संयुक्त राष्ट्र संघ | United Nations Organization Gk With PDF File I UNO | संयुक्त राष्ट्र संघ PDF File

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संयुक्त राष्ट्र संघ , Organization , UNO

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संयुक्त राष्ट्र संघ , Organization , UNO

परिचय
संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) 1945 में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। वर्तमान में इसमें शामिल सदस्य राष्ट्रों की संख्या 193+ है।

संयुक्त राष्ट्र का उद्देश्य Purpose of the United Nations

  • विश्व में युद्ध रोकना, अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना, मानव अधिकारों की रक्षा करना, अंतरराष्ट्रीय कानून को निभाने की प्रक्रिया जुटाना, सामाजिक और आर्थिक विकास उभारना, जीवन स्तर सुधारना और बीमारियों से लड़ना है. इस संगठन ने दुनिया भर में कई अहम मौकों पर मानव जीवन की सेवा कर एक आदर्श प्रस्तुत किया है
इसका मिशन एवं कार्य इसके चार्टर में निहित उद्देश्यों और सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होता है तथा संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों व विशेष एजेंसियों द्वारा इन्हें कार्यान्वित किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र की स्थापना का इतिहास

वर्ष 1899 में विवादों और संकट की स्थितियों को शांति से निपटाने, युद्धों को रोकने एवं युद्ध के नियमों को संहिताबद्ध करने हेतु हेग (Hague) में अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन आयोजित किया गया था।
इस सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय विवादों के शांतिप्रद निपटान के लिये कन्वेंशन को अपनाया गया एवं वर्ष 1902 में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय की स्थापना की गई, जिसने वर्ष 1902 में कार्य करना प्रारंभ किया। यह संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की पूर्ववर्ती संस्था थी।

संयुक्त राष्ट्र की पूर्ववर्ती संस्था लीग ऑफ नेशंस थी, यह एक ऐसा संगठन है जिस पर प्रथम विश्व युद्ध की परिस्थितियों में पहली बार विचार किया गया और वर्ष 1919 में वर्साय की संधि के तहत "अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने व शांति और सुरक्षा प्राप्त करने के लिये स्थापित किया गया था।"

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labor Organization- ILO) की स्थापना भी वर्ष 1919 में वर्साय की संधि (Treaty of Versailles) के तहत राष्ट्र संघ की एक संबद्ध एजेंसी के रूप में की गई थी।
"संयुक्त राष्ट्र" नाम संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट द्वारा दिया गया था। वर्ष 1942 में "संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र" पर 26 देशों ने हस्ताक्षर किये, जिसमें उन्होंने अपनी-अपनी सरकारों द्वारा एक्सिस पॉवर्स (रोम-बर्लिन-टोक्यो एक्सिस) के खिलाफ संघर्ष जारी रखने का वचन दिया तथा उन्हें शांति स्थापित करने के लिये बाध्य किया।

अंतर्राष्ट्रीय संगठन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (1945)

अंतर्राष्ट्रीय संगठन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (1945) यह सम्मेलन सेन फ्रांसिस्को (USA) में आयोजित किया गया, इसमें 50 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया एवं संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर हस्ताक्षर किये।
वर्ष 1945 का संयुक्त राष्ट्र चार्टर एक अंतर-सरकारी संगठन के रूप में संयुक्त राष्ट्र की आधारभूत संधि है।

संयुक्त राष्ट्र के मुख्य अंग

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा।
  • सुरक्षा परिषद।
  • संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद।
  • संयुक्त राष्ट्र न्यास परिषद।
  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय।
  • संयुक्त राष्ट्र सचिवालय।
इन सभी 6 अंगों की स्थापना वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय की गई थी।

