राजस्थान की नदियां Rajasthan ki Nadiya
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राजस्थान की नदियां Rivers of Rajasthan
आंतरिक प्रवाह की नदियाँ -
घग्घर नदि, कांतली नदि, काकनी नदि, साबी नदि, मेंथा नदि, रूपनगढ़ नदि, रूपारेल नदि, सागरमती नदि आदि।
अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ -
लूणी नदि, माही नदि, सोम नदि, जाखम नदि, साबरमती नदि, पश्चिमी बनास नदि, सूकडी नदि, जवाई नदि, जोजडी नदि, मीठडी नदि आदि।
बंगाल की खाडी में गिरने वाली नदियाँ -
चम्बल, बनास, कोठारी, कालीसिंध, बाणगंगा, पार्वती, परवन, बामनी, चाखन, गंभीरी, कुनु, मेज, मांशी, खारी आदि।
राजस्थान में नदियों का प्रवाह तंत्र
चबल नंदी प्रवाह तंत्र
- अपवाह क्षेत्र - 7 2 ,03 2 वर्ग किमी
- कुल अपवाह क्षेत्र का प्रतिशत - 20.90 प्रतिशत
लूणी नदी प्रवाह तंत्र
- अपवाह क्षेत्र - 34 ,866 वर्ग किमी.
- कुल अपवाह क्षेत्र का प्रतिशत - 10.40 प्रतिशत
माही नदी प्रवाह तंत्र
- अपवाह क्षेत्र - 16,551 वर्ग किमी.
- कुल अपवाह क्षेत्र का प्रतिशत - 4.80 प्रतिशत
साबरमती नदी प्रवाह तंत्र
- अपवाह क्षेत्र - 3 ,288 वर्ग किमी.
- कुल अपवाह क्षेत्र का प्रतिशत - 1.00 प्रतिशत
बनास नदी प्रवाह तंत्र
- अपवाह क्षेत्र - 2 ,837 वर्ग किमी.
- कुल अपवाह क्षेत्र का प्रतिशत - 0.90 प्रतिशत
आंतरिक प्रवाह तंत्र
- अपवाह क्षेत्र - 3,85,587 वर्ग किमी
- कुल अपवाह क्षेत्र का प्रतिशत - 60.50 प्रतिशत
गंगा - यमुना नदी प्रवाह तंत्र
- अपवाह क्षेत्र - 5126 वर्ग किमी
- कुल अपवाह क्षेत्र का प्रतिशत - 1.50 प्रतिशत
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बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियां
बंगाल की खाड़ी की तरफ जाने वाली नदियां सामान्यत अरावली पर्वतमाला के दक्षिण पूर्व में बहती हुई अपना जल बंगाल की खाड़ी में ले जाती है बंगाल की खाड़ी की मुख्य नदियां चंबल नदि, बनारस नदि, कोठारी नदि, बेड नदि, कालीसिंध नदि, पार्वती नदि, बाणगंगा नदि, मानती नदि, गंभीरी नदि, आदि है।
चंबल नदी Chambal River
- चंबल नदी मध्य भारत में यमुना नदी की एक सहायक नदी है, और इस तरह यह अधिक से अधिक गंगा जल निकासी प्रणाली का हिस्सा बनती है।
- उद्गम स्थल : मध्यप्रदेश के महू के दक्षिण में स्थित मानपुर के निकट विंध्याचल पर्वत की जानापाव की पहाड़ी से निकलती है।
- चंबल नदी राजस्थान में 84 गढ़ चित्तौड़गढ़ से राजस्थान में प्रवेश करती है राजस्थान में बहने के बाद में आगरा उत्तर प्रदेश के इटानगर के निकट मुरादगंज स्थान पर यमुना नदी में मिल जाती है
- चंबल नदी की कुल लंबाई 966 किलोमीटर है जिसमें से 135 किलोमीटर राजस्थान में इसका राजस्थान में कुल 19500 km क्षेत्र है।
- चंबल नदी की उपनाम : कामधेनू, नित्य वाहिनी, चरणवती हैं।
- प्रदेश से 315 किलोमीटर प्रवाहित होती है राजस्थान में बहने वाली यह सबसे लंबी नदी है जो राजस्थान और एमपी के मध्य सबसे लंबी अंतर राज्य सीमा बनाती है।
