हृदयाघात Heart Attack क्या है | हृदयाघात क्या होता है ? | हृदयाघात क्यों होता है ? | हृदयाघात होने के प्रमुख कारण | हृदयाघात के प्रमुख लक्षण | हृदयाघात Heart Attack की पहचान कैसे की जाती है

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हृदयाघात Heart Attack क्या है | हृदयाघात क्या होता है ? | हृदयाघात क्यों होता है ? | हृदयाघात होने के प्रमुख कारण | हृदयाघात के प्रमुख लक्षण | हृदयाघात Heart Attack की पहचान कैसे की जाती है

हृदयाघात Heart Attack क्या है | हृदयाघात क्या होता है ? | हृदयाघात क्यों होता है ? | हृदयाघात होने के प्रमुख कारण | हृदयाघात के प्रमुख लक्षण | हृदयाघात Heart Attack की पहचान कैसे की जाती है


हृदयाघात Heart Attack



हृदयाघात Heart Attack क्या है

हृदयाघात क्या होता है ?

हृदय एक महत्वपूर्ण अंग है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्त को पम्प करता है। हृदय ऑक्सीजन से भरपूर रक्त रक्त-धमनियों के ज़रिए प्राप्त करता है, जिन्हें कोरोनरी आर्टरीज़ कहा जाता है |

यदि इन रक्त धमनियों में रुकावट आ जाती है, तो ह्रदय की मांसपेशियों को रक्त प्राप्त नहीं होता एवं वे मर जाती हैं। इसे हृदयाघात कहते हैं |

हृदयाघात की गम्भीरता हृदय की मांसपेशियों को नुकसान की मात्रा पर निर्भर करती है, मृत मांसपेशी,पम्पिंग प्रभाव को कमज़ोर कर ह्रदय के कार्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है, जिससे कंजेस्टिव हार्टफेल्यर होता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई महसूस होती है एवंउसके पैरों में पसीना आने लगता है।


हृदयाघात क्यों होता है ?

हमारी आयु बढ़ने के साथ, शरीर के विभिन्न हिस्सों की रकत वाहिकाओं में, जिनमें कोरोनरी आर्टरीज़ भीशामिल हैं, कोलेस्ट्रॉल जम जाता है एवं रक्त के बहाव में धीरे-धीरे बाधा उत्पन्न कर देता है। इस धीरे-धीरेसंकरे होने की प्रक्रिया को अथेरोस्लेरोसिस कहते हैं |

महिलाओं की तुलना में पुरुषों में हृदयाघात होने की संभावना अधिक होती है। महिलाएं संभवतः मादा सेक्सहॉरमोन, एस्ट्रोजेन एवं प्रोजेस्टेरोन के प्रभाव से सुरक्षित रहती हैं। यह सुरक्षा प्रभाव कम से कम रजोनिवृत्तितक बना रहता है |

एशियाई लोगों, जिनमें भारतीय शामिल हैं, को हृदयाघात का जोखिम होने की संभावनाएं अधिक दिखती हैं।


हृदयाघात होने के प्रमुख कारण

  • धूम्रपान
  • मधुमेह
  • उच्च रक्तचाप
  • अधिक वज़न
  • उच्च घनत्व वाला लिपोप्रोटीन बनाम निम्न घनत्व वाला लिपोप्रोटीन
  • शारीरिक गतिविधि में कमी
  • हृदयाघात का पारिवारिक इतिहास
  • तनाव, गुस्सैल स्वभाव, बेचैनी
  • आनुवांशिक कारक


हृदयाघात के प्रमुख लक्षण


इसके लक्षणों को पहचानना कठिन होता है क्योंकि वह अन्य स्थितियों के सदृश भी हो सकते हैं।
  • जकड़न के साथ छाती में दर्द एवं सांस लेने में कठिनाई,
  • पसीना, चक्कर एवं बेहोशी महसूस होना
  • छाती में आगे या छाती की हड्डी के पीछे दर्द होना,
  • दर्द छाती से गर्दन या बाईं भुजा तक पहुँच सकता है,
  • अन्य लक्षण जैसे वमन, बेचैनी, कफ़, दिल तेज़ी से धड़कना। सामान्यतः दर्द २० मिनट से अधिक देर तक रहता है,
  • गंभीर मामलों में, रोगी का रक्तचाप तेज़ी से गिरने की वज़ह से उसका शरीर पीला पड़ सकता है और उसकी मृत्यु तक हो सकती है।

हृदयाघात Heart Attack की पहचान कैसे की जाती है ?