1. संयुक्त राष्ट्र महासभा

महासभा संयुक्त राष्ट्र का महत्त्वपूर्ण अंग है। यह विचार-विमर्श, नीति-निर्धारण जैसे कार्यों के लिये उत्तरदायी है।
महासभा में संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व है, जो इसे सार्वभौमिक प्रतिनिधित्व वाला एकमात्र संयुक्त राष्ट्र निकाय बनाता है।
प्रतिवर्ष सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों की वार्षिक महासभा का आयोजन न्यूयॉर्क के जनरल असेंबली में किया जाता है और इसमें सामान्य बहस होती है, तथा कई राष्ट्र प्रमुखता से भाग लेते हैं।
महासभा में महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर निर्णय लेने जैसे कि शांति एवं सुरक्षा, नए सदस्यों के प्रवेश तथा बजटीय मामलों के लिये दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। अन्य प्रश्नों पर निर्णय साधारण बहुमत से लिया जाता है।
महासभा के अध्यक्ष को प्रत्येक वर्ष महासभा द्वारा एक वर्ष के कार्यकाल के लिये चुना जाता है।
6 मुख्य समितियाँ: महासभा के लिये मसौदा प्रस्ताव इसकी छह मुख्य समितियों द्वारा तैयार किया जा सकता है:
  • (1) प्रथम समिति - निरस्त्रीकरण एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा,
  • (2) द्वितीय समिति- आर्थिक एवं वित्तीय,
  • (3) तृतीय समिति - सामाजिक, मानवीय एवं सांस्कृतिक,
  • (4) चतुर्थ समिति - विशेष राजनीतिक एवं विऔपनिवेशीकरण,
  • (5) पंचम समिति- प्रशासनिक एवं बजटीय तथा
  • (6) छठी समिति- कानूनी।
मुख्य समिति में प्रत्येक सदस्य राष्ट्र का प्रतिनिधित्व केवल एक व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है तथा अन्य समितियाँ ऐसे भी स्थापित की जा सकती हैं, जिनमें सभी सदस्य राष्ट्रों को प्रतिनिधित्व का अधिकार हो।
सदस्य राष्ट्र इन समितियों के सलाहकारों, तकनीकी सलाहकारों, विशेषज्ञों या समान दर्जे वाले व्यक्तियों को भी नियुक्त कर सकते हैं।
अन्य समितियाँ:
महासमिति: महासभा एवं इसकी समितियों की प्रगति की समीक्षा करने और इसे आगे बढ़ाने के लिये सिफारिश करने हेतु यह प्रत्येक सत्र में समय-समय पर बैठक आयोजित करती है। यह महासभा के अध्यक्ष एवं 21 उपाध्यक्षों और छह मुख्य समितियों के अध्यक्षों से मिलकर बनी होती है। सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्य उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य करते हैं।
साख समिति: इसका कार्य सदस्य राज्यों के प्रतिनिधियों की साख (Credentials) की जाँच करना एवं महासभा को रिपोर्ट करना है।


2. सुरक्षा परिषद

  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा इसकी प्राथमिक ज़िम्मेदारी है।
  • सुरक्षा परिषद पंद्रह सदस्य राज्यों से मिलकर बनी है, जिसमें पाँच स्थायी सदस्य हैं- चीन, फ्राँस, रूस, यूनाइटेड किंगडम एवं संयुक्त राज्य अमेरिका तथा दस गैर-स्थायी सदस्य महासभा द्वारा दो वर्ष के लिये क्षेत्रीय आधार पर चुने जाते हैं।
  • "वीटो पावर" सुरक्षा परिषद के किसी भी प्रस्ताव को वीटो (अस्वीकार) करने के लिये स्थायी सदस्य की शक्ति को संदर्भित करती है।
  • पाँच स्थायी सदस्यों के पास बिना शर्त वीटो पावर का होना संयुक्त राष्ट्र के सबसे अलोकतांत्रिक लक्षण के रूप में माना जाता है।
  • आलोचकों का यह भी दावा है कि वीटो पावर युद्ध अपराध एवं मानवता के खिलाफ अपराधों पर अंतर्राष्ट्रीय निष्क्रियता का मुख्य कारण है। हालाँकि संयुक्त राज्य अमेरिका ने वर्ष 1945 में जब तक उसे वीटो नहीं दिया गया संयुक्त राष्ट्र में शामिल होने से इनकार कर दिया। राष्ट्र संघ (League of Nations) से संयुक्त राज्य अमेरिका की अनुपस्थिति ने इसके अप्रभावी होने में योगदान दिया। वीटो पावर के समर्थक इसे अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता के प्रवर्तक, सैन्य हस्तक्षेप के खिलाफ एक जाँच और अमेरिकी प्रभुत्व के खिलाफ एक महत्त्वपूर्ण सुरक्षा कवच के रूप में मानते हैं।