- भैस रोड गढ़ चित्तौड़गढ़ के समीप स्थित इस स्थान पर चंबल नदी चूलिया जलप्रपात बनाती है। जिसकी ऊंचाई 18 मीटर है रामेश्वरम सवाई माधोपुर नामक स्थान पर चंबल नदी के बाएं किनारे पर बनासऔर सीप नदियों का संगम होता है जो त्रिवेणी संगम कहलाता है।
- चंबल नदी राजस्थान की बारहमासी नदी है और इससे सर्वाधिक अवनालिका अपरदन भी होता है इस नदी पर मध्य प्रदेश में गांधी सागर बांध चित्तौड़गढ़ में राणा प्रताप सागर बांध कोटा में जवाहर सागर बांध और कोटा बैराज बांध स्थित है जो जल विद्युत और सिंचाई के मुख्य स्त्रोत हैं राजस्थान को सर्वाधिक सतही जल चंबल नदी से ही प्राप्त होता है ।
चंबल नदी के अपवाह क्षेत्र
- चंबल नदी के अपवाह क्षेत्र में चित्तौड़, कोटा, बूँदी, सवाई माधौपुर, करौली, धौलपुर इत्यादि इलाके शामिल हैं। तथा सवाई माधोपुर, करौली व धौलपुर से गुजरती हुई राजस्थान व मध्यप्रदेश की सीमा बनाते हुए चलती है जो कि 252 किलोमीटर की है।
चंबल नदी की सहायक नदियां
- चंबल नदी सर्वाधिक सहायक नदियों वाली नदी है यह दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर बहने वाली राजस्थान की सबसे प्रमुख व एकमात्र नदी है इसकी प्रमुख सहायक नदियां बामणी ,मेज, मांगली, कूनो, बनास, कालीसिंध, छोटी काली सिंध, पर्वती, निमाज आदि प्रमुख सहायक नदियां हैं।
चंबल नदी का मुहाना
- उत्तर प्रदेश में बहते हुए 966 किलोमीटर की दूरी तय करके यमुना नदी में मिल जाती है।
- चम्बल नदी का कुल अपवाह क्षेत्र 19,500 वर्ग किलोमीटर हैं।
- चम्बल यमुना नदी की मुख्य सहायक नदियों में से एक है।
- उतरप्रदेश के इटावा जिले के मुरादगंज के पास यमुना में मिल जाती है।
बनास नदी Banas River
- बनास नदी की उद्गम स्थल : राजसमंद जिले में कुंभलगढ़ तहसील की अरावली पर्वत की खमनोर की पहाड़ियों से निकलती है।
- राजसमंद चित्तौड़गढ़ भीलवाड़ा अजमेर रोड तथा सवाई माधोपुर जिले में बहती हुई सवाई माधोपुर जिले के खंडार तहसील के रामेश्वरम नामक स्थान पर चंबल नदी में मिल जाती है।
- बनास नदी की लंबाई लगभग 512 किलोमीटर है।
- बनास नदी के उपनाम वशिष्टि वन की आशा है।
- पूर्ण रूप से राजस्थान में बहने वाली राजस्थान की सबसे लंबी नदी है बनास नदी टोंक जिले में सर्पाकार हो जाती है
- त्रिवेणी संगम : बीगोद और मांडलगढ़ भीलवाड़ा के बीच बनास बेडच मेनाल नदियों का संगम होता है।
- बनास नदी पर बने हुए बाँध मातरीकुंडीया बांध, बीसलपुर बाँध, ईसरदा बाँध, दात्र बांध है।
बनास नदी की सहायक नदियों
- बनास नदी की सहायक नदियों में बेडच, कोठरी, मांसी, खारी, मोरेल व धुन्ध ढील डाई है।
- बेडच नदी 190 किलोमीटर लंबी है तथा गोगु्न्दा पहाड़ियों (उदयपुर) से निकलती है।
- कोठारी नदी उत्तरी राजसमंद जिले के दिवेर पहाड़ियों से निकलती है। यह 145 किलोमीटर लंबी है तथा यह उदयपुर, भीलवाड़ा में बहती हुई बनास में मिल जाती है। ये नंदी वेरो का मठ से उत्पन हुई है वेरो का मठ परशुराम के पास है।
कोठारी नदी Kotari River
- कोठारी नदी राजसमंद जिले में देवगढ़ के पास अरावली पहाड़ियों से निकलती है।
- कोठारी नदी लगभग 145 किलोमीटर लम्बी है।
