रतनपुर | रतनपुर का इतिहास | रतनपुर का भूगोल एवं जलवायु | रतनपुर का दर्शनीय स्थल

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रतनपुर | रतनपुर का इतिहास | रतनपुर का भूगोल एवं जलवायु | रतनपुर का दर्शनीय स्थल

रतनपुर



रतनपुर 


रतनपुर छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले की एक नगर पालिका है।

  • बिलासपुर – कोरबा मुख्यमार्ग पर 25 कि.मी. पर स्थित आदिशक्ति महामया देवि कि पवित्र पौराणिक नगरी रतनपुर का प्राचीन एवं गौरवशाली इतिहास है। 
  • त्रिपुरी के कलचुरियो ने रतनपुर को अपनी राजधानी बना कर दीर्घकाल तक छ्.ग. मे शासन किया। इसे चतुर्युगी नगरी भी कहा जाता है. जिसका तात्पर्य इसका अस्तित्व चारो युगों में विद्यमान  रहा है |
  • राजा रत्नदेव प्रथम ने रतनपुर के नाम से अपनी राजधानी बसाया |

विशेष*-अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत तत्कालीन बिलासपुर जिले में रतनपुर से ही हुई थी पण्डित कपिल नाथ द्विवेदी एव वैष्णव बाबाजी के नेतृत्व में वन्देमातरम, भारत माता के जयघोष के साथ प्रभातफेरी निकालने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था ।


रतनपुर का इतिहास


रतनपुर का इतिहास :- रतनपुर राज और रायपुर राज क्रमशः शिवनाथ के उत्तर तथा दक्षिण में स्थित थे। प्रत्येक राज में स्पष्ट और निश्चित रूप अठारह-अठारह ही गढ़ होते थे। गढ़ों की संख्या अठारह ही क्यों रखी गई थी इसका निश्चित पता तो नहीं है किन्तु रतनपुर में सन् 1114 में प्राप्त एक उल्लेख के अनुसार चेदि के हैहय वंशी राजा कोकल्लदेव के अठारह पुत्र थे और उन्होंने अपने राज्य को अठारह हिस्सों में बाँट कर अपने पुत्रों को दिया था। 
सम्भवतः उसी वंश परंपरा की स्मृति बनाये रखने के लिये राज को अठारह गढ़ों में बाँटा जाता रहा हो। 
प्रत्येक गढ़ में सात ताल्लुका और प्रत्येक ताल्लुका में कम से कम बारह गाँव होते थे। इस प्रकार प्रत्येक गढ़ में कम से कम चौरासी गाँव होना अनिवार्य था। ताल्लुका में गाँवों की संख्या चौरासी से अधिक तो हो सकती थी किन्तु चौरासी से कम कदापि नहीं हो सकती थी। चूँकि राज्य सूर्यवंशियों का था अतः सूर्य की साता किरणों तथा बारह राशियों को ध्यान में रख कर ताल्लुकों और गाँवों की संख्या क्रमशः सात और कम से कम बारह रखी गईं थी। इस प्रकार सर्वत्र सूर्य देवता का प्रताप झलकता था।


रतनपुर का भूगोल एवं जलवायु

तापमान
गर्मी में 45 से 28 सेल्सिअस
सर्दी में 27 से 10 सेल्सिअस
वर्षा लगभग 120 से मी (जुलाई से सितम्बर)

रतनपुर का दर्शनीय स्थल

  • महामाया मंदिर
  • काल-भैरव मंदिर
  • लखनी देवी मंदिर (हनुमान मूर्ति)
  • वृद्धेश्वर नाथ मंदिर (बूढ़ा महादेव)
  • श्री गिरिजाबंध हनुमान मंदिर
  • रामटेकरी मंदिर
  • खूंटाघाट जलाशय
  • सिद्धि विनायक मंदिर
  • राधा माधव धाम
  • तुलजा भवानी मंदिर
  • जगन्नाथ मंदिर
  • बीसदुवरिया
  • बुढ़ामहादेव मंदिर
  • बिकमा तालाब

महामाया मंदिर रतनपुर

  • श्री आदिशक्ति  माँ महामाया देवी :- लगभग नौ वर्ष प्राचीन महामाया देवी का दिव्य एवं भव्य मंदिर दर्शनीय है | 
  • इसका निर्माण राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा ग्यारहवी शताबदी में कराया गया था | 
  • 1045 ई. में राजा रत्नदेव प्रथम मणिपुर नामक गाँव में  शिकार के लिए आये थे, जहा रात्रि विश्राम उन्होंने एक वटवृक्ष पर किया | अर्ध रात्रि में जब राजा की आंखे खुली, तब उन्होंने वटवृक्ष के नीचे अलौकिक प्रकाश देखा | यह देखकर चमत्कृत हो गई की वह आदिशक्ति श्री महामाया देवी की सभा लगी हुई है | इसे देखकर वे अपनी चेतना खो बैठे |सुबह होने पर वे अपनी राजधानी तुम्मान खोल लौट गये और रतनपुर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया गया तथा 1050 ई. में श्री महामाया देवी का भव्य मंदिर निर्मित कराया गया | 
  • मंदिर के भीतर महाकाली,महासरस्वती और महालक्ष्मी स्वरुप देवी की प्रतिमाए विराजमान है| 
  • मान्यता है कि इस मंदिर में यंत्र-मंत्र का केंद्र रहा होगा | रतनपुर में देवी सती का दाहिना स्कंद गिरा था | भगवन शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर उसे कौमारी शक्ति पीठ का नाम दिया था | जिसके कारण माँ  के दर्शन से कुंवारी कन्याओ को सौभाग्य की प्राप्ति होती है | 
  • नवरात्री पर्व पर यहाँ की छटा दर्शनीय होती है | इस अवसर पर श्रद्धालूओं द्वारा यहाँ हजारो की संख्या में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित किये जाते है |









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