3. आर्थिक एवं सामाजिक परिषद

यह समन्वय, नीति समीक्षा, नीतिगत संवाद, आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय मुद्दों पर सिफारिशों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लक्ष्यों के कार्यान्वयन हेतु प्रमुख निकाय है।
इसमें महासभा द्वारा तीन वर्ष की अवधि के लिये निर्वाचित 54 सदस्य होते हैं।
यह सतत् विकास पर बहस एवं अभिनव सोच के लिये संयुक्त राष्ट्र का केंद्रीय मंच है।
प्रतिवर्ष ECOSOC सतत् विकास के लिये वैश्विक महत्त्व की वार्षिक थीम के इर्द-गिर्द अपनी कार्य संरचना बनाता है। यह ECOSOC के साझेदारों एवं संपूर्ण संयुक्त राष्ट्र विकास प्रणाली पर ध्यान केंद्रित करता है।
यह संयुक्त राष्ट्र की 14 विशिष्ट एजेंसियों, दस कार्यात्मक आयोगों और पाँच क्षेत्रीय आयोगों के कार्यों का समन्वय करता है, नौ संयुक्त राष्ट्र निधियों और कार्यक्रमों से रिपोर्ट प्राप्त करता है तथा संयुक्त राष्ट्र प्रणाली व सदस्य राज्यों के लिये नीतिगत सिफारिशें जारी करता है।
ECOSOC से जुड़े निकाय

विशिष्ट एजेंसियाँ

  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन
  • संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO)
  • संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को)
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
  • विश्व बैंक समूह
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
  • अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO)
  • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO)
  • अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU)
  • सार्वभौमिक डाक संघ (UPU)
  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO)
  • विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO)
  • अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFAD)
  • संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO)
  • विश्व पर्यटन संगठन (WTO)
  • कार्यात्मक आयोग

सांख्यिकीय आयोग

  • जनसंख्या एवं विकास आयोग
  • सामाजिक विकास आयोग
  • मानवाधिकार आयोग
  • महिलाओं की स्थिति पर आयोग
  • नारकोटिक ड्रग्स आयोग
  • अपराध रोकथाम एवं आपराधिक न्याय आयोग
  • विकास के लिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आयोग
  • सतत् विकास आयोग
  • वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम

क्षेत्रीय आयोग

  • अफ्रीका आर्थिक आयोग (ECA)
  • एशिया एवं प्रशांत आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP)
  • यूरोप आर्थिक आयोग (ECE)
  • लैटिन अमेरिका एवं कैरेबिया आर्थिक आयोग (ECLAC)
  • पश्चिमी एशिया आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (ESCWA)

स्थायी समितियाँ

  • कार्यक्रम एवं समन्वय समिति
  • मानव अधिवास आयोग
  • गैर-सरकारी संगठनों पर समिति
  • अंतर-सरकारी एजेंसियों के साथ वार्ता हेतु समिति
  • ऊर्जा एवं प्राकृतिक संसाधन समिति

तदर्थ निकाय

  • सूचना विज्ञान पर तदर्थ ओपन-एंडेड वर्किंग ग्रुप
  • सरकारी विशेषज्ञों से मिलकर बने विशेषज्ञ निकाय

  • खतरनाक वस्तुओं के परिवहन एवं रसायनों के वर्गीकरण व लेबलिंग की वैश्विक स्तर पर सामंजस्यपूर्ण प्रणाली पर विशेषज्ञों की समिति
  • भौगोलिक नामों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का समूह
  • व्यक्तिगत रूप से सेवारत सदस्यों से बने विशेषज्ञ निकाय

विकास नीति के लिये समिति

  • लोक प्रशासन एवं वित्त में संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम पर विशेषज्ञों की बैठक
  • टैक्स मामलों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर विशेषज्ञों के तदर्थ समूह
  • आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों पर समिति
  • विकास के लिये ऊर्जा एवं प्राकृतिक संसाधनों पर समिति
  • स्थानीय मुद्दों पर स्थायी मंच

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संबंधित निकाय

  • अंतर्राष्ट्रीय नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड
  • महिलाओं की उन्नति के लिये अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के संरक्षकों का बोर्ड
  • संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या पुरस्कार समिति
  • एचआईवी /एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम का कार्य समन्वय बोर्ड
  • कोष एवं कार्यक्रम जो ECOSOC को रिपोर्ट भेजते हैं
  • संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ)
  • व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD)
  • महिलाओं के लिये संयुक्त राष्ट्र विकास कोष
  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)
  • शरणार्थियों के लिये संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त का कार्यालय (UNHCR)
  • संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA)
  • फिलिस्तीनी शरणार्थियों हेतु कार्य करने वाली संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA)
  • ड्रग कंट्रोल एवं अपराध निवारण कार्यालय (ODCCP)
  • विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP)
  • यूएन-हैबिटेट

4. न्यास परिषद (Trusteeship Council)