- यह रायपुर, मंडल, भीलवाड़ा और कोटड़ी की तहसीलों से होकर बहती है और अंततः कोटड़ी तहसील के नंदराई में बनास नदी में मिलती है।
- कोठारी नदी पर मेजा बांध भीलवाड़ा जिले को पीने का पानी प्रदान करता है।
- इस नदी का समापन भीलवाड़ा जिले में बनास नदी में मिल जाने से होता है इस पर मेजा बांध बनाकर भीलवाड़ा जिले की पेयजल समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है।
बेडच नदी Bedch River
- बेडच नदी गोगुंदा की पहाड़ियां उदयपुर से निकलती है।
- अपने उद्गम स्थल से उदय सागर झील तक यह नदी आयड नदी के उपनाम से जानी जाती है।
- उदयपुर शहर में यह उदयसागर झील में गिर जाती है उदय सागर से निकलने के बाद यह बेडच नदी के नाम से जानी जाती है ।
- यह नदी भीलवाड़ा में बहने के बाद मांडलगढ़ के निकट बीगोद नामक स्थान पर बनास में मिल जाती है।
- बेडच नदी के किनारे प्राचीन आहट तांबर युगीन सभ्यता मिली है।
कालीसिंध नदी Kalisindh River
- उद्गम स्थल : मध्य प्रदेश राज्य के देवास जिले के बागली गांव से निकलती है।
- राजस्थान में प्रवेश झालावाड़ जिले से होता है और समापन कोटा के नौनेरा स्थान पर चंबल नदी में मिल जाने से होता है यह नदी राज्य में झालावाड़ कोटा और बारा की सीमा बनाती है।
- कालीसिंध की सहायक : नदियां आहू निवाज रेवा पीपलाज परवन आदि प्रमुख है।
पार्वती नदी Parvati River
- उद्गम स्थल : मध्य प्रदेश के विंध्याचल पर्वत सीहोर की पहाड़ियों से निकलती है।
- पार्वती नदी पर धौलपुर जिले में पार्वती बांध का निर्माण किया गया है जो कि धौलपुर जिले को सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है ।
- पार्वती नदी का राजस्थान में प्रवेश करियाहट बारा जिले से होता है और इसका समापन स्थल कोटा जिले में चंबल नदी में मिल जाती है।
बाणगंगा नदी Bangnga River
- उद्गम स्थल जयपुर जिले की बेराठ की पहाड़ियों से निकलती है।
- बाणगंगा नदी कभी-कभी आंतरिक प्रवाह प्रणाली का उदाहरण पेश करती है क्योंकि इसका पानी भी यमुना तक नहीं पहुंच कर भरतपुर के आसपास के मैदानों में फैल जाता है।
- बाणगंगा चंबल की रुंडीत नदी है।
- बाणगंगा नदी जयपुर दोसा और भरतपुर जिले में प्रवाहित होती है इस नदी के उपनाम अर्जुन की गंगा और ताला नदी है।
- बाणगंगा नदी का समापन आगरा के फतेहाबाद नामक स्थान पर यमुना नदी में मिल जाने से होता है ।
- इस नदी पर जमवारामगढ़ जयपुर में रामगढ़ बांध बनाया गया है जिसे जयपुर को पेयजल आपूर्ति होती है।
मानसी नदी Mansi River
- उद्गम स्थल : भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ तहसील से निकलती है।
- यह नदी भीलवाड़ा अजमेर तथा टोंक जिले में प्रवाहित होती है टोंक जिले के देवली नामक स्थान पर बनास नदी में मिल जाती है।
गंभीरी नदी Ganbhiri Nadi
- इस नदी पर निंबाहेड़ा चितौड़गढ़ में गंभीरी बांध का निर्माण किया गया है मिट्टी से निर्मित बांध है ।
- इस नदी का समापन चितौड़गढ़ के चटियावाली नामक स्थान पर बेडच नदी में मिलने से होता है।
परवन नदी- Parvan River
- यह नदी मध्यप्रदेश के विध्याचल से निकलती है। झालावाड में खरीबोर में राजस्थान में प्रवेश करती है। झालावाड़ व बांरा में बहती हुई बांरा में पलायता गांव में काली सिंध में मिल जाती है।