  • डॉक्टर मेडिकल इतिहास की विस्तृत जानकारी लेते, हृदयगति जांचते एवं रक्तचाप दर्ज करते हैं,
  • रोगी का इलेक्ट्रोकार्डिओग्राम, ईसीजी, लिया जाता जो कि हृदय की विद्युत गतिविधि का रिकार्ड होता है,
  • ईसीजी, हृदय धड़कन की दर की जानकारी देता है। साथ ही, यह बताता है कि हृदय धड़कन में कोई असामान्य लक्षण तो विद्यमान नहीं तथा हृदय की मांसपेशी का कोई हिस्सा हृदयाघात से क्षतिग्रस्त तो नहीं हुआ है। यह याद रखना महत्त्वपूर्ण है कि प्रारम्भिक चरणों में सामान्य ईसीजी, हृदयाघात होने की संभावनाको खत्म नहीं करता,
  • हृदय की मांसपेशी को नुकसान की पहचान करने के लिए रक्त परीक्षण उपयोगी होता है,
  • छाती का एक्स-रे परीक्षण किया जा सकता है,
  • ईकोकार्डिओग्राम एक प्रकार का स्कैन है जो हृदय की कार्यप्रणाली के बारे में उपयोगी जानकारी देता है,
  • कोरोनरी धमनियों में रुकावट का निर्णायक प्रमाण कोरोनरी एन्जिओग्राम द्वारा मिलता है।


हृदयाघात के दौरान मरीज़ को क्या प्राथमिक उपचार दिया जाना चाहिए ?

  • शीघ्र उपचार से जान बचाई जा सकती है,
  • विशेषज्ञ मेडिकल सहायता आने तक, मरीज़ को लेटाया जाना चाहिए एवं कपड़ों को ढीला कर दिया जानाचाहिए,
  • यदि ऑक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध हो तो मरीज़ को ऑक्सीजन दी जानी चाहिए,
  • यदि नाइट्रोग्लीसरिन या सोर्बीट्रेट टैबलेट उपलब्ध हों तो एक या दो गोली जीभ के नीचे रखी जा सकती है,
  • एस्पिरिन भी घोल कर दी जानी चाहिए।

हृदयाघात Heart Attack का उपचार क्या है ?

  • हृदयाघात की स्थिति में रोगी को चिकित्सकीय देखभाल एवं अस्पताल में भर्त्ती कराने की आवश्यकता होतीहै,
  • प्राथमिक चरणों में पहले कुछ मिनट एवं घंटे संकटपूर्ण होते हैं, कोरोनरी धमनियों में जमे थक्के को घोलनेके लिए दवाइयां दी जा सकती है,
  • हृदय की धड़कन पर नज़र रखी जाती है एवं असामान्य धड़कन की शीघ्रता से उपचार किया जाता है। दर्दनिवारक दवाएं दी जाती एवं मरीज़ को आराम करने तथा सोने के लिए प्रेरित किया जाता है,
  • यदि रक्तचाप अधिक हो, तो उसे कम करने के लिए दवाइयां दी जाती हैं,
  • वास्तविक उपचार व्यक्ति विशेष के हिसाब से होता है तथा मरीज़ की आयु, हृदयाघात की गंभीरता, हृदय कोपहुंचे नुकसान एवं धमनियों में रुकावट की स्थिति पर निर्भर करता है,
  • कई बार, रुकावट को दूर करने के लिए एक निश्चित प्रक्रिया ज़रूरी हो सकती है। यह कोरोनरीएन्जिओप्लास्टी, गुब्बारे की मदद से धमनियों के विस्तार, या कोरोनरी बायपास सर्जरी के रूप में हो सकतीहै।

हृदयाघात से कैसे बचा जा सकता है ?

हृदयाघात से पीड़ीत लोगों को निम्न उपायों का पालन करना चाहिए:
  • जीवन शैली में परिवर्तन
  • उन्हें स्वस्थ आहार लेना चाहिए जिसमें कम चर्बी एवं नमक, अधिक रेशा एवं जटिल कार्बोहाइड्रेट्स हों,
  • अधिक वज़न वालों के लिए वज़न कम करना आवश्यक है,
  • शारीरिक व्यायाम नियमित रूप से किया जाना चाहिए
  • धूम्रपान पूर्ण रूप से बंद कर दिया जाना चाहिए,
  • मधुमेह, उच्च रक्तचाप या उच्च कोलेस्ट्रोल के रोगी को, रोग नियंत्रण के लिए नियमित रूप से दवाईयां लेनीचाहिए।

धन्यवाद Thanks

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