इसकी स्थापना वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा अध्याय XIII के तहत की गई थी।
न्यास क्षेत्र संयुक्त राष्ट्र के न्यास परिषद द्वारा एक प्रशासनिक प्राधिकरण के तहत रखा गया एक गैर-स्वशासित क्षेत्र है।
लीग ऑफ नेशंस का अधिदेश प्रथम विश्व युद्ध के बाद कुछ क्षेत्रों का नियंत्रण एक देश से दूसरे देश को स्थानांतरित करने का एक कानूनी उपकरण था जिसमें राष्ट्र संघ की ओर से क्षेत्र को प्रशासित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय रूप से सहमत शर्तें शामिल थीं।
संयुक्त राष्ट्र के न्यास क्षेत्र (Trust Territories) शेष राष्ट्रों में संघ अधिदेशों को लागू करने हेतु उत्तरदायी थे, और ये तब अस्तित्व में आए जब लीग ऑफ नेशंस का अस्तित्व वर्ष 1946 में समाप्त हो गया।
इसे 11 न्यास क्षेत्रों के लिये अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षण प्रदान करना था जिन्हें सात सदस्य राज्यों के प्रशासन के तहत रखा गया था और साथ ही इन क्षेत्रों के स्व-शासन एवं स्वतंत्रता हेतु पर्याप्त कदम उठाए गए थे।
वर्ष 1994 तक सभी न्यास क्षेत्रों ने स्व-सरकार या स्वतंत्रता प्राप्त कर ली थी। न्यास परिषद ने 1 नवंबर, 1994 में संचालन बंद कर दिया।


5. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice- ICJ)) संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग है। यह जून 1945 में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर द्वारा स्थापित किया गया था और अप्रैल 1946 से इसने कार्य करना शुरू किया था।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने अंतर्राष्ट्रीय न्याय के स्थायी न्यायालय ((Permanent Court of International Justice- PCIJ) का स्थान लिया जिसकी स्थापना राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 1920 में की गई थी।

6. सचिवालय

सचिवालय में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एवं हज़ारों संयुक्त राष्ट्र कर्मचारी सदस्य शामिल होते हैं, जो महासभा और संगठन के अन्य प्रमुख अंगों द्वारा अधिदेशित संयुक्त राष्ट्र के दिन-प्रतिदिन के कार्यों को पूर्ण करते हैं।
महासचिव संगठन का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होता है, जिसे सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा पाँच वर्ष के लिये नियुक्त किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों की अंतर्राष्ट्रीय एवं स्थानीय स्तर पर नियुक्तियाँ की जाती हैं और ये अपने कार्यस्थलों एवं संपूर्ण विश्व के शांति अभियानों पर काम करते हैं।
निधि, कार्यक्रम, विशिष्ट एजेंसियाँ एवं अन्य
संयुक्त राष्ट्र प्रणाली जिसे अनौपचारिक रूप से "संयुक्त राष्ट्र परिवार" के रूप में भी जाना जाता है, संयुक्त राष्ट्र संघ (6 मुख्य अंगों) और कई संबद्ध कार्यक्रमों, कोष एवं विशिष्ट एजेंसियों से बना है, सभी का स्वयं की सदस्यता, नेतृत्त्व एवं बजट होता है।


कोष एवं कार्यक्रम

यूनिसेफ

  • संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), जिसे मूल रूप से संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष के रूप में जाना जाता है, वर्ष 1946 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा बनाया गया था, इसकी स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध से तबाह हुए देशों में बच्चों एवं माताओं को आपातकालीन भोजन तथा स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिये की गई थी।
  • वर्ष 1950 में यूनिसेफ के अधिदेश को विकासशील देशों में बच्चों एवं महिलाओं की दीर्घकालिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये विस्तारित किया गया था।
  • वर्ष 1953 में यह संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का एक स्थायी हिस्सा बन गया और संगठन के नाम से "अंतर्राष्ट्रीय" एवं "आपातकाल" शब्दों को हटा दिया गया, हालाँकि इसके मूल संक्षिप्त नाम "यूनिसेफ" को बरकरार रखा गया।
  • कार्यकारी बोर्ड: यह 36 सदस्यीय बोर्ड, नीतियों का निर्माण करता है, कार्यक्रमों को मंज़ूरी देता है एवं प्रशासनिक तथा वित्तीय योजनाओं की देख-रेख करता है। इसके सदस्य सरकारी प्रतिनिधि होते हैं जो आमतौर पर तीन वर्ष के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC) द्वारा चुने जाते हैं।
  • यूनिसेफ सरकारों एवं निजी दानकर्ताओं के योगदान पर निर्भर करता है।
  • यूनिसेफ का आपूर्ति प्रभाग कोपेनहेगन (डेनमार्क) में स्थित है और यह HIV पीड़ित बच्चों एवं माताओं के लिये टीके, एंटीरेट्रोवायरल दवाओं, पोषण संबंधी खुराक तथा शैक्षणिक सामग्री आपूर्ति जैसी आवश्यक वस्तुओं के वितरण के प्राथमिक बिंदु के रूप में कार्य करता है और आपातकालीन आश्रयों एवं परिवारों के पुनर्मिलन के लिये भी अपनी सेवाएँ देता है।