- इस नदी के किनारे शेरगढ़ अभयारण्य स्थित है।
- सहायक नदियां – नेवज, छापी नदियाँ है
आहु नदी Aahu River
- आहु नदी मध्यप्रदेश के सुरनेर गांव से निकलती है और झालावाड के नन्दपुर में राजस्थान में प्रवेश करती है।
- झालावाड़ कोटा की सीमा पर बहती हुई झालावाड़ के गागरोन में काली सिंध में मिल जाती है।
- झालावाड़ के गागरोन में कालीसिंध आहु नदियों का संगम होता है। इस संगम पर गागरोन का प्रसिद्ध जल दुर्ग स्थित है।
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***************************************अरब सागर में गिरने वाली नदियां
अरब सागर में गिरने वाली नदियां सामान्यत अरावली के दक्षिण पश्चिम में बहती हुई अपना जल अरब सागर में ले जाती है अरब सागर की तरफ जल ले जाने वाली माही, लूणी, साबरमती, पश्चिमी बनास प्रमुख नदियां है।
माही नदी Mahi Nadi
- आदिवासियों की जीवन रेखा, दक्षिणी राजस्थान की स्वर्ण रेखा कहे जाने वाली माही नदी दूसरी नित्यवाही नदी है।
- माही नदी का उद्गम मध्य प्रदेश में अमरोरू जिले में मेहद झील से होता है। इसका आकर अंग्रेजी के उल्टे यू (∩) की तरह है।
- माही की सहायक नदियां : सोम, जाखम, मोरल, चाप है।
- इस नदी का राजस्थान में प्रवेश स्थान बांसवाडा जिले का खादू गाँव है।
- यह नदी प्रतापगढ़ जिले के सीमावर्ती भाग में बहती है और तत् पश्चात् र्दिक्षण की ओर मुड़ जाती है और गुजरात के पंचमहल जिले से होती हुई अन्त में खम्भात की खाड़ी में जाकर समाप्त हो जाती है
- माही नदी की कुल लम्बई 576 कि.मी. है जबकि राजस्थान में यह नदी 171 कि.मी बहती है।
- माही नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है।
- राजस्थान में डूंगरपुर जिले मे माही नदी के तट पर गलियाकोट का उर्स लगता है।
- बेणेश्वर मेला:- राजस्थान के डूंगरपुर जिले की आसपुर तहसील के नवाटपुरा गांव में जहां तीनो नदियों माही-सोम-जाखम का त्रिवेणी संगम होता है बेणेश्वर मेला भरता है। माघ माह की पूर्णिमा के दिन भरने वाला यह मेला आदिवासियों का कुम्भ व सबसे बड़ा मेला भी है।
- माही नदी पर राजस्थान व गुजरात के मध्य माही नदी घाटी परियोजना बनाई गयी है। इस परियोजना में माही नदी पर दो बांध बनाए गए हैः- (अ) माही बजाजसागर बांध (बोरवास गांव, बांसवाडा) (ब) कडाना बांध (पंचमहल,गुजरात)
लूनी नदी Luni River
- पश्चिम राजस्थान की एकमात्र नदी लूनी नदी का उद्गम अजमेर जिले के नाग की पहाडियों से होता है। आरम्भ में इस नदी को सागरमति या सरस्वती कहते है। यह नदी अजमेर से नागौर, जोधपुर, पाली, बाडमेर, जालौर जिलों से होकर बहती हुई गुजरात के कच्छ जिले में प्रवेश करती है और कच्छ के रण में विलुप्त हो जाती है।
- यह नदी बालोतरा (बाड़मेर) के पश्चात् खारी हो जाती है क्योंकि रेगिस्तान क्षेत्र से गुजरने पर रेत में सम्मिलित नमक के कण पानी में विलीन हो जाती है, इससे इसका पानी खारा हो जाता है।
- उपनाम:- लवणवती, सागरमती/मरूआशा/साक्री
- कुल लम्बाई:- 495 कि.मी.
