी ,राजपुत्र ,राणक ,राजवल्लभ ,मंत्री ,महाछलपाल ,कायस्थ ,समाहर्ता ,दण्डपाशिक ,कोटवार ,चाट ,भाट आदि


➦ नोट - इस पेज पर आगे और भी जानकारियां अपडेट की जायेगी, उपरोक्त जानकारियों के संकलन में पर्याप्त सावधानी रखी गयी है फिर भी किसी प्रकार की त्रुटि अथवा संदेह की स्थिति में स्वयं किताबों में खोजें तथा फ़ीडबैक/कमेंट के माध्यम से हमें भी सूचित करें।
 


इन्हे भी पढ़े  ➦


➦छत्तीसगढ़ के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी Freedom fighter of Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ में परिवहन Transport in Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ की जनसंख्या Population of Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ के समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं Chhattisgarh newspapers and magazines
➦छत्तीसगढ़ में खनिज एवं अयस्क संपदा Mineral & Ores in Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ की मिट्टी एवं उनके प्रकार Chhattisgarh soil and their types
➦छत्तीसगढ़ में लौह अयस्क Iron Ore In Chhattisgarh
➦ छत्तीसगढ़ में कोयला उत्पादन Coal production in Chhattisgarh
➦छत्तीसगढ़ में रामायण कालीन इतिहास Chhattisgarh Me Ramayan Kalin Itihas

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

Post a Comment (0)

और नया पुराने