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA)

  • संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA), जिसे पूर्व में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या गतिविधियों के लिये कोष के रूप में जाना जाता था, यह संयुक्त राष्ट्र की यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी है।
  • इसका उद्देश्य एक ऐसे विश्व का निर्माण करना है जहाँ प्रत्येक गर्भावस्था वांछित हो, 'प्रत्येक प्रसव सुरक्षित हो’ और प्रत्येक युवा क्षमता से परिपूर्ण हो।
  • वर्ष 2018 में UNFPA ने तीन महत्त्वाकांक्षी परिवर्तनकारी परिणाम प्राप्त करने का किया जो वैश्विक स्तर पर प्रत्येक पुरुष, महिला एवं बच्चे के लिये परिवर्तन का वादा करता है:
  • परिवार नियोजन की आवश्कताओं को पूरा करना।
  • निवारक मातृ मृत्यु को समाप्त करना।
  • लिंग आधारित हिंसा एवं हानिकारक प्रथाओं को समाप्त करना।

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)

  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) संयुक्त राष्ट्र का वैश्विक विकास नेटवर्क है।
  • UNDP की स्थापना वर्ष 1965 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी।
  • यह अल्पविकसित देशों को सहायता प्रदान करने पर ज़ोर देने के साथ ही विकासशील देशों के लिये विशेषज्ञ सलाह, प्रशिक्षण एवं अनुदान सहायता सुनिश्चित करता है।
  • UNDP कार्यकारी बोर्ड संपूर्ण विश्व के 36 देशों के प्रतिनिधियों से मिलकर बना होता है जिसमें प्रत्येक तीन वर्ष बाद बारी-बारी से अलग-अलग देशों के प्रतिनिधि अपनी सेवाएँ देते हैं।
  • यह पूर्णतः सदस्य देशों के स्वैच्छिक योगदान द्वारा वित्तपोषित है।
  • UNDP संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समूह (United Nations Sustainable Development Group- UNSDG) का मुख्य केंद्र है, यह एक ऐसा नेटवर्क है जो 165 देशों में फैला है तथा सतत् विकास के लिये वर्ष 2030 एजेंडा को आगे बढ़ाने हेतु काम कर रहे संयुक्त राष्ट्र के 40 कोषों, कार्यक्रमों, विशेष एजेंसियों एवं अन्य निकायों को एकजुट करता है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP) एक वैश्विक पर्यावरण प्राधिकरण है जो वैश्विक पर्यावरण एजेंडा तैयार करता है, यह संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के अंदर सतत् विकास के पर्यावरणीय आयाम के सुसंगत कार्यान्वयन को बढ़ावा देता है।
  • इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा जून 1972 में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के मानव पर्यावरण सम्मेलन (स्टॉकहोम सम्मेलन) के परिणामस्वरूप हुई थी।
  • UNEP एवं विश्व मौसम विज्ञान संगठन ( World Meteorological Organization- WMO) ने नवीनतम विज्ञान पर आधारित जलवायु परिवर्तन का आकलन करने के लिये वर्ष 1988 में जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change- IPCC) की स्थापना की।
  • इसकी स्थापना के बाद से UNEP ने बहुपक्षीय पर्यावरणीय समझौतों (Multilateral Environmental Agreement- MEA) के विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्तमान में UNEP द्वारा निम्नलिखित नौ MEA के सचिवालयों की मेज़बानी की जाती है:
  • जैव विविधता पर कन्वेंशन (CBD)।
  • वन्य जीवों एवं वनस्पतियों के लुप्तप्राय प्रजातियों पर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES)।
  • वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर कन्वेंशन (CMS)।
  • ओजोन परत के संरक्षण के लिये वियना कन्वेंशन।
  • पारे पर मिनामाता कन्वेंशन।
  • खतरनाक अपशिष्ट एवं उनके निपटान के सीमा पारीय आवगमन के नियंत्रण पर बेसल कन्वेंशन।
  • स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों पर स्टॉकहोम कन्वेंशन।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कुछ खतरनाक रसायनों एवं कीटनाशकों के लिये पूर्व सूचित सहमति प्रक्रिया पर रॉटरडैम कन्वेंशन।