- राजस्थान में लम्बाई:- 330 कि.मी.
- पश्चिम राजस्थान की गंगा, रेगिस्तान की गंगा, आधी मीठी आधी खारी
- बहाव:- अजमेर, नागौर, जोधपुर, पाली, बाड़मेर, जालौर
- लुनी नदी पर जोधपुर में जसवन्त सागर बांध बना है
- सहायक नदियां – बंकडा, सूकली, मीठडी, जवाई, सागी, लीलडी पूर्व की ओर से और एकमात्र नदी जोजड़ी पश्चिम से जोधपुर से आकर मिलती है।
साबरमती नदी Sabarmti River
- साबरमती नदी भारत की प्रमुख पश्चिमी में बहने वाली नदियों में से एक है।
- साबरमती नदी का उद्गम उदयपुर जिलें के पादरला गाँव स्थित अरावली की पहाडीयों से होता है।
- साबरमती नदी राजस्थान के उदयपुर जिले के अरावली रेंज में उत्पन्न होती है और राजस्थान और गुजरात में दक्षिण-पश्चिम दिशा में 371 किमी की यात्रा करने के बाद अरब सागर के खंभात की खाड़ी से मिलती है।
- साबरमती की सहायक नदियांबाकल, हथमती, बेतरक, माजम, सेई अदि है।
- साबरमती नदी में नेहरू ब्रिज, एलिश ब्रिज, सुभाष ब्रिज बनी हुई है।
- गुजरात के गांधीनगर एवं अहमदाबाद नगर इसी नदी के तट पर बसे हुए हैं।
- साबरमती नदी पर देवास प्रथम और देवास द्वितीय नामक बांध बनाए गए हैं इन बांधों का पानी सुरंग के जरिए उदयपुर की जिलों में पहुंचेगा।
- उदयपुर जिले में झीलों को जलापूर्ति के लिए साबरमती नदी में उदयपुर के देवास नामक स्थान पर 11.5 किमी. लम्बी सुरंग निकाली गई है जो राज्य की सबसे लम्बी सुरंग है।
- गुजरात की राजधानी गांधीनगर साबरमती नदी के तट पर स्थित है।
- 1915 में गांधाी जी ने अहम्दाबाद में साबरमती के तट पर साबरमती आश्रम की स्थापना की।
पश्चिमी बनास नदी Paschimi Banas River
- यह नदी अरावली के पश्चिमी ढाल सिरोही के नया सानवाडा गांव से निकलती है, और गुजरात के बनास कांठा जिले में प्रवेश करती है।
- गुजरात मेे बहती हुई अन्त में कच्छ की खाड़ी में विलीन हो जाती है।
- गुजरात का प्रसिद्ध शहर आबूरोड सिरोही एवं गुजरात का दीसा नगर इसके किनारे पर स्थित है
- सहायक नदियां – सीपू नदी, सुकडी नदी, गोहलन नदी, धारवेल नदी है।
जाखम नदी Jakham River
- जाखम नदी प्रतापगढ़ जिले के छोटी सादडी तहसिल में स्थित भंवरमाता की पहाडीयों से निकलती है।
- प्रतापगढ में बहने के पश्चात यह नदी उदयपुर में बहती हुईं डूंगरपुर के नोरावल बिलूरा गांव में सोम नदी में मिल जाती है ।
- प्रतापगढ में इस नदी पर राज्य का सबसे ऊँचा बांध जाखम बांध स्थित है।
- जाखम नदी की सहायक करमाई व सूकडी नदी है।
- बेणेश्वर धाम – डुंगरपुर नवाटापरा गांव में स्थित है।यहां सोम, माही, जाखम का त्रिवेणी संगम है। इस संगम पर माघ पुर्णिमा को आदिवासीयों का मेला लगता है। इसे आदिवासीयों/भीलों का कुंभ कहते है। बेणेश्वर धाम की स्थापन संत मावजी ने की थी। पूरे भारत में यही एक मात्र ऐसी जगह है जहां खंण्डित शिवलिंग की पूजा की जाती है।
सोम नदी Som River
- सोम नदी उदयपुर में ऋषभदेव के पास बिछामेडा पहाडीयों से निकलती है। उदयपुर व डुंगरपुर में बहती हुई डुंगरपुर के बेणेश्वर में माही में मिलती है।
- जाखम, टीडी, गोमती व सारनी इसकी सहायक नदियां है।
- उदयपुर में इस पर सोम-कागदर और डुंगरपुर में इस पर सोम-कमला- अम्बा परियोजना बनी है।
अनास नदी Anas River
- अनास नदी का उद्गम मध्यप्रदेश में होता है।
- राजस्थान में इस नदी का प्रवेश बांसवाड़ा जिले से होता हैं।
- बांसवाड़ा में बहती हुई यह नदी माही नदी में मिल जाती है।
- अनास की प्रमुख सहायक नदी हरन हैं।
लीलरी/लीलडी नदी Lilri/ Lildi River
- इस नदी का उद्गम अरावली पर्वत श्रेणियों से होता है।
- पाली जिले में बहती हुई सूकडी नदी में मिलकर निम्बोल नामक स्थान पर लूनी नदी में मिल जाती है।
ऐराव नदी Arao River
- ऐराव नदी का उदगम प्रतापगढ जिले में होता है।
- बांसवाड़ा जिले में यह नदी माही नदी में मिल जाती है।
चेप नदी
- चेप नदी का उद्गम कालीन्जरा की पहाड़ियों से होता है।
- चेप नदी आगे चलकर यह नदी माही नदी में मिल जाती हैं।
सुकडी नदी Sukdi River
- यह पाली के देसुरी से निकलती है।
- पाली व जालौर में बहती हुई बाडमेर के समदडी गांव में लुनी में मिल जाती है।
- इस नदी पर जालौर के बांकली गांव में बांकली बांध बना है।
जवाई नदी Jvai River
- यह नदी लुनी की मुख्य सहायक नदी है।
- यह नदी पाली जिले के बाली तहसील के गोरीया गांव से निकलती है।
- पाली व जालौर में बहती हुई बाडमेर के गुढा में लुनी में मिल जाती है।
- पाली के सुमेरपुर कस्बे में जवाई बांध बना है, जो मारवाड का अमृत सरोवर कहलाता है।
- सहायक नदियां – बांडी , सूकड़ी, खारी आदि है।
जोजडी नदी Jojdi River
- जोजडी नदी नागौर के पौडलु गांव से निकलती है।
- जोजडी नदी जोधपुर में बहती हुई जोधपुर के ददिया गांव में लूनी में मिल जाती है।
- जोजडी नदी लुनी की एकमात्र ऐसी सहायक नदी है, जो अरावली से नहीं निकलती और लुनी में दांयी दिशा से आकर मिलती है।
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यह नदियां अपना दल किसी समुंदर में नहीं ले जा पाती और ना ही इन नदियों की कोई सहायक नदियां होती है तथा यह राज्य के ही कुछ भागों में प्रवाहित होते हुए विलीन या विलुप्त हो जाती है आंतरिक प्रवाह की नदियां राज्य की कुल नदियों का लगभग 60% है
आंतरिक जल प्रवाह वाली नदियां
यह नदियां अपना दल किसी समुंदर में नहीं ले जा पाती और ना ही इन नदियों की कोई सहायक नदियां होती है तथा यह राज्य के ही कुछ भागों में प्रवाहित होते हुए विलीन या विलुप्त हो जाती है आंतरिक प्रवाह की नदियां राज्य की कुल नदियों का लगभग 60% है