संयुक्त राष्ट्र मानव अधिवास कार्यक्रम (UN-Habitat)

  • संयुक्त राष्ट्र मानव अधिवास कार्यक्रम (UN-Habitat) एक बेहतर शहरी भविष्य की दिशा में काम करने वाला संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम है।
  • इसका उद्देश्य सामाजिक एवं पर्यावरण की दृष्टि से स्थायी मानव अधिवास के विकास तथा सभी के लिये पर्याप्त आश्रय की उपलब्धता को बढ़ाना है।
  • इसे वर्ष 1978 में कनाडा के वैंकूवर में मानव अधिवास एवं सतत् शहरी विकास (हैबिटेट प्रथम) पर पहले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के परिणामस्वरूप स्थापित किया गया था।
  • इस्तांबुल, तुर्की में वर्ष 1996 में मानव अधिवास (हैबिटेट द्वितीय) पर आयोजित द्वितीय संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन ने हैबिटेट एजेंडा के तहत निम्नलिखित दो लक्ष्य निर्धारित किये गए:
  • सभी के लिये पर्याप्त आश्रय।
  • एक शहरीकृत विश्व में धारणीय मानव अधिवास का विकास।
  • आवास एवं सतत् शहरी विकास (हैबिटेट तृतीय) पर तृतीय संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का आयोजन वर्ष 2016 में क्वीटो, इक्वाडोर में किया गया था। इसने सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDG) के लक्ष्य -11 को विस्तृत किया: "शहरों एवं मानव अधिवास को समावेशी, सुरक्षित, क्षमतावान एवं धारणीय बनाना।

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP):

यह एक अग्रणी मानवीय संगठन है जो आपात स्थिति में खाद्य सहायता प्रदान कर एवं पोषण में सुधार के लिये समुदायों के साथ काम करके कई लोगों के जीवन को बचा रहा है तथा उनके जीवन में परिवर्तन ला रहा है।
विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Programme- WFP) की स्थापना वर्ष 1963 में खाद्य और कृषि संगठन तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी।
संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट एजेंसियाँ

संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट एजेंसियाँ संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करने वाले स्वायत्त संगठन है। इन सभी को संयुक्त राष्ट्र के साथ संबंधों में समझौतों के माध्यम से लाया गया था।
इनमें से कुछ प्रथम विश्व युद्ध से पहले भी अस्तित्व में थीं। कुछ राष्ट्र संघ से जुड़ी थीं तथा अन्य की स्थापना लगभग संयुक्त राष्ट्र के साथ ही की गई थी। इनकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र द्वारा उभरती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये की गई थी।
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 5 एवं 63 में विशिष्ट एजेंसियों के निर्माण का प्रावधान है।

खाद्य और कृषि संगठन (FAO)

वर्ष 1945 में खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) का गठन क्यूबेक सिटी, कनाडा में संयुक्त राष्ट्र के पहले सत्र में किया गया था।
FAO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो भुखमरी को समाप्त करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्त्व करती है।
FAO ज्ञान एवं सूचना का भी एक स्रोत है, यह विकासशील देशों को कृषि, वानिकी एवं मत्स्य पालन जैसे कार्यों में आधुनिक एवं परिवर्तनकारी सुधार करने में मदद करता है, ताकि सभी के लिये सुपोषण एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO)

शिकागो कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (International Civil Aviation Organization- ICAO) की स्थापना वर्ष 1944 में संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी के रूप में की गई थी। यह अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन (शिकागो कन्वेंशन) पर कन्वेंशन के प्रशासन एवं संचालन को प्रबंधित करता है।
यह अंतर्राष्ट्रीय हवाई नेविगेशन के सिद्धांतों एवं तकनीक प्रदान करता है। साथ ही सुरक्षित एवं क्रमबद्ध वृद्धि सुनिश्चित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय हवाई परिवहन की योजना तथा उसके विकास को बढ़ावा देता है।

कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय कोष (IFAD)

कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय कोष (International Fund for Agricultural Development- IFAD) की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव के माध्यम से वर्ष 1977 में एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था के रूप में की गई थी, यह वर्ष 1974 के विश्व खाद्य सम्मेलन के प्रमुख परिणामों में से एक था।