घग्गर नदी Ghaggar River
- राजस्थान की आन्तरिक प्रवाह की सर्वाधिक लम्बी नदी घग्घर नदी उदगम हिमांचल प्रदेश में कालका के निकट शिवालिका की पहाडि़यों से होता है।
- घग्गर नदी की कुल लम्बाई 465 कि.मी. है। यह नदी प्राचीन सरस्वती नदी की धारा है। वैदीक काल में इसे द्वषवती नदी कहते है।
- घग्घर नदी पंजाब व हरियाणा में बहकर हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी नामक स्थान पर प्रवेश करती है और भटनेर दुर्ग के पास जाकर समाप्त हो जाती है।
- घग्गर-हकरा नदी भारत और पाकिस्तान में एक रुक-रुक कर बहने वाली नदी है जो केवल मानसून के मौसम में बहती है। नदी को ओट्टू बैराज से पहले घग्गर के रूप में जाना जाता है।
- बाढ़ की स्थिति में यह नदी गंगानगर जिले में प्रवेश करती है और सुरतगढ़ अनुपगढ़ में बहती हुई पाकिस्तान के बहावलपुर जिले में प्रवेश करती है। और अन्त में फोर्ट अब्बास नामक स्थान पर समाप्त हो जाती है।
- घग्गर नदी के पाट को नाली कहा जाता है सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख केंद्र इसी नदी के किनारे पर स्थित है
- थार के रेगिस्तान को पाकिस्तान में बोलिस्तान कहते है।
- कालीबंगा सभ्यता का विकास 5000 वर्ष पूर्व इस नदी के तट पर कालिबंगा सभ्यता विकसित हुई।
- इस नदी के कारण हनुमानगढ़ राजस्थान का धान का कटोरा कहा जाता है।
- यह राजस्थान की एकमात्र अन्तर्राष्टीय नदी है।
- पाकिस्तान में इस नदी को हकरा (फारसी भाषा का शब्द) के नाम से जाना जाता है।
काकनेय नदी Kakney River
- आन्तरिक प्रवाह की सबसे छोटी नदी काकनेय काकनी नदी का उद्गम जैसलमेर जिले में कोटड़ी गांव में होता है।
- इस नदी का उपनाम मसूरदी काकनेय है बुझ झील जैसलमेर इस नदी का निर्माण करती है
- यह नदी उत्तर-पश्चिम में बुझ झील में जाकर समापत हो जाती है। किंतु यह मौसमी नदी अत्यधिक वर्षा मे मीडा खाड़ी में अपना जल गिराती है।
- स्थानीय लोग इसे मसूरदी कहते है। इस नदी कुल लम्बाई 17 कि.मी है।
कटली/कांतली नदी Katli/Kantli River
- शेखावाटी क्षेत्र की एकमात्र नदी कांतली नदी का उद्गम सीकर जिले में खण्डेला की पहाडि़यों से होता है।
- चुरू जिले के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में इसके अंतर्देशीय जल निकासी बेसिन के केंद्र में खाली हो जाती है।
- यह नदी झुनझुनू जिले को दो भागों में बांटती है।
- सीकर जिले को इस नदी का बहाव क्षेत्र तोरावाटी बेसिन कहलाता है।
- यह नदी 100 कि.मी. लम्बी है और झुनझुनू व चुरू जिले की सीमा पर समाप्त हो जाती है।
मेंथा नदी Mentha River
- उद्गम मेंथा नदी Mentha River का उद्गम जयपुर में मनोहरपुर थाना से होता है।