इस सम्मेलन का आयोजन संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1970 के दशक के खाद्य संकटों के परिणामस्वरूप किया गया था, जब वैश्विक स्तर पर खाद्यान्न अभाव व्यापक अकाल एवं कुपोषण का कारण बनता जा रहा था, मुख्य रूप से अफ्रीका के सहेलियन (Sahelian) देशों में। यह महसूस किया गया कि खाद्य असुरक्षा एवं अकाल के लिये उत्पादन से संबंधित समस्याएँ उत्तरदायी नहीं थीं बल्कि यह गरीबी से संबंधित संरचनात्मक समस्याएँ थी।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO)

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization- ILO) संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है जिसका अधिदेश अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों को निर्धारित कर सामाजिक न्याय तथा सभ्य कार्यों को बढ़ावा देना है।
यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों का निर्धारण करता है, कार्यस्थल पर अधिकारों को बढ़ावा देता है। यह सभ्य रोज़गार अवसरों, सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने के साथ ही कार्य से संबंधित मुद्दों पर सुदृढ़ संवाद को प्रोत्साहित करता है।
यह संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र त्रिपक्षीय संस्था है जिसकी स्थापना वर्ष 1919 में वर्साय की संधि द्वारा राष्ट्र संघ की एक संबद्ध एजेंसी के रूप में की गई थी।
उद्योगों में कार्य के घंटे, बेरोज़गारी, मातृत्व सुरक्षा, महिलाओं के लिये रात्रिकालीन कार्य, न्यूनतम आयु और उद्योगों में युवा व्यक्तियों के लिये रात्रिकालीन कार्य से संबंधित 9 अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलनों एवं 10 सिफारिशों को दो वर्ष से कम समय (वर्ष 1922 तक) में अपनाया गया था।
संयुक्त राष्ट्र समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने से वर्ष 1946 में ILO संयुक्त राष्ट्र की प्रथम विशिष्ट एजेंसी बन गई।
श्रमिकों को सभ्य कार्य एवं न्याय हेतु कार्य करने के लिये संगठन को वर्ष 1969 में इसकी 50वीं वर्षगाँठ पर नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया।
वर्ष 1980 में ILO ने सॉलिडैरिटी संगठन की वैधता को कन्वेंशन संख्या 87 जिसे पोलैंड ने वर्ष 1957 में अनुमोदित किया था, के आधार पर पूर्ण समर्थन देकर पोलैंड को तानाशाही से मुक्ति दिलाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
यह इस बात पर बल देता है कि कार्य का भविष्य पूर्व निर्धारित नहीं है, सभी के लिये सभ्य कार्य (Decent work) संभव है, लेकिन समाज को इसके लिये कार्य करना होगा। ILO ने वर्ष 2019 में अपनी स्थापना की शताब्दी के अवसर पर इसकी पहल के हिस्से के रूप में भविष्य के कार्य पर वैश्विक आयोग की स्थापना की।
इसका काम भविष्य के कार्यों की गहराई से जाँच करना है ताकि 21वीं सदी में सामाजिक न्याय के वितरण के लिये विश्लेषणात्मक आधार प्रदान किया जा सके।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् ब्रेटन वुड्स, न्यू हैम्पशायर, संयुक्त राज्य अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन (1944, जिसे ब्रेटन वुड्स सम्मेलन भी कहा जाता है) अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्तीय व्यवस्था को विनियमित करने के लिये आयोजित किया गया था।
इसके परिणामस्वरूप वर्ष 1945 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) की नींव रखी गई।
विश्व बैंक
संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन (1944, जिसे ब्रेटन वुड्स सम्मेलन भी कहा जाता है) द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्तीय व्यवस्था को विनियमित करने के लिये आयोजित किया गया था। इसके परिणामस्वरूप वर्ष 1945 में अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (International Bank for Reconstruction and Development - IBRD) की नींव रखी गई। IBRD, विश्व बैंक की संस्थापक संस्था है।

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अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO)

अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (International Maritime Organization- IMO) संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय मानक-निर्धारण प्राधिकरण है जो मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग की सुरक्षा में सुधार करने और जहाज़ों द्वारा होने वाले प्रदूषण को रोकने हेतु उत्तरदायी है।

अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संगठन (ITU)

अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संगठन (International Telecommunication Union - ITU) संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक विशेष एजेंसी है जो सूचना एवं संचार तकनीकों (Information and Communication Technologies- ICT) से संबंधित मुद्दों के प्रति ज़िम्मेदार है। यह संयुक्त राष्ट्र की सभी विशिष्ट एजेंसियों में सबसे पुरानी है।
इसकी स्थापना वर्ष 1865 में की गई थी और यह जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है। यह सरकारों (सदस्य राष्ट्रों) एवं निजी क्षेत्र (सदस्य, सहयोगी एवं शैक्षणिक समुदाय) के मध्य अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के सिद्धांत पर कार्य करता है।
ITU प्रमुख वैश्विक मंच है जिसके माध्यम से विभिन्न पक्ष ICT उद्योग के भविष्य को प्रभावित करने वाले मुद्दों की एक विस्तृत शृंखला पर आम सहमति के साथ काम करते हैं।
यह वैश्विक रेडियो स्पेक्ट्रम एवं उपग्रह कक्षाएँ आवंटित करता है, तकनीकी मानक विकसित करता है जो निर्बाध रूप से नेटवर्क तथा प्रौद्योगिकियों की परस्पर संबद्धता सुनिश्चित करता है और संपूर्ण विश्व में वंचित समुदायों की ICT तक पहुँच में सुधार करने का प्रयास करता है।

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO)

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization- UNESCO) की स्थापना वर्ष 1945 में स्थायी शांति के माध्यम से "मानव जाति की बौद्धिक व नैतिक एकजुटता" को विकसित करने के लिये की गई थी। यह पेरिस (फ्राँस) में स्थित है।
इस भावना में यूनेस्को लोगों को घृणा एवं असहिष्णुता से मुक्त वैश्विक नागरिक के रूप में जीने में सहायता करने के लिये शैक्षिक युक्तियाँ विकसित करता है।
सांस्कृतिक विरासत एवं सभी संस्कृतियों की समान गरिमा को बढ़ावा देकर यूनेस्को राष्ट्रों के मध्य संबंधों को मज़बूत करता है।

संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO)

संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (United Nations Industrial Development Organization- UNIDO) गरीबी को कम करने, समावेशी वैश्वीकरण एवं पर्यावरणीय स्थिरता के लिये औद्योगिक विकास को बढ़ावा देता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) स्वास्थ्य हेतु संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है।
इसकी स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी, इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
यह एक अंतर-सरकारी संगठन है और अपने सदस्य राष्ट्रों के साथ मिलकर सामान्यतः स्वास्थ्य मंत्रालयों के माध्यम से कार्य करता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन निम्नलिखित के प्रति उत्तरदायी है:
वैश्विक स्वास्थ्य मामलों का नेतृत्व करना।
स्वास्थ्य अनुसंधान एजेंडा को आकार देना।
मानदंड एवं मानक स्थापित करना।
साक्ष्य-आधारित नीति विकल्प प्रदान करना।
देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करना।
स्वास्थ्य रुझानों की निगरानी एवं आकलन करना।


संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD)

संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (United Nations Conference on Trade and Development- UNCTAD) विकासशील देशों को वैश्विक अर्थव्यवस्था के लाभों का निष्पक्ष एवं प्रभावी रूप से उपयोग करने में सहायता करता है। यह व्यापार, निवेश, वित्त व प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा समावेशी एवं सतत् विकास में मदद करता है।

संयुक्‍त राष्‍ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC)


संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (United Nations Office on Drugs and Crime- UNODC) अवैध मादक पदार्थों तथा अंतर्राष्ट्रीय अपराध के खिलाफ वैश्विक नेतृत्त्वकर्त्ता है।
इसकी स्थापना वर्ष 1997 में संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ नियंत्रण कार्यक्रम एवं अंतर्राष्ट्रीय अपराध निवारण केंद्र के मध्य विलय के माध्यम से हुई थी।
UNODC अवैध मादक पदार्थ, अपराध एवं आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में सदस्य राष्ट्रों की सहायता करने के लिये अधिदेशित है।

संयुक्‍त राष्‍ट्र शरणार्थी उच्‍चायुक्‍त कार्यालय (UNHCR)

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त कार्यालय (United Nations High Commissioner for Refugees- UNHCR) वर्ष 1950 में इस उद्देश्य से स्थापित किया गया था, कि द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् उन लाखों यूरोपीय लोग जो अपने घर खो चुके थे अथवा पलायन कर चुके थे, की मदद की जा सके।
वर्ष 1954 में UNHCR ने यूरोप में अपने उत्कृष्ट कार्यों हेतु नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त किया।
21वीं सदी की शुरुआत में अफ्रीका, मध्य-पूर्व एवं एशिया में प्रमुख शरणार्थी संकटों में UNHCR द्वारा सहायता प्रदान की गई।
यह अपनी विशेषज्ञता का उपयोग आंतरिक संघर्षों के कारण विस्थापित लोगों की मदद करने के लिये करता है एवं राष्ट्र विहीन लोगों की सहायता करने हेतु अपनी भूमिका का विस्तार करता है।
ईएससीएपी

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