- जयपुर में बहने के पश्चात् यह नदी नागौर में बहती हुई सांभर झील में अपना जल गिराती है।
- मेंथा नदी को मेन्ढा नदी के नाम से भी जाना जाता है।
- नागौर मे इस नदी के किनारे लूणवा जैन तीर्थ स्थित है।
- सांभर झील में जल गिराने वाली नदियां मेंथा, रूपनगढ़, खारी खण्डेल, तुरतमती।
रूपनगढ़ नदी Rupngadh River
- रूपनगढ़ नदी सलेमाबाद(अजमेर) से निकलती है और सांभर के दक्षिण में विलन हो जाती है।अजमेर में ही बहती हुई यह नदी सांभर झील में अपना जल गिराती है।
- अजमेर में इस नदी के किनारे निम्बार्क संप्रदाय की पीठ सलेमाबाद स्थित है।
साबी नदी Sabi River
- साबी नदी का उद्गम जयपुर जिले में सेवर की पहाडि़यों से होता है।
- जयपुर में यह नदी अलवर में बहती हुई हरियाणा के गुडगाँव जिले के पटोदी गांव की नजफगढ़ झील में जल गिराती है।
- अलवर की यह प्रमुख नदी है।
- जयपुर का जोधपुरा सभ्यता स्थल इस नदी के किनारे पर स्थित है। जोधपुरा सभ्यता में हाथीदाँत अवशेष प्राप्त हुऐ है।
- उत्तर दिशा में बहने वाली आंतरिक प्रवाह की यह एकमात्र नदी है।
रूपारेल नदी Ruparel River
- रूपारेल नदी अलवर जिले के उदयनाथ पहाड़ी से निकलती है , कुसलपुर (भरतपुर) में समाप्त हो जाती है।
- अलवर में बहने के पश्चात् यह नदी भरतपुर जिले में ही कुशलपुर गांव के समीप बहती हुईं विलुप्त हो जाती है।
- रूमारेल को लसवारी, बारह, बराह नदी के नाम से भी जाना जाता है।
- भरतपुर में इस नदी पर डीग महल, नौह सभ्यता, मोती झील बांध, सीकरी बांध स्थित है।
- रूपारेला नदी भरतपुर की जीवन रेखा है।
- मोती झील का निर्माण सूरजमल जाट ( जाटों का प्लेटो ) के द्वारा करवाया गया। इस झोल में नील हरित शैवाल पाए जाते है।
- इसकी प्रमुख सहायक नदियों में नारायणपुर, गोलारी, सुकरी, शानगंगा एवं नालाक्नोती है जो उदयनाथ पहाडियों से निकलती है।
काकुण्ड/कुकंद नदी Kukand River
- काकुण्ड नदी का राजस्थान में प्रवेश बयाना तहसील ( भरतपुर ) के दक्षिणी-पश्चिमी सीमा से होता है।
- काकुण्ड नदी का जल बारेठा बांध में एकत्रित किया जाता है।
- बारेठा बांध के जल का उपयोग बयाना और रूपवास तहसीलों में किया जाता है।
- काकुण्ड नदी के किनारे चैनपुरा व बारेठा नामक गांव स्थित है।
- दिर नामक जल प्रताप काकुण्ड नदी पर स्थित है । इसका पानी कभी समाप्त नहीं होता है।
सरस्वती नदी Sarsavti River
- सरस्वती नदी का सर्वप्रथम उलेख ऋग्वेद के दसवें मण्डल के 136वें सूक्त के पाँचवें मंत्र में मिलता है।
- इस नदी का उद्गम तुषार क्षेत्र में स्थित मीरपुर पर्वत से होता था।
- पंजाब में सरस्वती नदी को चितांग कहते है।
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